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समास परिभाषा, भेद और उदाहरण- Samas Kise Kahate Hai?

Exploring the intricacies of समास परिभाषा भेद और उदहारण opens doors to success in Hindi Grammar, especially in TET and teaching sarkari recruitment exams. This vital topic, encompassing questions like unraveling the essence of ‘दही बड़ा’ or identifying the समास in ‘यथासंभव,’ holds the key to scoring well. Let’s delve into the nuances of समास परिभाषा भेद और उदहारण, making this seemingly complex subject an easy conquest.

समास की परिभाषा

दो या दो से अधिक शब्दों के योग से नवीन शब्द बनाने की विधि (क्रिया) को समास कहते हैं। इस विधि से बने शब्दों का समस्त-पद कहते हैं। जब समस्त-पदों को अलग-अलग किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहते हैं।

समास रचना में कभी पूर्व-पद और कभी उत्तर-पद या दोनों ही पद प्रधान होते हैं, यही विधि समस्त पद कहलाती है; जैसे-

  • पूर्व पद        उत्तर पद          समस्त पद(समास)
  • शिव      +     भक्त         =     शिवभक्त                  पूर्व पद प्रधान
  • जेब       +     खर्च          =     जेबखर्च                    उत्तर पद प्रधान
  • भाई      +     बहिन        =     भाई-बहिन               दोनों पद प्रधान
  • चतुः      +     भुज           =     चतुर्भुज(विष्णु)          अन्य पद प्रधान

परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) के मेल (योग) को समास कहते हैं। इस प्रकार एक स्वतंत्र शब्द की रचना होती हैं

उदाहरण- रसोईघर, देशवासी, चैराहा आदि।

समास शब्द का अर्थ है संक्षेपण। इसमें दो या दो से अधिक पदों को मिलाकर एक पद बनाया जाता है, जैसे गायन कौशल = गायनकुशलता। पदों के बीच विभक्ति लोप होता है, जैसे राजपुत्र = राजः+पुत्रः, जिसमें विभक्ति का लोप हुआ है। इसी प्रकार विद्या और धन = विद्याधन जैसे शब्द बनते हैं। समासों को चार प्रकार में बांटा गया है: (1) अव्ययीभाव, (2) तत्पुरुष, (3) द्वंद्व, और (4) बहुव्रीहि। कभी-कभी समास में विभक्ति का लोप नहीं होता, जैसे खेचर = खे (आकाश) + चर (चलने वाला)।

समास के छः भेद

  1. अव्ययी भाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. द्विगु समास
  4. द्वन्द्व समास
  5. कर्मधारय समास
  6. बहुब्रीहि समास

1. अव्ययीभाव समास

इस समास में पहला पद अव्यय होता है और यही प्रधान होता है।

  •          भरपेट             –    पेट भरकर।
  •          यथा योग्य        –     योग्यता के अनुसार ।
  •          प्रतिदिन           –    हर दिन ।
  •          आजन्म           –     जन्म भर।
  •          आजीवन         –    जीवनभर /पर्यन्त।
  •          आमरण           –     मरण तक (पर्यन्त)।
  •          बीचोंबीच         –    बीच ही बीच में
  •          यथाशक्ति        –    शक्ति के अनुसार।

2. तत्पुरुष समास

इस समास में प्रथम शब्द (पद) गौण तथा द्वितीय पद प्रधान होता है; उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें कारक चिह्नों का लोप हो जाता है। कारक तथा अन्य आधार पर तत्पुरुष के निम्न्लिखित भेद होते हैं-

(1)   कर्म तत्पुरुष – को परसर्ग (विभक्ति कारक चिह्नों) का लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          बसचालक               बस को चलाने वाला
  •          गगनचुंबी                गगन को चूमने वाला
  •          स्वर्गप्राप्त                स्वर्ग को प्राप्त
  •          माखनचोर               माखन का चुराने वाला।

(2)   करण तत्पुरुष – इसमें ‘से’, ‘द्वारा’ परसर्ग का लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          मदांध                     मद से अंध।
  •          रेखांकित                 रेखा द्वारा अंकित
  •          हस्तलिखित             हाथ से लिखित
  •          कष्टसाध्य                कष्ट से साध्य

