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श्रवण कौशल, वाचन कौशल परिभाषा, भेद और उदाहरण are the parts of Hindi Language skills section in Hindi Pedagogy. श्रवण कौशल, वाचन कौशल topic comes in CTET exam which contains 2-4 questions.
Hindi Language Skills are listening, speaking, writing, reading and we are here about to learn श्रवण कौशल, वाचन कौशल परिभाषा, भेद और उदहारण. Here we are going to श्रवण कौशल, वाचन कौशल परिभाषा, भेद और उदाहरण in Hindi Language.
भाषा कौशल
भाषा कौशल (Bhasha Kaushal) वह क्षमता है जिसके माध्यम से व्यक्ति सुनने (श्रवण), बोलने, पढ़ने और लिखने के माध्यम से प्रभावी संचार कर सकता है। यह किसी भी भाषा को समझने, अभिव्यक्त करने और दूसरों तक सही तरीके से पहुंचाने की दक्षता को दर्शाता है। भाषा कौशल का विकास व्यक्तिगत, शैक्षिक और व्यावसायिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सहायक होता है।
भाषा कौशल की विशेषताएँ
- कौशल भाषा का व्यवहारिक पक्ष है।
- बालक की सम्प्रेषणीयता उसके भाषा कौशल पर निर्भर करती है।
- भाषा कौशल अर्जित किया जाता है जो प्रशिक्षण से आता है।
- भाषा कौशल में शाब्दिक अन्तःक्रिया होती है।
- भाषा कौशल से मानसिक, शारीरिक, ज्ञानेन्द्रियाँ आदि सभी क्रियाएँ क्रियाशील रहती हैं।
- पहले के कौशल बाद के कौशल से अच्छे माने जाते हैं।
- भाषा कौशल अन्तःसम्बन्धित होते हैं।
- भाषा कौशलों का विकास धीरे-धीरे होता है।
श्रवण कौशल
श्रवण कौशल (Shravan Kaushal) वह क्षमता है जिसके द्वारा व्यक्ति ध्यानपूर्वक सुनकर, समझकर और उपयुक्त प्रतिक्रिया देकर प्रभावी संचार करता है। यह केवल शब्दों को सुनने तक सीमित नहीं होता, बल्कि बोलने वाले की भावनाओं, विचारों और संदेशों को सही ढंग से ग्रहण करने की योग्यता को भी दर्शाता है।
श्रवण कौशल के उद्देश्य
- दूसरों की बात को ध्यानपूर्वक सुनने की आदत डालना।
- दूसरे के द्वारा किए गए उच्चारण को सुनकर शुद्ध उच्चारण का अनुकरण करना।
- शुद्ध सामग्री का अर्थ समझने की योग्यता विकसित करना।
- वक्ता के मनोभावों को समझने में निपुण बनना।
- ध्वनियों का विभेदीकरण करने की क्षमता विकसित करना।
- छात्रों में शब्द भण्डार की वृद्धि करना।
- समाज, व्यवहार, जीवन सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना।
श्रवण कौशल की विधियाँ
श्रवण कौशल को विकसित करने के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है, जो व्यक्ति को सुनने, समझने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता बढ़ाने में मदद करती हैं। मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं:
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सस्वर पाठ
- इसमें व्यक्ति या शिक्षक किसी पाठ को जोर से पढ़ते हैं, जिससे श्रोता ध्यानपूर्वक सुनकर शब्दों, उच्चारण और अर्थ को समझते हैं।
- यह भाषा की स्पष्टता और श्रवण एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होता है।
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प्रश्नोत्तर विधि
- इसमें शिक्षक या वक्ता किसी विषय पर प्रश्न पूछते हैं और श्रोता उत्तर देते हैं।
- यह विधि श्रोताओं की समझने की क्षमता को परखने और उनके सोचने-समझने के कौशल को विकसित करने में सहायक होती है।
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वाद-विवाद विधि
- इस विधि में दो या अधिक पक्ष किसी विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं और अपने तर्कों से अपनी बात साबित करने का प्रयास करते हैं।
