Table of Contents
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) जल्द ही 38800 TGT, PGT, प्रिंसिपल की भर्ती निकालने जा रही है|सभी अभियार्थी जो EMRS भर्ती के बारे में जानने को उतेजित है, वे इस लेख को पढ़ कर जान सकते है| एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) की परिकल्पना 1997-98 में की गई थी। EMRS का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
EMRS में छात्रों को रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और सर्वांगीण विकास प्रदान किया जाता है। उन्हें बेहतर रोजगार के अवसरों को सुरक्षित करने में मदद करने के लिए उच्च और व्यावसायिक शिक्षा और डिग्री लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। EMRS के प्रबंधन की प्रभावी ढंग से निगरानी करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2021 में एक समर्पित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्रस्तावित की है, जिसमें धन जारी करने, उनके उपयोग, निर्माण की प्रगति और अन्य गतिविधियों से संबंधित स्कूल-वार जानकारी होगी।
EMRS स्कूल क्या हैं?
एकलव्य स्कूल जिन्हें एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल्स (EMRS) भी कहते हैं की स्थापना साल 1997-98 में की गई थी. ये स्कूल खासतौर पर पिछड़ी जाती के छात्रों के लिए बनाए जाते हैं ताकि उन्हें पढ़ाई के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें. ये स्कूल केवल एजुकेशन पर नहीं बल्कि ओवर-ऑल डेवलेपमेंट पर फोकस करते हैं. ये स्कूल राज्य सरकारों के अंडर में आते है जिन्हें इनकी स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा फंड दिया जाता है.
इन स्कूलों की संख्या बढ़ाने के लिए ये तय किया गया था कि साल 2022 खत्म होने तक हर वो ब्लॉक जिसमें 50 प्रतिशत एसटी पॉपुलेशन है और जहां कम से कम 20 प्रतिशत ट्राइबल आबादी रहती है, वहां एक EMRS यानी एकलव्य स्कूल होगा.ये स्कूल मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के अंतर्गत आते हैं और इनकी आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक सरकार द्वारा कुल 690 एकलव्य स्कूल सेंशन किए गए हैं. इनमें से 401 स्कूल फंक्शनल हैं.
EMRS स्कूल का महत्व
EMRS (Eklavya Model Residential School) भारत में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण एक पहल है। इन स्कूलों की स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई है और इनका मुख्य उद्देश्य आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। ये स्कूल आदिवासी जनजातियों के आरक्षित क्षेत्रों में स्थापित होते हैं और इन्हें आदिवासी जनजाति के छात्रों के लिए संचालित किया जाता है।
EMRS स्कूलों के महत्व के बारे में कुछ मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं:
- आदिवासी छात्रों के लिए सुविधाजनक शिक्षा: EMRS स्कूल आदिवासी छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई हैं। इन स्कूलों में पाठ्यक्रम आदिवासी संस्कृति और भाषाओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किए जाते हैं। छात्रों को उनकी जीवनशैली, संस्कृति, और सामाजिक मुद्दों के बारे में शिक्षा प्रदान की जाती है, जो उनके सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विकास में मदद करती है।
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: EMRS स्कूलों में छात्रों को उच्चतर माध्यमिक और उच्चतर सेकेंडरी कक्षाओं में शिक्षा प्रदान की जाती है। ये स्कूल उच्च शिक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार करते हैं और छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करने की संभावना प्रदान करते हैं।
- आरक्षित क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच: EMRS स्कूल आदिवासी आबादी के आरक्षित क्षेत्रों में स्थापित होते हैं और इसके फलस्वरूप छात्रों को उच्च शिक्षा की सुविधा अपने निवास स्थान के करीब प्राप्त होती है। इससे छात्रों को गांवों और दूरगामी क्षेत्रों से दूरभाष में शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती है।
EMRS स्कूलों का महत्वपूर्ण कारण यह है कि वे आदिवासी छात्रों के लिए एक समर्पित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। इन स्कूलों के माध्यम से, आदिवासी छात्रों को अच्छी शिक्षा के अवसर प्राप्त होते हैं और इसके फलस्वरूप उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में सुधार होता है।
EMRS शिक्षक पात्रता क्या है?
