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The Central Board of Secondary Education is all set to conduct the Hindi exam 2025 on March 15, 2025. The board will hold the examination for both Hindi core and Hindi elective subject on that day. To fare better in the board exam, we have provided the CBSE Class 12 Hindi expected question paper 2025 shared by experts. Students should solve these sample questions to become familiar with the exam level.
CBSE Class 12 Hindi Expected Question Paper 2025
The questions present in the CBSE Class 12 Hindi Expected Question Paper 2025 has been provided by highly experienced Hindi faculty who have been teaching CBSE board students for more than 20 years. The same teacher also sends a set of question paper for the board exam. That is why, it is highly important for students to practice these questions as the same can be repeated in the exam.
CBSE Class 12 Hindi Sample Paper Questions 2025 by Experts
The CBSE Class 12 Hindi sample paper 2024-25 questions is based on the latest exam pattern giving students a better idea how to attempt the exam. Students can always benefit from practicing with important questions before the exam. It motivates students to evaluate their accomplishments and recognize their areas of strength and weakness as well as room for growth. It can be difficult to prepare for board exams, but you can approach your studies in the proper way if you use the right tactics.
CBSE Class 12 Hindi Board Exam 2025 Practice Questions
Students can check the CBSE Class 12 Hindi important questions along with solutions for 2025 board exam below. Make sure you try to answer the questions on your own before referring the solution key.
खंड क- अपठित बोध (18 अंक)
Section | Question | Answer |
प्रश्न 1 | (क) स्वामी विवेकानंद किस बात को समझते थे? | (i) भारत देश किसी एक धर्म, मत या विचारधारा का नहीं है |
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए | (iv) 1 और 3 | |
(ग) कथन (A) स्वामी विवेकानंद मंदिरों में से देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटा देना चाहते थे। कारण (R) स्वामी विवेकानंद भूखे, दरिद्र तथा कुपोषण के शिकार लोगों को मंदिरों में देवी-देवताओं की जगह स्थापित करना चाहते थे। | (i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। | |
(घ) स्वामी विवेकानंद को अपने समय से बहुत आगे क्यों कहा गया है? | स्वामी विवेकानंद को अपने समय से बहुत आगे इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे जानते थे कि भारत में एक धर्म, मत या विचारधारा नहीं चल सकती। उनमें संवाद होना अनिवार्य है। | |
(ङ) भारत देश में क्या जरूरी है और क्यों? | भारत जैसे देश में विभिन्न धर्मावलंबी एकसाथ मिलकर रहते हैं, इसलिए यहाँ एक-दूसरे को जानना, समझना, इच्छाओं और आकांकाओं को समझना बहुत जरूरी है। सभी लोगों को दूसरों के धार्मिक विश्वासों, पद्धतियों-अनुष्ठानों को सम्मान देना चाहिए। | |
(च) स्वामी जी के मत में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्या होगी? | स्वामी जी के मत में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति वह होगी, जब सभी व्यक्ति एक धर्म की पूजा-पद्धति व नैतिकता का अनुपालन करने लगेंगे। ऐसा करने से यहाँ का धार्मिक व आध्यात्मिक विकास रुक जाएगा और हमें हमारी संस्कृति से अलग कर देगा। | |