- यह आलोचनात्मक सोच, सुनने की क्षमता और तर्क शक्ति को मजबूत करता है।
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भाषण विधि
- इसमें कोई व्यक्ति किसी विषय पर विस्तार से बोलता है और श्रोता उसे ध्यानपूर्वक सुनते हैं।
- यह विधि सुनने की एकाग्रता, समझ और विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ाती है।
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नाटक मंचन
- इस विधि में विभिन्न पात्र संवादों के माध्यम से अपनी बात रखते हैं और श्रोता ध्यानपूर्वक उन संवादों को सुनते हैं।
- यह भावनात्मक अभिव्यक्ति, भाषा कौशल और श्रवण एकाग्रता को मजबूत करता है।
वाचन कौशल
वाचन कौशल (Vachan Kaushal) वह क्षमता है जिसके माध्यम से व्यक्ति लिखित सामग्री को सही उच्चारण, गति, प्रवाह और समझ के साथ पढ़ता है। यह केवल शब्दों को पहचानने तक सीमित नहीं होता, बल्कि उनके अर्थ को समझने, विश्लेषण करने और सही अभिव्यक्ति के साथ प्रस्तुत करने की योग्यता को भी दर्शाता है। प्रभावी वाचन कौशल के लिए शब्दावली की समझ, भावात्मक अभिव्यक्ति, उचित विराम चिह्नों का प्रयोग और आलोचनात्मक सोच आवश्यक होती है। यह शिक्षा, संचार और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वाचन कौशल के उद्देश्य
- अपने भावों, विचारों, अनुभवों को सरलतापूर्वक, स्पष्ट ढंग से व्यक्त करने के योग्य बनना।
- शुद्ध उच्चारण, उचित स्वर, उचित गति एवं हाव-भाव के साथ बोलना सीखना।
- निसंकोच होकर अपने विचारों को व्यक्त करने के योग्य बनना।
- परस्पर वार्तालाप करने के योग्य बनना।
- धारा प्रवाह बोलने के योग्य बनना।
- स्वाभाविक रूप से बोलने के भाव जागृत करना।
- अपने विचारों को प्रभावोत्पादक ढंग से प्रस्तुत करना।
- आदर्श वाचन में अध्यापक अपने वाचन को गति, यति, आरोह-अवरोह, स्वराघात को ध्यान में रखकर कक्षा में प्रस्तुत करता है।
- अध्यापक द्वारा आदर्शवाचन के उपरान्त छात्रों द्वारा कक्षा में अनुकरण किया जाता है। पाठ के भावानुसार वाचन पैदा करने की क्षमता विकसित करना तथा ओजपूर्ण एवं उच्च स्वर से शृंगार रस के शिक्षण का वाचन आदि होता है।
- लिखित सामग्री को बिना आवाज निकाले पढ़ना मौन वाचन कहलाता है, मौन वाचन के माध्यम से छात्रों में स्वाध्याय की रूचि जागृत की जाती है।
वाचन कौशल की शिक्षण विधियाँ
सस्वर वाचन
- सस्वर वाचन के माध्यम से शिक्षक छात्रों की मौखिक अभिव्यक्ति का विकास कर सकता है।
- शिक्षक पहले स्वयं अनुच्छेद का वाचन करता है, फिर कक्षा के छात्रों से सस्वर वाचन कराता है।
- छात्रों की मौखिक अभिव्यक्ति सम्बन्धी संकोच दूर हो जाता है तथा उनका उच्चारण शुद्ध हो जाता है।
कविता पाठ
- छोटे बच्चों की बालगीतों व कविताओं में अधिक रूचि होती है।
- शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को कविता याद करने के लिए उत्साहित करे तथा किसी समारोह आदि में उचित हाव-भाव, आरोह-अवरोह तथा अंग-संचालन के साथ सुनाने का अवसर प्रदान करें।
कहानी सुनना
- कहानी कहना वाचन कौशल का एक सशक्त साधन है।
- छोटे बच्चे कहानियाँ अधिक पसंद करते हैं। शिक्षक पहले छात्रों को कहानी सुनाए, फिर उसी कहानी को सुनाने के लिए छात्रों से कहें।
- शिक्षक कहानी के वाचन में छात्रों की यथासम्भव सहायता करें। शिक्षक ध्यान रखें कि कहानी छात्रों के मानसिक स्तर के अनुरूप हो ।
- छात्रों की कल्पना-शक्ति के विकास के लिए शिक्षक अधूरी कहानियों को छात्रों से पूरी करा सकता है। शिक्षक छात्रों से मौखिक प्रश्न पूछकर छात्रों में क्रमबद्ध तरीके से वर्णन कौशल, चिन्तन-मनन व कल्पना शक्ति का विकास कर सकता है।
चित्र वर्णन
