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लिंग – परिभाषा, प्रकार, और उदाहरण हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लिंग, जिसे अंग्रेजी में जेंडर कहा जाता है, आमतौर पर परिभाषा, प्रकार, और उदाहरणों पर आधारित 2-3 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों से बना होता है। लिंग का यह विषय सीटेट और भर्ती परीक्षाओं में आने वाले बहुविकल्पीय प्रश्नों को समाहित करता है। चलिए, हम लिंग – परिभाषा, प्रकार, और उदाहरण को विस्तार से समझें
लिंग (Gender)
शब्द के जिस रूप से पुरुष या स्त्री जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। यानी अगर स्त्री और पुरुष का बोध कराते हो, उन्हें लिंग कहा जाता है। आपको बता दें कि लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “निशान” या “चिन्ह”
लिंग, व्याकरण में एक महत्वपूर्ण अवयव है, जिससे शब्दों की पहचान और भाषा का संरचना मानवीय समाज में संभव होती है। यह शब्दों को दो भेदों में विभाजित करता है – पुल्लिंग (Masculine) और स्त्रीलिंग (Feminine)। इसके द्वारा हम व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, या विचारों की लिंगांतरण (Gender transformation) का निर्धारण कर सकते हैं।
लिंग के प्रकार
हिंदी में लिंग दो प्रकार के होते हैं।
- पुल्लिंग : – शब्द के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे: छात्र, चाचा, बूढ़ा, नौकर, शेर, बंदर ताला, बंदर आदि।
- स्त्रीलिंग : – शब्द के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की स्त्रीजाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – छात्रा, चाची, बुढ़िया, नौकरानी, घास, खिड़की आदि।
पुल्लिंग की पहचान
- जिन शब्दों का अंत ‘अ’ से होता है, वे अधिकतर पुल्लिंग होते हैं जैसे – शेर, फल, भवन, घर आदि।
- जिन शब्दों के अंत में खाना, दान, वाला, एरा, आव, आ, पन, त्व आदि आता है, वे पुल्लिंग होते हैं।
- व्यवसायसूचक शब्दों के नाम पुल्लिंग होते हैं जैसे – राज्यपाल, सैनिक, दुकानदार, व्यापारी, शिक्षक, नाटककार, कथाकार, डॉक्टर आदि।
- वर्णमाला के अक्षर पुल्लिंग होते हैं जैसे – अ, आ, क, ख, ग, घ आदि (इ, ई, क्र स्त्रीलिंग)
- निम्नलिखित वर्ग के नाम प्रायः पुल्लिंग होते हैं –
- अंग – बाल, मुँह, कान, सिर, हाथ, पैर (आँख, नाक स्त्रीलिंग)
- महीने – आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, कार्तिक, मार्गशीष, पौष, वैशाख, ज्येष्ठ आदि (अंग्रेज़ी महीनों में जनवरी, फरवरी, मई, जुलाई अपवाद हैं)
- धातु – सोना, ताँबा, लोहा, पीतल (चाँदी स्त्रीलिंग)
- अनाज – चावल, बाजरा, गेहूँ, मूंग (अरहर, ज्वार स्त्रीलिंग)
- समुद्र – प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अरब सागर, लाल सागर, भूमध्य सागर, अंध महासागर आदि।
- पर्वत – कैलाश, विंध्याचल, अरावली, सतपुड़ा, हिमालय।
- स्थान – वाचनालय, विद्यालय, पुस्तकालय, न्यायालय, चिकित्सालय, मंत्रालय, शयनगृह आदि।
- द्रव्य – घी, पानी, डीज़ल, तेल आदि। रत्न – नीलम, पुखराज, हीरा, मोती, मूंगा, पन्ना।
- वार – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार तथा रविवार।