 (3)  सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें ‘को’ ‘के लिए’ परसर्ग को लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          हथकड़ी                  हाथ के लिए कड़ी।
  •          परीक्षा भवन            परीक्षा के लिए भवन।
  •          हवनसामग्री             हवन के लिए सामग्री।
  •          सत्याग्रह                  सत्य के लिए आग्रह।

(4)   अपादान तत्पुरुष – इसमें ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          पथभ्रष्ट                    पथ से भ्रष्ट
  •          ऋणमुक्त                ऋण से मुक्त
  •          जन्मान्ध                   जन्म से अंधा।
  •          भयभीत                   भय से भीत ।

(5)   सम्बन्ध तत्पुरुष– इसमें ‘का, की, के, और रा, री, रे’ परसर्गाें का लोप हो जाता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          घुड़दौड़                   घोंडों की दौड़
  •          पूँजीपति                  पूँजी का पति
  •          गृहस्वामी                गृह का स्वामी
  •          प्रजापति                  प्रजा का पति

(6)   अधिकरण तत्पुरुष – इसमें से कारक की विभक्ति में/पर का लोप हो जाता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          शरणागत                शरण में आगत
  •          आत्मविश्वास            आत्मा पर विश्वास
  •          जलमग्न                    जल में मग्न
  •          नीतिनिपुण              नीति में निपुण

3. द्विगु समास

इस समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद उसका विशेष्य होता है जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          चैराहा                     चार राहों का समाहार/समूह
  •          त्रिभुवन                   तीन भुवनों का समूह
  •          नवग्रह                    नौ ग्रहों का समाहार
  •          त्रिवेणी                     तीन वेणियों का समाहार

4. द्वन्द्व समास

इस समास में दोनों पद प्रधान होते है, तथा, और, या, अथवा आदि शब्दों का लोप होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          आय-व्यय               आय और व्यय
  •          माता-पिता              माता और पिता
  •          भीम-अर्जुन             भीम और अर्जुन
  •          अन्न-जल                 अन्न और जल

5. कर्मधारय समास

इस समास में विशेषण का सम्बन्ध होता है। इसमंे प्रथम (पूर्व) पद गुणावाचक होता है। जैसे-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          महात्मा                   महान् है जो आत्मा
  •          स्वर्णकमल              स्वर्ण का है जो कमल।
  •          नीलकमल               नीला है जो कमल
  •          पीताम्बर                 पीला है जो अम्बर

कर्मधारय समास में पूर्व पद तथा उत्तर पद में उपमेय-उपमान सम्बन्ध भी हो सकता है। जैसे-

  • समस्त पद          उपमेय                  उपमान
  • घनश्याम              घन के समान         श्याम
  • कमलनयन           कमल के समान     नयन
  • मुखचन्द्र              मुखीरूपी              चन्द्र

6. बहुब्रीहि समास

इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता बल्कि समस्त पद किसी अन्य के विशेषण का कार्य करता है और यही तीसरा पद प्रधान होता है।

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          दशानन                  दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
  •          चतुर्भुज                   चार है भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु
  •          लम्बोदर                  लम्बा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश
  •          चक्रपाणि                चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु
  •          नीलकंठ                  नील है कंठ जिसका अर्थात् शिव

विशेष- बहुब्रीहि समास में विग्रह करने पर विशेष रूप से ‘वाला, वाली, जिसका, जिसकी, जिसके’ आदि शब्द पाए जाते हैं अर्थात् विग्रह पद संज्ञा पद का विशेषण रूप हो जाता है।

कर्मधारय समास और बहुब्रीहि समास में अन्तर

कर्मधारय समास में विशेषण और विशेष्य अथवा उपमेय और उपमान का सम्बन्ध होता है जबकि बहुव्रीही समास में समस्त पद ही किसी संज्ञा के विशेषण का कार्य करती है।

