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द्विगु समास की परिभाषा
द्विगु समास एक प्रकार का समास है जिसमें पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद प्रधान होता है। संख्यावाचक शब्द समूह या समाहार का बोध कराता है। इस समास के दूसरे पद को महत्व दिया जाता है।
द्विगु समास के उदाहरण
क्रमांक | द्विगु समास | अर्थ |
---|---|---|
1 | द्वार | दो द्वारों का समूह |
2 | दृष्टि | दो दृष्टियों का समूह |
3 | त्रिकोण | तीन कोणों का समूह |
4 | पंचतत्व | पांच तत्वों का समूह |
5 | सप्तऋषि | सात ऋषियों का समूह |
6 | द्विगुण | दो गुणों का समूह |
7 | द्विधा | दो धारणाओं का समूह |
8 | द्विपद | दो पदों का समूह |
9 | द्विरात्र | दो रातों का समूह |
10 | द्विपक्ष | दो पक्षों का समूह |
11 | द्वीप | जल से घिरा हुआ दो भूमि का समूह |
12 | द्विविधा | दो रास्तों का समूह |
13 | द्विज | दो बार जन्म लेने वाला (पक्षी, मनुष्य) |
14 | द्विचक्र | दो पहियों वाला वाहन |
15 | द्विभाषी | दो भाषाओं का ज्ञान रखने वाला |
द्विगु समास के भेद
द्विगु समास के दो मुख्य भेद हैं:
- समाहार द्विगु समास: इसमें दोनों शब्दों का अर्थिक और भावनात्मक समान्यता से मेल होता है।
- उत्तरपद प्रधान द्विगु समास: इसमें दोनों शब्दों में से एक शब्द उत्तरपद होता है, जो अन्य शब्द को विशेषण करता है।
उदाहरण:
1) समाहार द्विगु समास:
- त्रिलोक (तीन लोकों का समाहार)
- त्रिभुवन (तीन भुवनो का समाहार)
- पंचवटी (पांचों वेटो का समाहार)
2) उत्तरपद प्रधान द्विगु समास:
- दुमाता (दो माँ का)
- पंचप्रमाण (पांच प्रमाण)
- दुसुति (दो सुतों के मेल का)
- पंचहत्थड (पांच हत्थड)
द्विगु समास की विशेषताएं
- द्विगु समास में प्रथम पद संख्यावाची विशेषण होता है।
- द्वितीय पद समास का प्रधान पद होता है।
- समास के विग्रह में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।
- समास के पदों के बीच में कोई संधि नहीं होती है।
- समस्त पद नपुंसकलिंग और एकवचन होता है।