- ग्रह – शनि, चंद्र, ध्रुव, बृहस्पति, रवि, मंगल, सूर्य।
स्त्रीलिंग की पहचान
- संस्कृत की आकारांत, उकारातं और इकारांत संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं जैसे – माला, वायु, शक्ति आदि।
- जिन शब्दों के अंत में आवट, आहट, ता, आई, इया, नी, इमा, री, आस आदि आता है वे स्त्रीलिंग होते हैं।
- निम्नलिखित वर्ग के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं : –
- लिपि – देवनागरी, गुरुमुखी, रोमन।
- भाषा – हिंदी, संस्कृत, मराठी, बंगला, तमिल, जर्मन, मलयालम, फारसी, गुजराती।
- तिथि – प्रथम, द्वितिया, तृतीया, चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी, पूर्णिमा, प्रतिपदा, अमावस्या।
- प्राणी – मैना, मछली, चील, छिपकली, गिलहरी, कोयल आदि। इनके साथ आगे नर जोड़ने पर ये पुल्लिंग बनती हैं।
- भोजन – जलेबी, पूरी, सब्ज़ी, रोटी।
- अंग – आँख, नाक, ठोड़ी, छाती, जीभ, पसली, एड़ी, पिंडली, पलक, कमर, जीभ।
लिंग की पहचान
प्राणी वर्ग में लिंग की पहचान करना आसान है परंतु अप्राणी वर्ग में लिंग पहचान के लिए उनके व्यवहार के आधार पर उन्हें पुल्लिंग व स्त्रीलिंग माना गया है। यद्यपि इस प्रकार के शब्दों का लिंग जानने के लिए उन शब्दों के साथ वाक्यों में जो क्रिया हो रही है या उनके विशेषणों पर ध्यान दें तो हम लिंग पहचान कर सकते हैं जैसे –
- कार जा रही है। (कार स्त्रीलिंग है।)
- जहाज़ चल चुका है। (जहाज़ पुल्लिंग है।)
- उपर्युक्त दोनों उदाहरणों में क्रिया से संज्ञा की लिंग पहचान हो रही है।
- साड़ी पीली है। (साड़ी स्त्रीलिंग है।)
- सूट नीला है। (सूट पुल्लिंग है।)
उपर्युक्त दोनों उदाहरणों में विशेषण के आधार पर संज्ञा की लिंग पहचान हो रही है।
लिंग परिवर्तन
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग में :
- ‘अ’ को ‘आ’ (ा) बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
छात्र | छात्रा | कांता | कांत |
बालक | बालिका | वृद्ध | वृद्धा |
कृष्ण | कृष्णा | चंचल | चंचला |
- ‘अ’ को ‘ई’ (ी) बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
पुत्र | पुत्री | रस्सी | रस्सा |
कबूतर | कबूतरी | गधी | गधा |
शूकर | शूकरी | बेटा | बेटी |
डाल | डाली | तरुण | तरुणी |
हिरन | हिरनी | नर | नारी |
मोप | गोपी |
- ‘आ’ को ‘ई’ बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
मौसा | मौसी | घोड़ा | घोड़ी |
लड़का | लड़की | मुर्गी | मुर्गा |
नाना | नानी | ब्राह्मण | ब्राहमणी |
- ‘आ’ को ‘इया’ बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
चिड़ा | चिड़िया | गुड्डा | गुड़िया |
बुढा | बुढ़िया | डिब्बा | डिबिया |
चूहा | चुहिया | खाट | खटिया |
- ‘अक’ को ‘इका’ बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
नायक | नायिका | सेवक | सेविका |
लेखक | लेखिका | पालक | पालिका |
पाठक | पाठिका | अध्यापक | अध्यापिका |
- अंत में ‘आनी’ लगाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
सेठ | सेठानी | इंद्र | इंद्राणी |
नौकर | नौकरानी | देवर | देवरानी |
जैठ | जेठानी | क्षत्रिय | क्षत्राणि |
- अंत में ‘नी’ लगाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
