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भारतीय आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों के रूप में मान्यता- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त भारतीय आर्द्रभूमियां चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, सरकार ने बताया कि रामसर अभिसमय के हिस्से के रूप में, पांच नई भारतीय स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता प्रदान की गई है।
रामसर साइटों के रूप में नामित पांच नई आर्द्रभूमि की सूची
- भारत में कुल रामसर आर्द्रभूमियां: अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों के रूप में पांच नए भारतीय आर्द्रभूमियों की मान्यता के साथ, भारत में अब देश में विगत 49 से 54 रामसर स्थल हैं।
- नवीन रामसर स्थलों की सूची: सम्मिलित किए गए नवीन आर्द्रभूमि स्थल हैं-
- तमिलनाडु से तीन आर्द्रभूमि-
- करीकिली पक्षी अभ्यारण्य,
- पल्लीकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट एवं
- पिचवरम मैंग्रोव।
- मिजोरम में एक-
- पाला आर्द्रभूमि
- मध्य प्रदेश में एक-
- साख्य सागर
- तमिलनाडु से तीन आर्द्रभूमि-
रामसर मान्यता क्या है?
- रामसर मान्यता संपूर्ण विश्व में आर्द्रभूमियों की पहचान है, जो अंतरराष्ट्रीय महत्व के हैं, विशेष रूप से यदि वे जलपक्षी (पक्षियों की लगभग 180 प्रजातियों) को पर्यावास प्रदान करते हैं।
- ऐसी आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं उनके संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग में अंतर्राष्ट्रीय हित तथा सहयोग निहित है।
रामसर सम्मेलन के बारे में
- आर्द्रभूमियों पर रामसर अभिसमय आधुनिक वैश्विक अंतर-सरकारी पर्यावरण समझौतों में सर्वाधिक पुराना है।
- प्रवासी जलपक्षियों के लिए आर्द्रभूमि पर्यावास की बढ़ती हानि एवं गिरावट के बारे में चिंतित देशों तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा 1960 के दशक के दौरान संधि पर वार्ता आयोजित की गई थी।
- इसे 1971 में ईरानी शहर रामसर में अंगीकृत किया गया था एवं यह 1975 में प्रवर्तन में आया था।
- तब से, आर्द्रभूमियों पर अभिसमय को रामसर अभिसमय (कन्वेंशन) के रूप में जाना जाता है।
- अनुबंध करने वाले पक्षों ने कॉप 12 पर 2016-2024 हेतु चतुर्थ रणनीतिक योजना को स्वीकृति प्रदान की।
- रामसर कन्वेंशन का विस्तृत उद्देश्य संपूर्ण विश्व में आर्द्रभूमियों की क्षति को रोकना है एवं जो शेष बचे हैं, उन्हें बुद्धिमत्ता पूर्ण ढंग से उपयोग एवं प्रबंधन के माध्यम से संरक्षित करना है।
आर्द्रभूमियां क्या हैं?
- डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अनुसार, आर्द्रभूमि एक ऐसा स्थल है जहां भूमि जल, या तो लवणीय , स्वच्छ अथवा कहीं इनके मध्य में से आवरित होती है।
- दलदल एवं तालाब, झील अथवा महासागर का किनारा, नदी के मुहाने पर डेल्टा, निचले इलाकों में प्रायः बाढ़ आती है – ये सभी आर्द्रभूमियां हैं।
आर्द्रभूमियों के प्रकार
रामसर अभिसमय के तहत, आर्द्रभूमियों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- समुद्री/तटीय आर्द्रभूमि: इनमें स्थायी उथले समुद्री जल; मूंगे की चट्टानें; ज्वारनदमुखी (मुहाना का) जल; अंतरा ज्वारीय (इंटरटाइडल) दलदल, तटीय लैगून इत्यादि सम्मिलित हैं।
- अंतर्देशीय आर्द्रभूमि: इनमें स्थायी अंतर्देशीय डेल्टा; स्थायी नदियाँ / धाराएं / खाड़ियाँ; अल्पाइन आर्द्रभूमि, टुंड्रा आर्द्रभूमि; झरने; भूतापीय आर्द्रभूमि इत्यादि सम्मिलित हैं।
- मानव निर्मित आर्द्रभूमि: जलीय कृषि तालाब; सिंचित भूमि; जल भंडारण क्षेत्र; अपशिष्ट जल उपचारण क्षेत्र; नहरें एवं जल निकासी मार्ग, खाई इत्यादि।