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संज्ञा (Sangya) एक हिंदी व्याकरण विषय है जो शिक्षा भर्ती परीक्षा के हिस्से में आता है। इसलिए, संज्ञा (Sangya) पर आधारित प्रश्नों को समझना आसान होगा। हमें संज्ञा (Sangya) पर साधारण प्रश्न जैसे संज्ञा (Sangya) किसे कहते हैं? और कार में संज्ञा होती है? की तरह सरल प्रश्न मिलते हैं। चलिए संज्ञा (Sangya) के बारे में और विस्तार से जानते हैं।
संज्ञा किसे कहते हैं?
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है – नाम। किसी व्यक्ति , गुण, प्राणी, व् जाति, स्थान , वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। शब्दों का वो समूह जिन्हें हम किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार, गुण या भाव को बताने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसे संज्ञा (Sangya) या संज्ञा शब्द (Sangya Shabd) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, संज्ञा एक ऐसा शब्द होता है जो किसी चीज़ की पहचान कराता है।
यह भाषा का मूल तत्व है और हमारे दैनिक जीवन में हर चीज़ को पहचानने और नाम देने के लिए आवश्यक है। संज्ञा के विभिन्न प्रकार हमें उनके प्रयोग और महत्व को समझने में मदद करते हैं, जिससे हमारी भाषा और भी समृद्ध होती है।
Sangya Kise Kahate Hai
संज्ञा वह शब्द है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव या गुण का नाम बताता है। यह हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण अंग है, जिसके माध्यम से हम किसी वस्तु या व्यक्ति की पहचान करते हैं। संज्ञा वो शब्द है जो किसी चीज़ का नाम बताता है। इसे समझना आसान है क्योंकि हर जगह इसका उपयोग होता है।
संज्ञा के उदाहरण
- व्यक्ति वाचक संज्ञा: सीता एक अच्छी छात्रा है।
- जातिवाचक संज्ञा: उस पेड़ के नीचे बकरी बैठी है।
- भाववाचक संज्ञा: सच्चाई हमेशा जीतती है।
- समूहवाचक संज्ञा: हमारे स्कूल की क्रिकेट टीम बहुत मजबूत है।
- द्रव्यवाचक संज्ञा: चाय में चीनी डालो।
Sangya के भेद
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा क्या होती है
जिस शब्द से एक ही जाति के अनेक प्राणियों , वस्तुओं का बोध हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं अथार्त जिस शब्द से किसी जाति का सम्पूर्ण बोध होता हो यह उसकी पूरी श्रेणी और पूर्ण वर्ग का ज्ञान होता है उस संज्ञा शब्द को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदहारण :- मोटर साइकिल, कार, टीवी, पहाड़, तालाब, गॉंव,लड़का, लडकी,घोडा, शेर।
भाववाचक Sangya क्या होती है?
जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण, दोष, दशा, स्वाभाव , भाव आदि का बोध हो वहाँ पर भाववाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जिस शब्द से किसी वस्तु , पदार्थ या प्राणी की दशा , दोष, भाव , आदि का पता चलता हो वहाँ पर भाववाचक संज्ञा होती है।
उदहारण:- गर्मी, सर्दी, मिठास, खटास, हरियाली, सुख।
भाववाचक संज्ञा बनाना :-
भाववाचक संज्ञा चार प्रकार से बनाई जा सकती हैं —
- जातिवाचक संज्ञा से
- सर्वनाम से
- विशेषण से
- क्रिया से
- जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना :-
- मित्र = मित्रता
- पुरुष = पुरुषत्व
- पशु = पशुता
- पंडित = पांडित्य
- दनुज = दनुजता
- सेवक = सेवा
- नारी = नारीत्व
- भाई = भाईचारा
- सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना :-
- पराया = परायापन
- सर्व = सर्वस्व
- निज = निजत्व
- विशेषण से संज्ञा बनाना :-
- मीठा = मिठास
- मधुर = मधुरता
- चौड़ा = चौडाई
- गंभीर = गंभीरता
- मूर्ख = मूर्खता
- पागल = पागलपन
- भला = भलाई
- लाल = लाली
- क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना :-
- उड़ना = उड़न
- लिखना = लेख
- खोदना = खुदाई
- बढ़ना=बाढ़
- कमाना = कमाई
- घेरना = घेरा
- खपना = खपत
- बचना =बचाव
- नाचना = नाच
- पड़ना = पड़ाव
- लूटना = लूट
व्यक्तिवाचक संज्ञा क्या होती है?
जिस शब्द से किसी एक विशेष व्यक्ति , वस्तु, या स्थान आदि का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष स्थान, वस्तु,या व्यक्ति के नाम का पता चले वहाँ पर व्यक्तिवाचक संज्ञा होती है।
उदहारण :- भारत, गोवा, दिल्ली, भारत, महात्मा गाँधी , कल्पना चावला , महेंद्र सिंह धोनी , रामायण ,गीता, रामचरितमानस आदि।
जातिवाचक, भाववाचक और व्यक्तिवाचक Sangya में अंतर
संज्ञा के ये तीन भेद भाषा को व्यवस्थित और स्पष्ट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जातिवाचक संज्ञाएँ हमें किसी समूह या वर्ग के बारे में बात करने में मदद करती हैं, भाववाचक संज्ञाएँ हमें भावनाओं, गुणों और अवस्थाओं को व्यक्त करने में मदद करती हैं, और व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हमें विशिष्ट व्यक्तियों, वस्तुओं और स्थानों का उल्लेख करने में मदद करती हैं।
भेद | परिभाषा | उदाहरण |
---|---|---|
जातिवाचक संज्ञा | किसी जाति, वर्ग, या समूह का बोध कराते हैं। | फूल, पशु, नदी, देश, खेल |
भाववाचक संज्ञा | किसी भाव, गुण, अवस्था, या क्रिया का बोध कराते हैं। | सौंदर्य, ज्ञान, धैर्य, गरीबी, उड़ान |
व्यक्तिवाचक संज्ञा | किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, या स्थान का नाम दर्शाते हैं। | रामायण, ताजमहल, रवि, गंगा, भारत |
समूहवाचक संज्ञा क्या होती है
इसे समुदायवाचक संज्ञा भी कहा जाता है। जो संज्ञा शब्द किसी समूह या समुदाय का बोध कराते है उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जो शब्द किसी विशिष्ट या एक ही वस्तुओं के समूह या एक ही वर्ग व् जाति के समूह को दर्शाता है वहाँ पर समूहवाचक संज्ञा होती है।
उदहारण :- गेंहू का ढेर, लकड़ी का गट्ठर , विद्यार्थियों का समूह , भीड़ , सेना, खेल आदि।
द्रव्यवाचक Sangya क्या होती है
जो संज्ञा शब्द किसी द्रव्य पदार्थ या धातु का बोध कराते है उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। अथार्त जो शब्द किसी पदार्थ, धातु और द्रव्य को दर्शाते हैं वहाँ पर द्रव्यवाचक संज्ञा होती है।
उदहारण :- गेंहू , तेल, पानी, सोना, चाँदी, दही , स्टील , घी, लकड़ी आदि।
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