- छोटे बच्चे चित्र देखने में रूचि लेते हैं। अत: चित्रों के माध्यम से भी उनके वाचन कौशल का विकास किया जा सकता है।
- शिक्षक छात्रों को चित्र दिखाकर उसके बारे में उनके भावों को सचेत करके उससे सम्बन्धित वर्णन करा सकते है। कहानी की विभिन्न घटनाओं के चित्र दिखाकर उनके आधार पर छात्रों को कहानी सुनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
- पशु-पक्षी का चित्र कक्षा में टाँगकर उसके बारे में बच्चों से बहुत-सी बातें पूछी जा सकती हैं। वाचन कौशल के विकास के लिए यह एक रोचक विधि है।
प्रश्नोत्तर
- छात्रों के वाचन कौशल का विकास करने के लिए प्रश्नोत्तर एक अच्छी विधि है।
- इसमें अध्यापक छात्रों से प्रश्न पूछकर उनसे प्राप्त उत्तरों द्वारा उनकी श्रवण अभिव्यक्ति को विकसित करता है।
- अध्यापक को चाहिए कि वह छात्रों से पूर्ण वाक्यों में उत्तर स्वीकार करे। यदि उत्तर अधूरा या अशुद्ध हो तो उसे सहानुभूति पूर्ण ढंग से ठीक कराए।
वार्तालाप
- शिक्षक छात्रों से औपचारिक व अनौपचारिक दोनों तरह का वार्तालाप करके उनके वाचन कौशल का विकास कर सकता है।
- शिक्षक छात्रों को अलग-अलग भूमिकाएं देकर उनका परस्पर 15 वार्तालाप करा सकता है। वार्तालाप कक्षा में, कक्षा से बाहर, खेल के मैदान में या घूमते हुए कहीं भी किया जा सकता है।
- छात्रों के वार्तालाप में शिक्षक की भाषा सरल, स्पष्ट, व्यवस्थित व जिज्ञासा को प्रेरित करने वाली हो। इससे बालक देश-काल व पात्रानुकूल अभिव्यक्ति को सीख पाते हैं।
वाद-विवाद
- वाद-विवाद में छात्र पूर्व-निर्धारित विषय पर विचारों को व्यक्त करते हैं। कुछ छात्र पक्ष व कुछ विपक्ष में विचार प्रस्तुत करते हैं।
- वाद-विवाद से विचाराभिव्यक्ति को तर्कपूर्ण ढंग से प्रतिपादित करने की कुशलता आती है।
- वाद-विवाद का विषय पहले से निर्धारित करके छात्रों को सूचित करना चाहिए जिससे वे उसकी अच्छी तरह तैयारी कर सकें।
भाषण
- भाषण मौखिक अभिव्यक्ति विकसित करने का एक सशक्त साधन है।
- अत:छात्रों को भाषण देने के प्रचुर अवसर दिए जाने चाहिएँ इसमें शिक्षक पूर्व-निर्धारित किसी विषय पर छात्रों को भाषण देने का अवसर प्रदान कर सकता है।
- भाषण के माध्यम से छात्र किसी विषय पर अधिक से अधिक विचारों का संकलन व उन्हें क्रमबद्ध तरीके से व्यक्त करना सीखते हैं।
- शिक्षक को छात्रों का मार्गदर्शन करके उन्हें भाषण प्रतियोगिता के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। भाषण के लिए ऐसे विषयों का चयन किया जाना चाहिए जो छात्रों के मानसिक स्तर के अनुरूप, उपयोगी व रोचक हो।
नाटक मंचन
- मौखिक अभिव्यक्ति के सभी गुणों को विकसित करने के लिए नाटक एक उपयोगी साधन है।
- इससे उचित हाव-भाव, उतार-चढ़ाव, प्रवाह, अवसर के अनुकूल भाषा आदि का अभ्यास कराया जा सकता है।
टेप रिकॉर्डर
- टेप रिकॉर्डर के माध्यम से छात्रों को रिकॉर्ड की गई अच्छी वार्ताएँ, भाषण, समसामयिक चर्चाएँ सुनाई जा सकती है।
- उन्हें सुनाकर छात्रों को प्रवाहमयी भाषा बोलने के लिए उत्साहित किया जाता है। इसमें पहले छात्रों को ध्यान से सुनने के लिए कहा जाता है।
- टेप रिकॉर्डर का बालकों के उच्चारण सुधारने में आवश्यकता अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।
टेलीफोन
- छात्रों को टेलीफोन या मोबाइल पर बातचीत का अवसर देकर उनकी मौखिक अभिव्यक्ति को विकसित किया जा सकता है।
- टेलीफोन पर छात्रों की बातचीत सुनकर शिक्षक उनकी मौखिक अभिव्यक्ति की कमियों का निराकरण कर सकता है।
- इससे छात्रों की मौखिक अभिव्यक्ति में संक्षिप्तता, सार्थकता, शिष्टता, सुबोधता आदि गुणों को विकसित किया जा सकता है।
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