हिंदी साहित्य एक विशाल जगत है जिसमें विभिन्न विधाएँ एवं प्रारंभिक काव्य, गद्य, नाटक, कहानी, उपन्यास आदि शामिल हैं। यह विधाएँ हिंदी साहित्य की संपूर्णता एवं अद्वितीयता का प्रतीक मानी जाती हैं। हिंदी साहित्य एक समृद्ध और अद्वितीय साहित्यिक परंपरा है जो हिंदी भाषा में लिखी जाती है। यह भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और एक व्यापक रूप से पढ़ा और प्रशंसित किया जाता है।
हिंदी साहित्य की विधाएँ
कक्षाकक्ष में साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे – कविता, कहानी, नाटक, एकांकी, जीवनी, संस्मरण, उपन्यास, निबंध, रेखाचित्र आदि का इस्तेमाल पाठ्य सामग्री के रूप में विभिन्न कौशलों के विकास के लिए किया जा सकता है।
- नाटक – नाटक में किसी महापुरुश के जीवन की घटनाओं का अनुकरण किया जाता है। जो कलाकार इन घटनाओं का अनुकरण कर हमारे सामने पेश करता है. अभिनेता कहलाता है। नाटक में मूलभाव अनुकरण या नकल होता है। नाटक का आनंद देख कर लिया जाता है, इसलिए यह दृश्य – काव्य कहलाता है। नाटक की वास्तविक सफलता मंच पर खेले जाने में है। जिन व्यक्तियों की कथा नाटक में होती है, वे आपस में या स्वयं से वार्तालाप करते हैं और वार्तालाप का आधार होती है भाषा।
- एकांकी – एकांकी में एक घटना होती है और वह नाटकीय कौशल से चरम सीमा तक पहुँचती है। इसमें संपूर्ण कार्य एक ही स्थान और समय में होता है। एकांकी में जीवन के किसी एक पक्ष को लिया जाता है। कम से कम पात्र होते हैं। इसमें छोटी – छोटी घटनाओं का वर्णन नहीं किया जाता है। संक्षिप्तता एकांकी के लिए आवश्यक है।
- उपन्यास – उपन्यास में लेखक मानव जीवन की तस्वीर को इस निपुणता से प्रस्तुत करता है कि हम उसमें डूब जाते हैं और उसमें वर्णित कथा हमें अपनी सी लगती है। उपन्यास में जीवन का व्यापक चित्रण किया जाता है।
- कहानी – कहानी एक ऐसा आख्यान है जो एक ही बैठक में पढ़ा जा सके और पाठक पर किसी एक प्रभाव को उत्पन्न कर सके। इसमें उन सभी बातों को छोड़ दिया जाता है जो इस प्रभाव को आगे बढ़ाने में मदद नहीं करतीं। कहानी में जीवन के किसी एक अंक का चित्रण रहता है। बड़ी से बड़ी कहानी भी छोटे से छोटे उपन्यास से छोटी होती है। कहानी में विचार को सांकेतिक रूप में रखा जाता है।
- निबंध – निबंध गद्य की वह विधा है जिसमें विचारों को क्रमबद्ध रूप में रखा जाता है। निबंध के लेखन के लिए अध्ययन और विषय का ज्ञान आवश्यक है। बाबू गुलाबराय के शब्दों में “निबंध सीमित आकार वाली वह रचना है जिसमें विषय का प्रतिपादन निजीपन, स्वच्छता, सौष्ठव, सजीवता और आवश्यक संगति तथा संबद्धता के साथ किया जाता है।”
- आत्मकथा – आत्मकथा का लेखक अपने जीवन के बारे में खुद लिखता है। दूसरे शब्दों में, किसी व्यक्ति द्वारा लिखी गई अपनी जीवनी आत्मकथा है। आत्मकथा का नायक लेखक स्वयं होता है। इसमें वह अपने बीते हुए जीवन पर दृष्टि डालता है। अपने अतीत का विश्लेषण करता है।
- जीवनी – जीवनी का लेखक किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में लिखता है। यानी जब कोई लेखक किसी अन्य व्यक्ति के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है तो उसे जीवनी कहते हैं। जीवनी का नायक लेखक स्वयं नहीं होता है, कोई अन्य व्यक्ति होता है।
- यात्रा वृत्तांत – जब लेखक अपनी यात्रा के दौरान देखे गए स्थानों का वर्णन करता है तो उसे यात्रा वृत्त या यात्रा साहित्य कहते हैं। लेखक वर्ण्य विषय का वर्णन आत्मीयता तथा निजता के साथ करता है। जिस विषय का वह वर्णन करता है उसके साथ उसका जुड़ाव होता है तथा उसके अपने जीवन संदर्भ भी उसमें आते हैं। यात्रा वृतांत्त का लेखक यात्रा के विवरणों में स्थान, दृश्य, घटनाएँ तथा व्यक्ति से संबंधित कटु एवं मधुर स्मृतियों का चित्रण करता है।
- रेखाचित्र – जब किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, घटना, दृष्य आदि का इस प्रकार वर्णन किया जाता है कि पाठक के मन पर उसका हू – ब – हू चित्र बन जाता है तो उसे रेखाचित्र कहते हैं। इस प्रकार के वर्णन में व्यक्ति को तटस्थ होना पड़ता है।
- संस्मरण – जब लेखक अपने या किसी अन्य व्यक्ति के जीवन में बीती किसी घटना अथवा दृश्य का स्मरण कर उसका वर्णन करता है तो उसे संस्मरण कहते हैं। संस्मरण स्मृति के आधार पर लिखा जाता है। संस्मरण लिखने के लिए जरूरी है कि लेखक का वर्णित व्यक्ति, घटना आदि के साथ व्यक्तिगत संबंध रहा हो। संस्मरण अतीत का ही हो सकता है, वर्तमान या भविष्य का नहीं। लेखक को उसमें अपनी कल्पना से कुछ भी जोड़ने की छूट नहीं होती
- कविता – कविता लयात्मक होती है। अमूर्त होती है। उसमें बिंबों का प्रयोग होता है। साथ ही उसमें मितव्ययता का खास ख्याल रखा जाता है यानी कम – से – कम शब्दों में अधिक और गहरी बात कहने की कोशिश की जाती है। कविता के प्रभाव उसे विशिष्ट बनाते हैं। कविता मुक्त छंद में भी लिखी जाती है और दूसरी तरफ छंदोबद्ध कविताएँ भी होती हैं। जैसे – दोहा, चौपाई आदि। कविता का अनुवाद कठिन होता है।
साहित्य के इन रूपों से परिचय कराने का उद्देश्य यह है कि ये आपको उन पाठ्य सामग्रियों को चुनने में मदद करेंगे जिन्हें आप कक्षाकक्ष में भाषा सिखाने के लिए बच्चों के साथ इस्तेमाल करना चाहते हैं। यहाँ स्मरणीय है कि आपको यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि बच्चे इन विभिन्न साहित्यिक रूपों के लक्षण के बारे में सीखें बल्कि इतना ही काफी है कि जहाँ तक संभव हो सके बच्चों को इन साहित्यिक रूपों के रोचक उदाहरणों से रू – ब – रू कराया जाय।
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