चोर | चोरनी | भील | भीलनी |
शेर | शेरनी | सिंह | सिंहनी |
हाथी | हथिनी | सियार | सियारनी |
- ‘वान’ को ‘वती’ बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
गुणवान | गुणवती | पुत्रवान | पुत्रवती |
बलवान | बलवती | भगवान | भगवती |
भाग्यवान | भाग्यवती | सत्यवान | सत्यवती |
- ‘मान’ को ‘मती’ बनाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
श्रीमान् | श्रीमती | बुद्धिमान | बुद्धिमती |
धीमान | धीमती | आयुष्मान | आयुष्मती |
- अंत में ‘इन’ लगाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
ग्वाला | ग्वालिन | तेली | तेलिन |
सुनार | सुनारिन | कहार | कहारिन |
जुलाहा | जुलाहिन | नाई | नाइन |
- अंत में ‘आइन’ लगाकर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
बाबू | बबुआइन | पंडित | पंडिताइन |
बनिया | बनियाइन | लाला | लालाइन |
ठाकुर | ठकुराइन | हलवाई | हलवाइन |
- ‘मादा’ और ‘नर’ जोड़कर –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
कोयल | मादा कोयल | भालू | मादा भालू |
नर गिलहरी | गिलहरी | चीता | मादा चीता |
खरगोश | मादा खरगोश | नर तितली | तितली |
- कुछ अन्य पुल्लिंग – स्त्रीलिंग शब्द –
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
राजा | रानी | बाबा | दादी |
बैल | गाय | वीर | वीरांगना |
ताऊ | ताई | मर्द | औरत |
पिता | माता | साधु | साध्वी |
पुरुष | स्त्री | दूल्हा | दुल्हन |
हिंदी शब्दों के लिंग – निर्णय : कुछ नियम –
हिंदी की लिंग – व्यवस्था संस्कृत – लिंग – व्यवस्था के कुछ विधान से या कुछ अपने नये – विधान से बनी है। यद्यपि शब्दों के लिंग – निर्धारण के विशेषकर अप्राणिवाचक संज्ञाओं के कोई व्यापक और सिद्ध नियम नहीं है। अधिकांश रूप में उसका निर्धारण लोक – व्यवहार से किया जाता है। इसी परिप्रेक्ष्य में लिंग – निर्णय के कुछ नियम इस प्रकार हैं –
(अ) रूप की दृष्टि से लिंग – निर्णय –
रूप या बनावट की दृष्टि से लिंग – निर्णय दो होते हैं – पुल्लिंग और स्त्रीलिंग।
- पुल्लिंग संज्ञाएँ – रूप या बनावट की दृष्टि से पुल्लिंग शब्दों की पहचान इस प्रकार की जा सकती हैं
- संस्कृत के वे शब्द, जिनके अंत में ‘ख’ या ‘ज’ प्रत्यय होता है। जैसे – सुख, दुःख, मुख, जलज, सरोज, अनुज आदि।
- संस्कृत के वे शब्द, जिनके अंत में ‘अ’ प्रत्यय होता है। जैसे – कौशल, शैशव, वाद, वेद, मोह, दोष आदि। अपवाद स्वरूप जय (स्त्रीलिंगी), विनय (उभयलिंगी) होते हैं।
- संस्कृत के वे शब्द, जिनके अंत में ‘अन’ प्रत्यय होता है। जैसे – साधन, बंधन, दान, वचन, चयन, पालन आदि। अपवादस्वरूप पवन (उभयलिंगी) होता है।
- संस्कृत के वे शब्द जिनके अंत में ‘त्र’ प्रत्यय होता है। जैसे – शस्त्र, शास्त्र, पत्र, पात्र, नेत्र, चरित्र, क्षेत्र, चित्र आदि।
- संस्कृत के वे शब्द, जिनके अंत ‘त’ प्रत्यय होता है। जैसे – गीत, गणित, आगत, स्वागत, चरित आदि।
- संस्कृत की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘त्व’ प्रत्यय होता है। जैसे – व्यक्तित्व, कृतित्व, गुरूत्व, बहुत्व, मनुष्यत्व, पत्नीत्व, पुरुषत्व आदि।