उदाहरण-

  • नीलकंठ         नीला है जो कंठ (कर्मधारय समास )
  • नीलकंठ         नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव (बहुव्रीही)
  • पीताम्बर        पीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
  • पीताम्बर        पीला है अम्बर जिसका अर्थात् कृष्ण (बहुव्रीहि)

कर्मधारय समास और द्विगु समास में अन्तर

कर्मधारय समास में समस्तपद का एक पद गुणवाचक विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है जबकि द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है।

         समस्त पद             विग्रह

  •          नीलाम्बर                 नीला है जो अम्बर (कर्मधारय)
  •          पंचवटी                   पाँच वटों का समाहार (द्विगु)

द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में अन्तर

द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है जबकि बहुव्रीही समास में पूरा पद ही विशेषण का काम करता है।

उदाहरण-

  •          समस्त पद             विग्रह
  •          त्रिनेत्र                      तीन नेत्रों का समूह (द्विगु समास)
  •          त्रिनेत्र                      तीन नेत्र है जिसके अर्थात् (बहुव्रीहि)

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समास(Samas) परिभाषा भेद और उदहारण PDF

 

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समास - परिभाषा, भेद और उदाहरण- Samas Kise Kahate Hai?_4.1

समास: FAQs

निम्नलिखित में से किन्हीं दो समस्त पद का विग्रह कर समास का नाम भी बताइए-              देशभक्ति, सद्धर्म, युद्धनिपुण, महावीर

देश की भक्ति -        तत्पुरुष समास
सत् है जो धर्म        -        कर्मधारय समास
युद्ध में निपुण         -        तत्पुरुष समास
महान् है जो वीर     -        कर्मधारय समास

  ‘कमल के समान चरण’ का समस्त पद बनाकर समास का भेद लिखिए।

चरणकमल    -        कर्मधारय समास।

निम्नलिखित में से किन्ही दो समस्त पद का विग्रह कर भेद का नाम लिखिए-              पुस्तकालय, नीलगमन, घुड़सवार, नीलगाय

पुस्तकों का आलय   -        संबंध तत्पुरुष समास
नीला है जो गगन          -  कर्मधारय समास
घोड़े पर सवार             -  तत्पुरुष समास
 नीली है जो गाय           -  कर्मधारय समास

‘लोक में प्रिय’ का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए।

लोक प्रिय             -  तत्पुरुष

निम्नलिखित में से किन्ही दो समस्त पदों का विग्रह कर भेद का नाम लिखिए-              सिरदर्द, अंधकूप, पदच्युत, राहखर्च

सिर में दर्द     -        अधिकरण तत्पुरुष समास
अंध है जो कूप       -        कर्मधारय समास
पद से च्युत            -        अपादान तत्पुरुष समास
राह के लिए खर्च    -        सम्प्रदान तत्पुरुष समास

‘जन्म से अंधा’ का समस्त पद बनाकर समास का भेद लिखिए।

जन्मांध           -        तत्पुरुष समास

निम्नलिखित में से किन्हीं दो समस्त पद का विग्रह कर भेद लिखें-              जलधारा, महाराजा, ध्याननमग्न, पीताम्बर

जल की धारा           सम्बन्ध तत्पुरुष समास
महान् है जो राजा           कर्मधारय समास
ध्यान में मग्न                   अधिकरण तत्पुरुष समास
पीताम्बर                        कर्मधारय समास

‘कनक के समान लता’ का समस्त पद बनाकर समास को भेद लिखिए।

कनकलता -           कर्मधारय

निम्नलिखित में से किन्हीं दो समस्त पद का विग्रह कर भेद का नाम लिखिए-              ग्रंथरत्न, आरामकुर्सी, गुणहीन, यशप्राप्त

ग्रंथ रूपी रत्न     -     कर्मधारय समास
आराम के लिए कुर्सी -     सम्प्रदान तत्पुरुष समास
 गुण से हीन               -     अपादान तत्पुरुष समास
 यश को प्राप्त            -     कर्म तत्पुरुष समास

‘हस्त से लिखित’ का समस्त पद बनाकर समास का भेद लिखिए।

हस्तलिखित       -     करण तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास को कैसे पहचानें?

