Home   »   Global Cooperation against Climate Change   »   A Climate Dividend- India at the...

एक जलवायु लाभांश- यूएनएफसीसीसी के कॉप 26 में भारत

एक जलवायु लाभांश- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
  • जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।

UPSC Current Affairs

एक जलवायु लाभांश- संदर्भ

  • ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना अभिसमय के कॉप 26 में भारत को निवल शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए एक समय सीमा अपनाने के लिए दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारत इस रुख को अपना रहा है कि निवल शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए एक राष्ट्रीय समय सीमा की आवश्यकता नहीं है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय देशों जैसे अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में अभी भी प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बहुत अधिक है।

क्या आपने यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 को उत्तीर्ण कर लिया है?  निशुल्क पाठ्य सामग्री प्राप्त करने के लिए यहां रजिस्टर करें

एक जलवायु लाभांश- ग्लासगो सम्मेलन के अपेक्षित परिणाम 

  • वैश्विक कार्बन बजट: पेरिस जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शेष कार्बन बजट की गणना 420-580 गीगा टन CO2 के मध्य की गई।
  • वृहद उत्सर्जक: चीन, यू.एस. एवं यूरोपीय संघ सामूहिक रूप से, अधिकतम उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करते हुए, शेष बजट के एक विस्तृत हिस्से पर नियंत्रण करने की संभावना है।
  • भारत का रुख: भारत फिर से अपनी ऐतिहासिक ऊर्जा निर्धनता, अपर्याप्त विकास एवं प्रति व्यक्ति न्यून उत्सर्जन पर निर्भर रहेगा ताकि विश्व को यह विश्वास दिलाया जा सके कि निवल शून्य लक्ष्य वर्तमान वास्तविकता के साथ असंगत है।

पारिस्थितिक संकट रिपोर्ट 2021

एक जलवायु लाभांश- आगे की राह

  • वैश्विक कार्बन बजट साझा करना: पेरिस समझौते के तहत वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस अथवा 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए देशों को जिम्मेदारी के साथ कार्बन बजट साझा करना चाहिए। · भारत को न्यूनतमवादी दृष्टिकोण अपनाने से बचना चाहिए: जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रभावों को कम करने के लिए एवं समय-समय पर मौसम की चरम घटनाओं से भारत के अपने खतरनाक नुकसान को कम करने हेतु।
  • विश्व के साथ सहयोग एवं अभिसरण: भारत निम्नलिखित हेतु विश्व के साथ अभिसरण की मांग कर सकता है-
    • हरित विकास पथों का अभिनिर्धारण करने, भविष्य के निवेशों को कोविड-19 के लिए एक स्मार्ट पुनः प्राप्ति योजना के साथ जोड़ने हेतु,
    • नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक व्यापक रूप से अपनाना एवं ऊर्जा उत्पादन, भवनों, गतिशीलता इत्यादि में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता के दीर्घकालिक लॉक-इन प्रभावों को टालने हेतु।
  • प्रतिबद्धता को पूरा करना: गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने में करने हेतु समृद्ध देशों को 2020 से प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर का वादा पूरा करना चाहिए।
  • बहु-क्षेत्रीय ऊर्जा संक्रमण: भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए इस दृष्टिकोण का पालन करना चाहिए।

जलवायु सुभेद्यता सूचकांक

एक जलवायु लाभांशनिष्कर्ष

  • 5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए सरकारों को परिशुद्ध तकनीकी, सामाजिक-आर्थिक एवं वित्तीय नीतियोंतथा आवश्यकताओं की रूपरेखा तैयार करना आवश्यक है।
  • भारत को कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक मध्यम अवधि वातायन के तर्क पर बल देते हुए भी, जलवायु वित्त को आकर्षित करने के लिए वर्तमान दशक में प्रारंभ की जाने वाली युक्तियुक्त योजनाओं को ग्रहण करना चाहिए एवं प्रस्तुत करना चाहिए।

स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार

Sharing is caring!

एक जलवायु लाभांश- यूएनएफसीसीसी के कॉप 26 में भारत_3.1