- संस्कृति की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘य’ प्रत्यय होता है। जैसे – माधुर्य, सौंदर्य, धैर्य, शौर्य, कार्य आदि।
- हिंदी की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘आ’ प्रत्यय आता है। जैसे – घड़ा, कपड़ा, घेरा, फेरा, झंडेवाला, टोपीवाला, आटा, माथा, गन्ना आदि।
- हिंदी की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘आव’ या ‘आवा’ प्रत्यय होता है। जैसे – बहाव, घुमाव, पडाव, बहकाव, डरावा, भुलावा आदि।
- हिंदी की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘ना’ प्रत्यय लगाकर क्रियार्थक संज्ञाएँ बनती है। जैसे – लेना, देना, सोना, चलना, तैरना आदि।
- हिंदी के वे शब्द, जिनके अंत में ‘पा’ या ‘पन’ प्रत्यय लगता है। जैसे – बुढापा, रैंडपा, भोलापन, लड़कपन आदि।
- हिंदी के वे शब्द, जिनके अंत में कृदंत ‘आन’ प्रत्यय होता है। जैसे – खानपान, मिलान, लगान आदि। अपवाद रूप में स्त्रीलिंग उड़ान, पहचान, मुस्कान आदि शब्द भी प्रयुक्त होते हैं।
- वे शब्द जिनके अंत में अरबी – फारसी का ‘खाना’ प्रत्यय होता है। जैसे – चिडियाखाना, डाकखाना, गाड़ीखाना आदि।
- वे शब्द, जिनके अंत में अरबी – फारसी का ‘दान’ प्रत्यय होता है। जैसे – कमलदान, फुलदान, गुलाबदान आदि।
- स्त्रीलिंगी संज्ञाएँ – रूप या बनावट की दृष्टि से स्त्रीलिंगी शब्दों की पहचान इस प्रकार की जा सकती हैं
- संस्कृत की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘अना’ प्रत्यय होता है। जैसे – वेदना, वंदना, सूचना, कल्पना, सांत्वना, प्रस्तावना, घटना, रचना आदि।
- संस्कृत की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘आ’ प्रत्यय होता है। जैसे – माया, दया, शोभा, शिक्षा, पूजा, कृपा, क्षमा आदि।
- संस्कृत की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘इ’ प्रत्यय होता है। जैसे – निधि, विधि, अग्नि, कृषि, रूचि, छवि आदि।गिरि, बलि, जलधि, पाणि आदि संज्ञाएँ इसके लिए अपवाद है।
- संस्कृत की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘ति’ या ‘नि’ प्रत्यय होता है। जैसे – रीति, प्रीति, तृप्ति, जाति, शक्ति, गति, हानि, ग्लानि, बुद्धि, सिद्धि आदि।
- संस्कृत के वे शब्द जिनके अंत में ‘या’ तथा ‘सा’ प्रत्यय होता है। जैसे – विद्या, क्रिया, मीमांसा, पिपासा आदि।
- संस्कृत के वे शब्द, जिनके अंत में तद्वित प्रत्यय ‘इमा’ होता है। जैसे – कालिमा, लालिमा, महिमा, गरिमा आदि।
- संस्कृत के वे शब्द, जिनके अंत में ‘ता’ प्रत्यय होता है। जैसे – लघुता, प्रभुता, नम्रता, एकता, दरिद्रता, गंभीरता, सुंदरता, योग्यता, प्रभुता आदि।
- संस्कृत की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘उ’ प्रत्यय होता है। जैसे – धातु, ऋतु, वस्तु, मृत्यु, वायु, रेणु, आयु आदि।
- हिंदी के बहुधा ईकारांत शब्द, अर्थात् जिनके अंत में ‘ई’ प्रत्यय होता है। जैसे – रोटी, टोपी, गली, चिंटी, नदी, उदासी आदि। अपवादस्वरूप पानी, घी, दही, मोती आदि शब्द पुल्लिंग होते हैं।
- हिंदी की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘इया’ प्रत्यय होता है। जैसे – डिबिया, पुडिया, लुटिया, खटिया आदि।