(छ) टापू किसे कहते हैं? लेखक का टापू की तरह जीने से क्या अभिप्राय है? | टापू समुद्र के मध्य उभरा भू-स्थल होता है, जिसके चारों ओर जल होता है। वह मुख्य भूमि से अलग होता है। टापू की तरह जीने से लेखक का अभिप्राय है-समाज की मुख्यधारा से कटकर रहना। | |
प्रश्न 2 | (क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि क्या अनुरोध कर रहा है? | (iii) सीधे किसान से वस्तुएँ खरीदने का |
(ख) कवि सीधे कहाँ पहुँचने के लिए कह रहा है? | (ii) किसानों के खेतों पर | |
(ग) सुमेलित कीजिए | (i) A → 3, B → 1, C → 2 | |
(घ) ‘बाजार न आए बीच में’ पंक्ति का क्या आशय है? | ‘बाजार न आए बीच में’ पंक्ति का आशय यह है कि ग्राहक और उत्पादक के बीच बाजार (दुभाषिया, बिचौलिया) को नहीं आना चाहिए। | |
(ङ) हमें किसके उत्पादन की प्रक्रिया से अवगत होना चाहिए? | हमें जिन चीजों की आवश्यकता होती है, उनके उत्पादनकर्ता के बारे में जानना चाहिए तथा वे चीजें बाजार से न खरीदकर सीधे उत्पादक से ही खरीदनी चाहिए। | |
(च) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहाँ जाने की बात करता है और क्यों? | प्रस्तुत पद्यांश में कवि किसान के खेतों पर जाने की बात करता है, क्योंकि बाजार महँगा है। हमें सीधे वहीं पहुँचना चाहिए, जहाँ हमारी आवश्यकता की वस्तुएँ उत्पन्न की जाती हैं और वह स्थान किसान का खेत है। |
खंड ख – अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)
प्रश्न संख्या | विषय | उत्तर |
प्रश्न 3: निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। | वर्तमान युग में रिश्ते-नातों की कम होती अहमियत | वर्तमान युग में रिश्ते-नातों की कम होती अहमियत मानव जीवन में रिश्ते-नातों का बहुत महत्त्व है। इनके अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्राचीनकाल में संयुक्त परिवारों का चलन था, जिससे इंसान में अपनापन, प्रेम, त्याग, श्रातृत्व और सहयोग की भावना विद्यमान रहती थी। समय के साथ संयुक्त परिवार की परंपरा समाप्त होती जा रही है। आजकल के युवाओं में यह मानसिकता विकसित हो रही है कि यदि आप अलग रहेंगे तो अपनी जिंदगी अपने ढंग से जी सकते हैं। धन-लालसा और स्वार्थ ने रिश्तों का गला घोटने से भी पीछे नहीं हटते। रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए समय देना और अपनापन जरूरी है। |
प्रश्न 3 | जीवन की एक हास्यास्पद घटना | बालपन मानव का श्रेष्ठतम काल होता है। एक बार विद्यालय के वार्षिकोत्सव की तैयारी चल रही थी, जब हमारी कक्षा की छात्राओं में से एक की तबीयत खराब हो गई। मुझे नृत्य करने के लिए तैयार किया गया, लेकिन मंच पर मेरी साड़ी खुल गई, जिससे सभी हँसने लगे। बाद में यह घटना मुझे खुशी का आभास देती है। हास्य हमारे जीवन का सबसे अच्छा उपहार है, जो हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने में मदद करता है। |
प्रश्न 3 | पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव | भारतीय संस्कृति में भौतिक सुख की बजाय आत्मिक संतुष्टि को महत्व दिया गया है। पाश्चात्य संस्कृति में उपभोगवाद को बढ़ावा मिलता है और स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छंदता होती है। पाश्चात्य संस्कृति ने विज्ञान और तकनीकी में कई अविष्कार किए हैं, जैसे कि मोबाइल फोन और इंटरनेट, जो हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी हैं। भारतीयों को पाश्चात्य देशों से सफाई और स्वच्छता के बारे में सीखना चाहिए, लेकिन भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक सिद्धांतों के साथ जीवन जीना चाहिए। |
