Home   »   हिंदी व्याकरण   »   गद्य शिक्षण

प्राथमिक स्तर पर हिंदी गद्य शिक्षण – उद्देश्य, विधियाँ

प्राथमिक स्तर पर हिंदी गद्य शिक्षण को छात्रों के लेखन कौशल का आधार रखकर किया जाता है। यह छात्रों को समझदारी से शब्द संयोजन, वाक्य रचना, और सही व्याकरण का अभ्यास करने में मदद करता है। यह उन्हें भाषा के नियमों, लेखन की प्रक्रिया, और अच्छी गद्य रचना के बारे में सिखाता है।

गद्य शिक्षण को सामान्यतः पठन शिक्षा के समानान्तर माना जाता है। पठन की आरम्भिक शिक्षा – अक्षर, शब्द तथा वाक्य पठन कौशल तक सीमित है परन्तु पठन के भावग्रहण आदि उच्च कौशल गद्य शिक्षण के अन्तर्गत आते हैं। गद्य शिक्षण के समय पठन – गति, शब्द उच्चारण, शब्दार्थ, ज्ञान व्याख्या, विचार विश्लेषण आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

गद्य शिक्षण 

हिंदी गद्य शिक्षण विद्यालयों में गद्य लेखन की शिक्षा के प्रति ध्यान केंद्रित करने का एक प्रयास है। इसका मकसद छात्रों को गद्य लेखन कौशल का विकास करना है जिससे वे अपने विचारों को सार्थकतापूर्वक व्यक्त कर सकें और एक सुंदर रूपांतरण दे सकें। हिंदी गद्य शिक्षण छात्रों को अपने लेखन कौशल में सुधार करने, समझदारी से समस्याओं का विश्लेषण करने, विभिन्न पक्षों को व्यक्त करने और रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए सहायता करता है।

गद्य शिक्षण के उद्देश्य

  1. मनोयोग से सुनने तथा सुनकर अर्थ ग्रहण करने के योग्य बनाना।
  2. एकाग्रभाव से पढ़ने की कुशलता उत्पन्न करना।
  3. छात्रों को उचित गति, आरोह – अवरोह के साथ पढ़ने में कुशल बनाना।
  4. विराम चिन्हनों को ध्यान रखते हुए पढ़ने के योग्य बनाना।
  5. मौन वाचन करके अर्थ ग्रहण करने के योग्य बनाना।
  6. शुद्ध उच्चारण का ज्ञान प्रदान करना।
  7. छात्रों में भावाभिव्यक्ति की क्षमता का विकास करना।
  8. मौखिक एवं लिखित अभिव्यक्ति का विकास करना।
  9. छात्रों को लिपि का ज्ञान देना।
  10. छात्रों में भाषा विषयक शुद्धता के प्रति सावधानी का भाव उत्पन्न करना।
  11. छात्रों के शब्द – भण्डार में वृद्धि करना।
  12. छात्रों में शब्दकोश के प्रयोग की योग्यता विकसित करना।
  13. निरीक्षण शक्ति का विकास करना।
  14. छात्रों में स्पष्ट, संगत एवं क्रमबद्ध चिन्तन को विकसित करना।
  15. छात्रों में कल्पना शक्ति का विकास करना।
  16. छात्रों में विवेचनात्मक एवं समीक्षात्मक दृष्टिकोण विकसित करना।
  17. तथ्यों को समझने तथा उनका जीवन में प्रयोग करने के योग्य बनाना।
  18. छात्रों के भाषा सम्बन्धी ज्ञान में वृद्धि करना।

गद्य शिक्षण की विधियाँ

गद्य शिक्षण की विधियाँ निम्नलिखित हैं

अर्थ कथन विधि

गद्य शिक्षण की यह एक परम्परागत विधि है। इस विधि में शिक्षक पहले गद्यांश का वाचन करता है फिर उसमें आए कठिन शब्दों का अर्थ बतलाता है तथा बाद में सभी वाक्यों का सरलार्थ बताते हए गद्यांश का अर्थ स्पष्ट कर देता है। इस विधि में सारा कार्य शिक्षक ही करता है तथा छात्र निष्क्रिय श्रोता बने रहते हैं। अतः यह विधि अमनोवैज्ञानिक है।

