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तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद: अफगानिस्तान बैठक

भारत-मध्य एशिया संवाद- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

भारत-मध्य एशिया संवाद- संदर्भ

  • हाल ही में, भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक भारत के विदेश मंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।

 

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भारत-मध्य एशिया संवाद- प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: पहली भारत-मध्य एशिया वार्ता जनवरी 2019 में समरकंद में आयोजित की गई थी, जबकि दूसरी भारत-मध्य एशिया वार्ता अक्टूबर 2020 में आभासी प्रारूप में आयोजित की गई थी।
    • भारत-मध्य एशिया संवाद 2019 से भारत एवं मध्य एशियाई देशों के मध्य प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है। चौथा भारत मध्य एशिया संवाद 2022 में आयोजित किया जाने वाला है।
  • भारत-मध्य एशिया संवाद के बारे में: भारत-मध्य एशिया संवाद की तीसरी बैठक 19 दिसंबर 2021 को भारत एवं पांच मध्य एशियाई देशों के मध्य आयोजित की गई थी।
    • भारत-मध्य एशिया संवाद की अध्यक्षता: भारत तीसरी भारत-मध्य एशिया वार्ता 2021 की अध्यक्षता कर रहा था।
  • भागीदारी: कजाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्कमेनिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्रियों ने तीसरी भारत-मध्य एशिया वार्ता बैठक में भाग लिया।
  • चौथा भारत-मध्य एशिया संवाद 2022: चौथा भारत-मध्य एशिया संवाद का आयोजन एवं अध्यक्षता 2022 में मध्य एशियाई देशों द्वारा किया जाएगा।

 

भारत-मध्य एशिया संवाद- अफगानिस्तान बैठक

  • अफगानिस्तान बैठक: तीसरे भारत-मध्य एशिया संवाद में, भाग लेने वाले देशों ने अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति एवं इस क्षेत्र पर इसके प्रभाव पर चर्चा की।
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व: भारत-मध्य एशिया वार्ता देशों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं स्थिर अफगानिस्तान हेतु अपने दृढ़ समर्थन को दोहराया।
    • तीन मध्य एशियाई देश – तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान – अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं।
  • संप्रभुता का सम्मान: भारत-मध्य एशिया संवाद में भागीदार देशों ने अफगानिस्तान की संप्रभुता, एकता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान तथा इसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर बल दिया।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प के साथ संरेखित: भारत एवं मध्य एशियाई देशों ने यूएनएससी संकल्प 2593 (2021) के महत्व की पुनः से पुष्टि की।
    • यूएनएससी संकल्प 2593: यह मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों हेतु शरण स्थली के रूप में, प्रशिक्षण, योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाए एवं सभी आतंकवादी समूहों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई का आह्वान किया जाए।
  • दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद के परिणामों के प्रति सहमति: अफगानिस्तान से संबंधित निम्नलिखित बिंदुओं पर व्यापक क्षेत्रीय सहमति है-
    • वास्तविक अर्थों में प्रतिनिधिमूलक एवं समावेशी सरकार का गठन,
    • आतंकवाद और मादक द्रव्यों के अवैध व्यापार का मुकाबला करना,
    • संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका,
    • अफगान लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करना एवं
    • महिलाओं, बच्चों तथा अन्य राष्ट्रीय नृजातीय समूहों के अधिकारों का संरक्षण करना।

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तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद- प्रमुख परिणाम

  • भारत-मध्य एशिया संबंध: 2022 में भारत एवं मध्य एशियाई राज्यों के मध्य राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त समारोह आयोजित करने की योजना है।
  • व्यापार सहयोग: मंत्रियों ने अक्टूबर 2020 में आयोजित भारत-मध्य एशिया व्यापार परिषद (आईसीएबीसी) की दूसरी बैठक के परिणामों का स्वागत किया।
    • भारत-मध्य एशिया व्यापार परिषद (आईसीएबीसी): भारत-मध्य एशिया संवाद के तहत एक बी-2-बी निकाय, व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने, व्यापार नियमों की अधिक समझ को सुविधाजनक बनाने और पारस्परिक निवेश को प्रोत्साहित करने के अपने प्रयासों को जारी रखने हेतु।
    • उन्होंने 2022 की पहली तिमाही में आईसीएबीसी की तीसरी बैठक की मेजबानी करने के लिए उज्बेकिस्तान गणराज्य के चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रस्ताव का स्वागत किया।
  • विशेषीकृत राष्ट्रीय संस्थानों के मध्य सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता: वित्त, नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना, डिजिटल एवं अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में।
  • वैश्विक जलवायु सहयोग: वे यूएनएफसीसीसी एवं इसके पेरिस समझौते के तहत साम्यता (इक्विटी), राष्ट्रीय परिस्थितियों एवं सामान्य किंतु पृथक पृथक उत्तरदायित्वों के एवं संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांत के अनुरूप प्रतिबद्धताओं के क्रियान्वयन हेतु सहमत हुए।
  • व्यापक स्तर पर एवं दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग की आवश्यकता: मध्य एशियाई देशों एवं भारत के मध्य परस्पर संपर्क को सुदृढ़ एवं विस्तारित करने हेतु।
    • इस संदर्भ में तुर्कमेनिस्तान के विदेश मंत्री ने तापी गैस पाइपलाइन परियोजना के महत्व पर बल दिया।
  • पारगमन समझौतों का उपयोग: मंत्रियों ने भारत एवं मध्य एशियाई देशों के मध्य संपर्क में वृद्धि करने हेतु विभिन्न पारगमन समझौतों के इष्टतम उपयोग पर बल दिया। उदाहरण के लिए-
    • अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी)
    • अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं ट्रांजिट कॉरिडोर से संबंधित अश्गाबात समझौता

 

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