प्रश्न 4: निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढिए किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए | नाटक का अर्थ और अन्य विधाओं से भिन्नता | नाटक साहित्य की एक विधा है जिसे पढ़ने, सुनने और देखने की क्षमता होती है। इसका मुख्य उद्देश्य अभिनय है। नाटक और अन्य विधाओं में अंतर यह है कि नाटक में मंचन के बाद ही वह संपूर्ण होता है, जबकि अन्य विधाएँ लिखित रूप में ही अंतिम रूप में होती हैं। |
प्रश्न 4 | कहानी की मौखिक परंपरा और प्रभावशाली तत्त्व | कहानी की मौखिक परंपरा प्राचीन समय से रही है। यह संचार का बड़ा माध्यम थी। कहानी को आकर्षक बनाने के लिए आरंभ और अंत सरल होना चाहिए। भाषा सरल और स्वाभाविक होनी चाहिए, साथ ही घटनाएँ संतुलित विस्तार से दी जानी चाहिए। |
प्रश्न 4 | अप्रत्याशित विषयों पर लेखन की चुनौती | अप्रत्याशित विषयों पर लेखन करते समय लेखक को आत्मनिर्भर होकर लिखना पड़ता है। उसे विषय से संबंधित बिंदुओं पर विचार करना होता है और अभिव्यक्ति का अभ्यास करना होता है। लेखन के दौरान भाषा की शुद्धता और सटीकता भी जरूरी होती है। |
प्रश्न 4 | समाचार लेखन में ‘सकारों’ का ध्यान रखना | समाचार लेखन में चार ‘सकारो’ का ध्यान रखना आवश्यक है: (i) सत्यता – समाचार सच्चाई पर आधारित होना चाहिए। (ii) स्पष्टता – समाचार सरलता से समझा जा सके। (iii) संक्षिप्तता – समाचार संक्षिप्त रूप में होना चाहिए। (iv) सुरुचि – समाचार की भाषा रोचक होनी चाहिए। |
प्रश्न 4 | हर घटना समाचार नहीं होती | हर घटना समाचार नहीं होती है। केवल वही घटनाएँ समाचार बन सकती हैं जिनका सार्वजनिक हित हो। जैसे, अस्पताल में इलाज की लापरवाही से किसी मरीज की मृत्यु हो जाए तो यह समाचार बन सकता है। |
प्रश्न 5 | बीट रिपोर्टिंग क्या है और पत्रकार को क्या तैयारी करनी होती है | बीट रिपोर्टिंग एक पत्रकार के लिए विशिष्ट क्षेत्र की जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया है। पत्रकार को अपनी बीट से संबंधित सभी घटनाओं और तथ्यों की पुष्टि करनी होती है। इसके लिए उसे क्षेत्रीय विशेषज्ञता प्राप्त करनी होती है। |
प्रश्न 5 | समाचार लेखन के लिए आवश्यक तथ्य | समाचार लेखन के लिए आवश्यक तथ्य हैं: पृष्ठभूमि का ज्ञान, संबंधित तथ्य इकट्ठा करना, समाचार को उपयुक्त अनुच्छेदों में विभाजित करना, शब्दों की पुनरार्वृत्ति से बचना, और भाषा में सामासिकता का ध्यान रखना। |
प्रश्न 5 | विशेष लेखन और इसकी भाषा-शैली | विशेष लेखन किसी विशेष विषय पर किया जाता है। इसमें तकनीकी शब्दावली का उपयोग होता है। जैसे, पर्यावरण लेखन में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ और व्यापार में ‘तेजड़िए’ शब्दों का उपयोग। इसकी शैली विषय के अनुसार होती है। |
खंड ग – पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)
Question No. | Question | Answer |
प्रश्न 6 | निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5) कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने बाहर-भीतर इस घर, उस घर कविता के पंख लगा उड़ने के माने चिड़िया क्या जाने? | |
(क) कविता किसकी तरह उड़ान भरती है? | (i) चिड़िया की तरह (ii) तोते की तरह (iii) कौए की तरह (iv) पतंग की तरह | (i) चिड़िया की तरह |
(ख) चिड़िया की उड़ान की ……….. होती है। | (i) एक निश्चित सीमा (ii) एक अनिश्चित सीमा (iii) एक निश्चित घेरा (iv) एक निश्चित पर्यावरण | (i) एक निश्चित सीमा |