व्याख्या विधि

यह शिक्षण विधि अर्थ कथन विधि का ही विकसित रूप है। इस विधि में शिक्षक आदर्शवाचन के उपरान्त कठिन शब्दों का अर्थ व गद्यांश का सरलार्थ करते हुए शब्दों व भावों की व्याख्या भी करता है। शब्दों की व्याख्या के अन्तर्गत शिक्षक शब्दों में आए उपसर्ग, प्रत्यय सन्धि व समास आदि की दृष्टि से भी व्याख्या करता है तथा शब्दों में छिपे प्रसंगों व कथानकों को स्पष्ट करता है और भावों को स्पष्ट करने के लिए उनकी विस्तृत व्याख्या करता है। इसमें शिक्षक लेखक का दार्शनिक पक्ष, उद्देश्य, उसके भावपक्ष व कलापक्ष आदि की व्याख्या करते हुए व्यापक अर्थ बताने का प्रयास करता है जिससे छात्रों में अनुभूति का विकास होता है।

प्रश्नोत्तर विधि

इंस विधि को विश्लेषण विधि भी कहा जाता है। यह व्याख्या प्रणाली का ही परिमार्जित रूप है। इस विधि में प्रवचन प्रविधि की सहायता ली जाती है। इसमें सर्वप्रथम शिक्षक कठिन शब्दों का अर्थ छात्रों से ही निकलवाने का प्रयास करता है परन्तु जब किसी भी तरीके से अर्थ निकलवाने में सफल नहीं हो पाता तो उसका अर्थ शिक्षक स्वयं बताता है। इस विधि में व्याख्या विधि की भाँति शब्दों व भावों की व्याख्या की जाती है, अन्तर इतना है कि इसमें शब्दों व भावों की व्याख्या करने के लिए प्रश्न – उत्तर की सहायता ली जाती है। इसमें छात्रों को प्रश्न सुनकर स्वयं सोचने व उत्तर देने का अवसर मिलता है अत: छात्र पूर्णतः सक्रिय रहते हैं।

समीक्षा विधि

इस विधि में शिक्षक पाठ्यवस्तु का वाचन कर भाषायी तत्त्वों के आधार पर पाठ्यवस्तु के गुण – दोषों की समीक्षा करता है। इस विधि में शिक्षक सर्वप्रथम गद्य – पाठ के अर्थ एवं भावों का स्पष्टीकरण करता है। भाव स्पष्टीभाव के उपरान्त शिक्षक छात्रों को भाषायी तत्त्वों का ज्ञान प्रदान करता है। इसके आधार पर ही शिक्षक छात्रों को पाठ्यवस्तु के गुण – दोषों की समीक्षा करने के लिए कहता है। यह विधि छात्रों में स्वाध्याय की आदत उत्पन्न करने में सहायक होती है।

संयुक्त विधि

प्रारम्भिक स्तर पर उपर्युक्त सभी विधियों का आवश्यकतानुसार मिला – जुला रूप प्रयोग करके भी शिक्षक गद्य शिक्षण को प्रभावशाला बना सकता है। विभिन्न विधियों के मिले – जुले रूप को ही संयुक्त विधि कहा जाता है। शिक्षक भाषायी कौशलों का ज्ञान प्रदान करने के लिए व्याख्या व विश्लेषण प्रणाली का उपयोग कर सकता है। विधिया के संयुक्त रूप का प्रयोग करके बच्चों को गद्य पाठों की शिक्षा बहुत ही रोचक व प्रभावशाली ढंग से दी जा सकती है।

इस प्रकार शिक्षक गद्य – शिक्षण के लिए अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी एक विधि, दो विधियों अथवा सभी विधियों का संयुक्त रूप से प्रयोग कर सकता है।

Download प्राथमिक स्तर पर हिंदी गद्य शिक्षण Study Notes PDF

Sharing is caring!

FAQs

प्राथमिक स्तर पर हिंदी गद्य शिक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

हिंदी गद्य शिक्षण प्राथमिक स्तर पर छात्रों के लेखन कौशल को विकसित करने में मदद करता है। इसके माध्यम से छात्र सही व्याकरण, शब्द संयोजन और वाक्य रचना का अभ्यास करते हैं और भाषा के नियमों, लेखन की प्रक्रिया और अच्छी गद्य रचना के बारे में सीखते हैं।

गद्य शिक्षण को सामान्यतः किसे माना जाता है?

गद्य शिक्षण को सामान्यतः पठन शिक्षा के समानान्तर माना जाता है। इसमें पठन की आरम्भिक शिक्षा जैसे अक्षर, शब्द और वाक्य पठन कौशल शामिल होते हैं, परंतु पठन के भावग्रहण आदि उच्च कौशल गद्य शिक्षण के अंतर्गत आते हैं।

About the Author

As a Team Leader at Adda247, I lead content creation efforts tailored to National and State-level government exams, with a specialized focus on the Teaching-UGC domain. Every article I develop is designed to inform, engage, and motivate aspirants on their path to success. At the heart of my role lies a commitment to ensuring our work reflects Adda247’s passion for educational excellence and serves as a stepping stone for students chasing their dreams.