सभी पदों के लिए EMRS पात्रता मानदंड को नीचे विस्तार से दिया गया है।
पद | EMRS पात्रता मानदंड |
प्रिंसिपल |
o एक समान पद धारण करना, या o किसी मान्यता प्राप्त हाई स्कूल / हायर सेकेंडरी स्कूल / सीनियर सेकेंडरी स्कूल / इंटरमीडिएट कॉलेज में शिक्षण का दस साल का अनुभव (वाइस प्रिंसिपल / पीजीटी / टीजीटी) |
वाईस प्रिंसिपल |
वांछित:
|
PGT | • कुल मिलाकर कम से कम 50% अंकों के साथ संबंधित विषय में एनसीईआरटी के शिक्षा के क्षेत्रीय कॉलेज से दो वर्षीय एकीकृत स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम।
या निम्नलिखित विषय में कुल मिलाकर कम से कम 50% अंकों के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री:
और
|
TGT | एनसीईआरटी के रीजनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन से संबंधित विषय में कम से कम 50% अंकों के साथ चार साल का इंटीग्रेटेड डिग्री कोर्स।
या संबंधित विषय / विषयों के संयोजन और कुल मिलाकर कम से कम 50% अंकों के साथ स्नातक की डिग्री।
और
|
EMRS आयु सीमा क्या है?
यहां नीचे EMRS शिक्षक भर्ती आयु सीमा दी गयी है।
पद | EMRS शिक्षक भारती आयु सीमा |
प्रिंसिपल | 50 वर्ष से अधिक नहीं (भारत सरकार के नियमों के अनुसार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य के लिए आयु में छूट लागू होगी) |
वाईस प्रिंसिपल | 45 वर्ष (भारत सरकार के नियमों के अनुसार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य के लिए आयु में छूट लागू होगी) |
PGT | 40 वर्ष (भारत सरकार के नियमों के अनुसार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य के लिए आयु में छूट लागू होगी) |
TGT | 35 वर्ष तक (भारत सरकार के नियमों के अनुसार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य के लिए आयु में छूट लागू होगी) |
EMRS शिक्षक नोटिफिकेशन 2023
एनटीए द्वारा EMRS शिक्षक नोटिफिकेशन 2023 जल्द ही जारी की जाएगी। एनटीए के सहयोग से जनजातीय मामलों के मंत्रालय को लगभग 38000 कुल शिक्षक रिक्तियों को जारी किया जाएगा, जैसे कि प्रिंसिपल, वाइस-प्रिंसिपल, पीजीटी और टीजीटी। पढ़ाने के इच्छुक लोगों के लिए यह एक बड़ा शिक्षण अवसर है। EMRS शिक्षक नोटिफिकेशन 2023 में पात्रता मानदंड आवेदन दिशानिर्देश, परीक्षा की योजना और EMRS शिक्षक भर्ती 2023 पर आवश्यक जानकारी शामिल होगी।
EMRS सिलेबस 2023
EMRS (एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) और स्नातकोत्तर शिक्षक (पीजीटी) पदों और अन्य के लिए सिलेबस जारी किया है। एक बार जारी होने के बाद उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सीधे EMRS 2023 सिलेबस और परीक्षा पैटर्न डाउनलोड कर सकते हैं। उम्मीदवारों को परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक जानकारी पता होनी चाहिए।
EMRS Important Links | |
EMRS Previous Year Question Paper | EMRS Recruitment |
EMRS Syllabus & Exam Pattern 2023 | EMRS Salary 2023 |
EMRS Selection Process 2023 | EMRS Exam Date |