(ग) कवि ने कविता को किसकी उड़ान माना है? | (i) कल्पना की (ii) शब्द की (iii) सीमाओं की (iv) प्रश्नों की | (i) कल्पना की |
(घ) कथन (A) कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान से भिन्न है। कारण (R) चिड़िया की उड़ान की एक निश्चित सीमा है। | (i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। (ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है। (iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है। (iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। | (iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। |
(ङ) “कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने” पंक्ति से क्या आशय है? | (i) कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान से कम होती है। (ii) कविता की उड़ान असीमित है, इसे चिड़िया नहीं समझ पाती है। (iii) कविता और चिड़िया दोनों की उड़ान अनंत है। (iv) कविता की उड़ान से चिड़िया भली-भाँति परिचित है। | (ii) कविता की उड़ान असीमित है, इसे चिड़िया नहीं समझ पाती है। |
प्रश्न 7 | निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6) | |
(क) ‘पतंग’ कविता में कवि बच्चों के कोमल व उल्लसित मन को किस प्रकार रेखांकित करता है? | ‘पतंग’ कविता में कवि कहता है कि बच्चे तो जन्म से ही अपने साथ कपास जैसी कोमल भावनाएँ एवं लचीला शरीर लेकर आते है। उनकी भायनाएँ स्वच्छ, पवित्र व कोमल होती हैं, साथ ही उनकी शारीरिक सक्रियता देखते ही बनती है। उनके बेचैन चंचल पैरों को तो थमने या रुकने की सुध ही नहीं रहती। वे भागते-दौड़ते सक्रिय व जीबंत रहते हैं। सभी दिशाएँ उनकी सक्रियता की ताल से मृदंग की तरह बजती दिखाई देती हैं। | |
(ख) ‘कवितावली’ पाठ में तुलसी के संकलित कवित्तों में चित्रित तत्कालीन आर्थिक विषमताओं पर टिप्पणी कीजिए। | गोस्वामी तुलसीदास भक्त कवि थे। उन्होंने अपने युग की आर्थिक विषमता को निकटता से ही नहीं देखा, बल्कि अनुभव भी किया है। तत्कालीन समय में चारों ओर अकाल के कारण बेरोज़ारी और भुखमरी फैली थी। लोगों के पास काम नहीं था। लोग संतान तक बेचने के लिए विवश थे। चारों ओर लाचारी और विवशता ही दिखाई पड़ती थी। पेट की आग समुद्र की आग से भी अधिक भयंकर थी, जिसके लिए लोग कुकर्म कर रहे थे और अपने धंधे में भी धर्म-अधर्म का विचार नहीं कर रहे थे। इस प्रकार, तुलसी का युग अनेक आर्थिक विषमताओं से घिरा था। | |
(ग) दिवाली की रात माँ के वात्सल्य का चित्रण कवि ने किस प्रकार किया है? दिवाली के उल्लास के समय वातावरण का चित्रण करते हुए बताइए। | दिवाली की रात माँ के वात्सल्य का चित्रण करते हुए कवि कहता है कि दिवाली की शाम है। सभी घरों को स्वच्छ तथा पवित्र किया गया है और खूब सजा दिया गया है। माँ अपने बच्चे के लिए चीनी-मिट्टी के खिलौने तथा जगमगाते लावे (धान या चावल से निर्मित खाद्य पदार्थ) लाई है। वह रूपवती माँ, जिसके चेहरे पर ममता, वात्सल्य और दुलार की एक कोमल-सी आभा है, अपने बच्चे के घरौदे (मिट्टी का घर) को सजाती है तथा उसमें एक दीप जलाती है। यह सब देखकर बच्चा प्रसन्न हो जाता है और अपने बच्चे की प्रसन्नता से ही माँ का चेहरा गर्व से खिल उठता है। | |
प्रश्न 8 | निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4) | |