तत्पुरुष समास की पहचान:
संबंधित संज्ञाएँ: तत्पुरुष समास में एक संज्ञा दूसरी संज्ञा का संबंध दर्शाती है, जैसे "राजा + का + सिंह" (राजसिंह)।

किसी का या का: इस समास में संबंध दर्शाने के लिए 'का', 'के', 'क' आदि उपसर्गों का प्रयोग होता है, जैसे "बच्चे + का + खेल" (बच्चों का खेल)।

अर्थ का स्पष्टता: ये मिलकर एक विशेष अर्थ प्रकट करते हैं, जैसे "कौमार + अवस्था" (कौमार अवस्था) का अर्थ होता है बचपन की अवस्था।

अवधारणा का संकेत: तत्पुरुष समास में मुख्य संज्ञा उस अन्य संज्ञा के लिए विशेषण का कार्य करती है, जो उसकी विशेषता या संबंध को दर्शाती है।

कर्मधारय समास को कैसे पहचानें?

कर्मधारय समास की पहचान:
संज्ञाओं का संयोजन: कर्मधारय समास में दो संज्ञाएँ होती हैं, जहां पहली संज्ञा दूसरी संज्ञा का विशेषण होती है, जैसे "पितृ + देह" (पितृदेह)।

समान रूप: इसमें पहली संज्ञा का रूप और अर्थ दूसरी संज्ञा के साथ मेल खाता है, जैसे "राज + वंश" (राजवंश)।

अर्थ का संयोजन: ये मिलकर एक संयुक्त अर्थ उत्पन्न करते हैं, जैसे "नाग + वंश" (नागवंश) का अर्थ होता है नागों का वंश।

व्यक्तित्व का संकेत: कर्मधारय समास में प्रमुखता से मुख्य संज्ञा का व्यक्तित्व होता है, जो पूरे समास का आधार बनता है।

अव्ययीभाव समास की पहचान क्या है?

अव्ययीभाव समास की पहचान:
अव्यय का प्रयोग: अव्ययीभाव समास में एक अव्यय (जिसका रूप नहीं बदलता) होता है, जैसे "अनु" (अनु + गति = अनुगति)।

क्रिया का संबंध: इसमें अव्यय का संबंध किसी क्रिया या विशेषता से होता है, जो अर्थ में विशेषता जोड़ता है।

स्वतंत्र अर्थ: अव्ययीभाव समास में अव्यय का अपना स्वतंत्र अर्थ होता है, जैसे "अधि" (अधि + कर्ता = अधिकर्ता)।

संज्ञा के रूप में: ये अव्यय अन्य संज्ञाओं के साथ मिलकर एक संज्ञा का रूप लेते हैं, जिससे एक नया संज्ञात्मक अर्थ बनता है।

द्विगु समास को कैसे पहचानें?

द्विगु समास को पहचानने के संकेत:
दो संज्ञाओं का संयोजन: द्विगु समास में हमेशा दो संज्ञाएँ होती हैं, जैसे "गंगा + तट" (गंगातट)।

विशेषण का प्रयोग: इनमें से एक संज्ञा दूसरी का विशेषण होती है, जैसे "राजा + पुत्र" (राजपुत्र)।

अर्थ का परिवर्तन: ये मिलकर एक नया अर्थ उत्पन्न करते हैं, जैसे "वृक्ष + फल" (वृक्षफल) का अर्थ वृक्ष पर लगे फल है।

संक्षिप्त रूप: द्विगु समास में संज्ञाएँ एक साथ मिलकर संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत होती हैं, जिससे शब्द सरल और सारगर्भित बनता है।

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As a Team Leader at Adda247, I lead content creation efforts tailored to National and State-level government exams, with a specialized focus on the Teaching-UGC domain. Every article I develop is designed to inform, engage, and motivate aspirants on their path to success. At the heart of my role lies a commitment to ensuring our work reflects Adda247’s passion for educational excellence and serves as a stepping stone for students chasing their dreams.