- हिंदी की प्राय: वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘ख’ प्रत्यय होता है। जैसे – ईख, चीख, कोख, भूख, मेख, आँख आदि। अपवाद स्वरूप रूख, पाख आदि शब्द पुल्लिंग में आते हैं।
- हिंदी की धातुओं से ‘अ’ प्रत्यय लगकर बनी संज्ञाएँ इस प्रकार हैं। जैसे – पकड, दगड, लगन, मार, पुकार, चोट, छूट, कराह, अकड, झपट, तडप, खोज, समझ आदि। अपवाद स्वरूप खेल, नाच, मेल, बोल, बिगाड आदि पुल्लिंग में होते हैं।
- हिंदी की भाव – वाचक संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘ट’, ‘वट’, ‘हट’ प्रत्यय होते हैं। जैसे – आहट, चिकनाहट, झंझट, घबराहट, सजावट, मिलावट, चिल्लाहट आदि।
- हिंदी की धातुओं में ‘अन’ प्रत्यय लगकर बनी संज्ञाएँ इस प्रकार हैं। जैसे – रहन, सहन, पहचान, जलन, उलझन आदि।
- हिंदी की ‘आई’ प्रत्यय वाली संज्ञाएँ इस प्रकार हैं। जैसे – लिखाई, ऊँचाई, सिलाई, ___ बनवाई, लंबाई आदि।
- अरबी – फारसी के वे शब्द, जिनके अंत में ‘श’ होता है। जैसे – तलाश, मालिश, कोशिश आदि।
- अरबी – फारसी की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में ‘त’ प्रत्यय होता है। जैसे – कीमत, मुलाकात, दौलत, नफरत आदि।
- अरबी – फारसी की वे संज्ञाएँ, जिनके अंत में, ‘आ’ तथा ‘ह’ प्रत्यय आता है। जैसे – सजा, दवा, सलाह, राह, आह, सुबह आदि।
- हिंदी की ऊकारांत संज्ञाएँ इस प्रकार हैं। जैसे – झाडू, दारू, बालू, गेरू आदि। अपवाद स्वरूप आँसू, टेसू, आलू, रतालू, आदि के रूप पुल्लिंग में होते हैं।
- हिंदी की अनुस्वारान्त संज्ञाएँ इस प्रकार है। जैसे – भौं, चूं, खडाऊँ आदि। अपवाद स्वरूप कोढों, गेहूँ आदि के रूप पुल्लिंग में होते हैं।
(आ) लोक – व्यवहार की दृष्टि से लिंग – निर्णय –
कुछ शब्द रूप या बनावट की दृष्टि से समान होते हुए भी उनमें से कुछ पुल्लिंग होते हैं और कुछ स्त्रीलिंग। ऐसे शब्दों का लिंग – निर्धारण लोक – व्यवहार से करना पडता है।
- पुल्लिंग शब्द –
नमक, पनघट, ओंठ, नीड, बाल, निकाल, गुलाब, काठ, आलू, पहलू, मधु, हिसाब, आम, मरहम, मोम, तालू, ढोंग, अखरोट, मुँह, ब्याह, निबाह, खेत, सूत, मुकूट आदि।
- स्त्रीलिंग शब्द –
मिठास, झील, खाल, बास, बालू, वायु, आयु, नाक, उमंग, उर्दू, चेचक, छत, बात, किताब, शराब, मार, नस, ईंट, ओट, गाँठ, रात, लात, आड, जड, चिलम, नहर, उमंग आदि।
(इ) अर्थ की दृष्टि से लिंग – निर्णय –
अर्थ की दृष्टि से कुछ शब्द पुल्लिंग, कुछ स्त्रीलिंग और कुछ शब्द उभय लिंगी होते हैं। उसका विवेचन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है –
पुल्लिंग शब्द –
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित प्रकार के शब्द पुल्लिंग होते हैं। इनमें जो अपवाद स्वरूप स्त्रीलिंग में आते हैं, उनके अंत में प्रायः ‘इ’ प्रत्यय आता है।
- धातुओं के नाम : पारा, पीतल, सोना, रूपा, तांबा, सीसा, काँस आदि। अपवाद स्वरूप ‘चांदी’ स्त्रीलिंगी है।
- रत्नों के नाम : नीलम, पुखराज, माणि, मोती, हीरा, मूंगा, जवाहर, पन्ना, लाल आदि। अपवाद स्वरूप मणि, चुन्नी, लालडी आदि स्त्रीलिंग में आते हैं।
- भोज्य पदार्थों के नाम : रायता, हलुवा, समोसा, चाकलेट, पुआ, पेडा, भात आदि। अपवाद स्वरूप पूरी, जलेबी, मिठाई, दाल, रोटी, तरकार, स्त्रीलिंग में आते हैं।