(क) ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कथन किस बात की ओर इशारा करता है? | ‘परदे पर वक्त की कीमत है’, ऐसा कहकर कायंक्रम को प्रस्तुत करने वाला यह बताना चाहता है कि वह कितने महत्वपूर्ण संचार माध्यम में कार्य कर रहा है। जिसमें उसका उद्देश्य समाज की भलाई करना है। इसके विपरीत उनका उद्देश्य अपने चैनल को प्रसिद्ध करना तथा धन कमाना है। इसलिए वहाँ पर एक-एक पल की कीमत पहले से तय होती है। अपंग व्यक्ति पर आधारित कार्यक्रम अपंग व्यक्ति का साक्षात्कार नहीं है, अपितु उसकी अपंगता को देश के आगे रखकर प्रसिद्धि व धन अर्जित करना है। अत: इस पंक्ति को कहकर कवि ऐसे कार्यक्रमों के प्रति अपनी नाराजगी और क्रोध को व्यक्त करता है। | |
(ख) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ में पक्षी तो लौटने को विकल हैं, पर कवि में उत्साह नहीं है। ऐसा क्यों? | ‘दिन जल्दी-जल्दी ठलता है’ में पक्षियों को घोंसले में उनकी प्रतीक्षा करते अपने बचचों का स्मरण होने के कारण वे अपने घोंसले में पहुँचने के लिए व्याकुल हैं। इसके विपरीत कवि के घर पर उसकी प्रतीक्षा करने वाला कोई नहीं है, उससे मिलने के लिए न कोई व्याकुल है और न ही कोई उत्कंठित, इसलिए वह किसके लिए शी करे? अत: पक्षी तो लौटने को विकल हैं, पर कवि में कोई उत्साह नहीं है। | |
(ग) “विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा-पाते।” ‘बादल राग’ कविता के आधार पर भाव स्पष्ट कीजिए। | ‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य क्रांति रूपी गर्जना से है। जब क्रांति होती है, तब पूँजीपति वर्ग को अपनी सत्ता छिनने का भय लगने लगता है। उन्हें अपना साम्राज्य बिखरता-लुटता हुआ नज़र आने लगता है। इस क्रांति का सर्वांधिक लाभ शोषित वर्ग को मिलता है। उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं होता, जो प्राप्त हो जाए वही उनके लिए बहुमूल्य है। | |
प्रश्न 9 | निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5) | |
सेवक-धर्म में हनुमान जी से स्पर्द्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है-नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी, पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्राय: सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है, पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना समृद्धि-सूचक नाम किसी को बताती नहीं। केवल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का परिचय देने के लिए उसने शेष इतिवृत्त के साथ यह भी बता दिया, पर इस प्रार्थना के साथ कि मैं कभी नाम का उपयोग न करूँ। | ||
(क) प्रस्तुत गद्यांश में हनुमान जी का नाम किस प्रसंग में उद्धृत हुआ है? | (i) भक्तिन का महादेवी जी के प्रति सेवा-भाव दर्शाने के लिए (ii) महादेवी जी के प्रति उसकी भक्ति-भावना दर्शाने के लिए (iii) महादेवी जी के प्रति उसकी श्रद्धा-भावना दर्शाने के लिए (iv) महादेवी जी के प्रति उसकी कर्तव्यपरायणता दर्शाने के लिए | (i) भक्तिन का महादेवी जी के प्रति सेवा-भाव दर्शाने के लिए |
(ख) ‘अनामधन्या गोपालिका की कन्या’ संबोधन किसके लिए प्रयोग किया गया है? | (i) धन की देवी (ii) महादेवी (iii) भक्तिन (iv) लेखिका | (iii) भक्तिन |
(ग) कथन (A) भक्तिन अपना असली नाम किसी को नहीं बताती थी। कारण (R) वास्तविक नाम के अर्थ और उसके जीवन के यथार्थ में विरोधाभास था। | (i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। (ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है। (iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं। (iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण | (i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। |