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उपमा अलंकार परिभाषा
उपमा अलंकार हिंदी कविता और भाषा कला में एक प्रमुख अलंकार है, जिसका उपयोग विशेषता या समानता को दर्शाने के लिए किया जाता है।उपमा अर्थात् तुलना या समानता उपमा में उपमेय की तुलना उपमान से गुण, धर्म या क्रिया के आधार पर की जाती है। इसमें एक वस्तु को दूसरी वस्तु के साथ तुलना करके वर्णन किया जाता है। जब किसी या वस्तु की तुलना किसी सरल वस्तु से हो जाए, तो वहां पर उपमा अलंकार होता है।
उपमा अलंकार के अंग
- उपमये: उपमये का अर्थ होता है उपमा देने के योग्य। जब जैसी वस्तु समानता किसी सरल वस्तु से जाए, तो उसे उपमये कहते हैं। जैसे:
मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें मुख उपमेय है। - उपमान: उपमये की उपमा जिससे दी जाती है, उसे उपमान कहते हैं। अर्थात उपमये को जिस के साथ समानता बताई जाती है, उसे उपमान कहते हैं। जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें “चाँद” उपमान है।
- वाचक शब्द: जब उपमये और उपमान में समानता दिखाई जाती है, तब जिस शब्द का योग होता है, उसे वाचक शब्द कहते हैं। “सा” जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें वाचक शब्द है।
- साधारण धर्म: दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की मदद ली जाती है जो दोनों में विद्यमान न हो, तो उसे साधारण धर्म कहते हैं। जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें सुंदर शब्द साधारण-धर्म है
उपमा अलंकार के उदाहरण
- प्रातः नभ था, बहुत गीला शंख जैसे।- यहाँ उपमेय-नभ, उपमान-शंख, समानतावाचक शब्द-जैसे, समान धर्म-गीला इस पद्यांश में ‘नभ’ की उपमा ‘शंख’ से दी जा रही है। अतः उपमा अलंकार है।
- मधुकर सरिस संत, गुन ग्राही।- यहाँ उपमेय-संत, उपमान-मधुकर,समानतावाचक शब्द-सरिस, समान धर्म-गुन ग्राही संतों के स्वभाव की उपमा मधुकर से दी गई है। अतः उपमा अलंकार है।
- लाल किरण-सी चोंच खोल (“चोंच” की तुलना लाल किरण से की गई है।)
- नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा।- इस काव्य पंक्ति में उपमा के चारों अंग – उपमेय हृदय , उपमान नील गगन , समान धर्म शांत और वाचक शब्द सा विद्यमान है।
- कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा – इस काव्य पंक्ति में उपमा के तीन अंग – उपमेय वचन , उपमान कुलिस और वाचक शब्द सम विद्यमान है। किंतु समान धर्म का लोप है।
- हिरनी से मीन से , सुखखंजन समान चारु ,अमल कमल से , विलोचन तिहारे हैं। – नेत्र उपमेय के लिए उपमान प्रस्तुत किए गए हैं।
- मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला –टीले की तुलना हाथी से की गई है।
- तब बहता समय शिला सा जम जायेगा – समय को पत्थर सा जमने के लिए कहा गया है
- सहसबाहु सम रिपु मोरा। – शत्रु को सहत्रबाहु के सामान माना है
- चाँद की सी उजली जाली – चांद के समान ऊजली बताया गया है
उपमा अलंकार के प्रकार
- पूर्णोपमा अलंकार: इसमें उपमा के सभी अंग होते हैं – उपमये, उपमान, वाचक शब्द, साधारण धर्म। इसमें तुलना किसी अन्य वस्तु से होती है जो वाक्य में उपस्थित नहीं होती।
अलंकार के उदाहरण: “समुद्र सा गंभीर दृढ़ हो, गर्जन सा ऊँचा हो जिसका मन।”
- लुप्तोपमा अलंकार: इसमें उपमा के चारों अंग नहीं होते हैं, बल्कि उसमें किसी एक अंग की अभाविता होती है।
अलंकार के उदाहरण: “कपना सी अत्यंत कोमल।” यहां पर “कपना सी” में उपमा का अंग “अत्यंत कोमल” छुपा हुआ है, जिससे उसकी तुलना किसी सरल वस्तु से हो रही है।
उपमा अलंकार और रूपक अलंकार में क्या अंतर है?
“उपमा अलंकार” और “रूपक अलंकार” दो भिन्न प्रकार के अलंकार हैं जो कविता और अद्भुत भाषा का उपयोग करके श्रेष्ठ रूप से विवेचना या व्यक्ति करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। इन दोनों के बीच अंतर निम्नलिखित है:
उपमा अलंकार | रूपक अलंकार |
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