- अनाजों के नाम : तिल, मटर, बाजरा, चना, गेहूँ, चावल, जौ, उडद आदि। अपवाद स्वरूप दाल, तिल, मटर आदि स्त्रीलिंग में आते हैं।
- दिनों के नाम : सोम, मंगल आदि।
- महिनों के नाम : माघ, पौष आदि।
- भौगोलिक नाम : हिंद महासागर, विंध्याचल, हिमाचल, सागर, दविप, पर्वत, रेगिस्तान, प्रांत, नागर, वायुमंडल, नभोमंडल, सरोवर आदि। अपवाद स्वरूप झील, घाटी स्त्रीलिंग में आते हैं।
- देशों के नाम : इंग्लैंड, इटली, रूस, भारत आदि।
- ग्रहों के नाम : बृहस्पति, सूर्य, चंद्र, बुध आदि। अपवाद स्वरूप पृथ्वी आदि स्त्रीलिंग में आते हैं।
- पेडों के नाम : जामन, अमरूद, नींबू, सेब, पीपल, बरगद, सागौन, शीशम, अखरोट, अशोक आदि। अपवाद स्वरूप इमली, नीम आदि स्त्रीलिंग में आते हैं।
- द्रव पदार्थों के नाम : काढा, अर्क, तेल, घी, पानी, शर्बत, इत्र आदि।
स्त्रीलिंग शब्द –
अर्थ के अनुसार निम्नलिखित प्रकार के शब्द स्त्रीलिंग में आते हैं –
- नक्षत्रों के नाम : रोहिणी, भरणी, कृतिका, आर्द्रा, अश्विनी आदि।
- नदियों के नाम : रावी, सतलज, गंगा, यमुना, सरस्वती, झेलम आदि। अपवाद स्वरूप ब्रहमपुत्र, सिंधु आदि पुल्लिंग में आते हैं।
- झीलों के नाम : साँभर, चिलका आदि।
- तिथियों के नाम : द्वितीया, तीज, अष्टमी, अमावस्या आदि।
- संस्कृत की प्राय : भाववाचक संज्ञाएँ : इच्छा, अर्चना, गरिमा, कटुता, ऋद्धि आदि।
- बनिए के दुकान की चीजें : दालचिनी, मिर्च, हल्दी, सुपारी, हिंग, इलायची, लौंग आदि।
उभय लिंगी शब्द –
हिंदी के कुछ ऐसे शब्द हैं, जो पुल्लिंग तथा स्त्रीलिंग दोनों में प्रयुक्त होते हैं। इनमें से कुछेक का अर्थ के अनुसार लिंग बदल जाता है। अतः वाक्य में वे जिस अर्थ में प्रयुक्त किए जाते हैं, उसके अनुरूप उनका लिंग – निर्धारण होता है।
उभयलिंगी” एक व्याकरणिक शब्द है जिसका अर्थ होता है कि वह शब्द पुल्लिंग (masculine) और स्त्रीलिंग (feminine) दोनों लिंगों में प्रयोग हो सकता है। इसका उपयोग जब शब्द का लिंग स्थिति, अवस्था या जाति के कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है, तब किया जाता है।
उभयलिंगी के उदाहरण:
- “यह प्रोफेसर समय पर अपने कार्यों को पूरा करता है।” – यहाँ प्रोफेसर शब्द उभयलिंगी है क्योंकि इसका लिंग पुल्लिंग या स्त्रीलिंग में निर्धारित नहीं होता है।
- “यह छात्र ने अपनी पढ़ाई में मेहनत की।” – छात्र शब्द भी उभयलिंगी है क्योंकि इसका लिंग यहाँ पर पुल्लिंग या स्त्रीलिंग में निर्धारित नहीं होता है।
- “यह गांव विकसित हो रहा है क्योंकि लोग सहयोग कर रहे हैं।” – गांव शब्द भी यहाँ उभयलिंगी है, क्योंकि इसका लिंग यहाँ पर पुल्लिंग या स्त्रीलिंग में निर्धारित नहीं होता है।
शब्द | पुल्लिंग होने पर अर्थ | स्त्रीलिंग होने पर अर्थ |
कोटि | करोड़ | श्रेणी |
टीका | तिलक | टिप्पणी, अर्थ |
पीठ | स्थान | पृष्ठभाग |
शान | औजार तेज करने का पत्थर | ठाठ – बाट, प्रभुत्व |
दाद | चर्मरोग | प्रशंसा |
हार | माला | पराजय |
कुशल | प्रवीण | खैरियत |
घाव | चोट | दाँव – पेंच |
चूडा | कंगन | चोटी |
झाल | बाजा | लहर |
धातु | शब्द का मूल | खनिज, वीर्य |
नस | नस्य, सुँघनी | स्नायु, रग |
बेर | फलवृक्ष | दफा या बार |
रेत | वीर्य | बालू |
हाल | समाचार, दशा | चक्के पर लोहे का घेरा |