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अभ्यास-हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट)

अभ्यास- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

अभ्यास: भारत में सशस्त्र बलों के लिए बाहरी खतरों से देश की रक्षा एवं देश में शांति  कथा स्थिरता बनाए रखने के लिए अभ्यास-हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) महत्वपूर्ण है। अभ्यास-हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) यूपीएससी  मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन के पेपर 3 (सुरक्षा- सुरक्षा चुनौतियां एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में उनका प्रबंधन; आतंकवाद के साथ संगठित अपराध का संबंध) के अंतर्गत आएगा।

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समाचारों में अभ्यास

  • हाल ही में, अभ्यास – हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) का 29 जून, 2022 को ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज/ITR), चांदीपुर से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया था।
  • अभ्यास परीक्षण उड़ान के दौरान निरंतर ऊंचाई एवं उच्च गतिशीलता सहित कम ऊंचाई पर विमान की क्षमता का प्रदर्शन किया गया।

 

अभ्यास के बारे में प्रमुख तथ्य 

  • अभ्यास  के बारे में: अभ्यास को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन/डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट) द्वारा डिजाइन एवं विकसित किया गया है।
  • अभ्यास प्रक्षेपण यान: अभ्यास एयर व्हीकल को ट्विन अंडर-स्लंग बूस्टर का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया था जो वाहन को आरंभिक त्वरण प्रदान करते हैं।
    • यह उच्च अवध्वनिक (सबसोनिक) गति पर एक दीर्घ सह्यता उड़ान को बनाए रखने के लिए एक छोटे गैस टरबाइन इंजन द्वारा संचालित है।
    • अभ्यास वाहन को पूर्ण रूप से स्वसंचालित उड़ान के लिए क्रमादेशित (प्रोग्राम) किया गया है।
  • विशेषताएं: लक्ष्य विमान निम्नलिखित से सुसज्जित है-
    • मार्गदर्शन एवं नियंत्रण  हेतु उड़ान नियंत्रण कंप्यूटर के साथ नौवहन (नेविगेशन) के लिए सूक्ष्म-विद्युत् यांत्रिक प्रणाली (माइक्रो-इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम)-आधारित जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली;
    • अत्यंत निम्न ऊंचाई वाली उड़ान के लिए स्वदेशी रेडियो अल्टीमीटर तथा
    • ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन एवं लक्षित वायुयान (टारगेट एयरक्राफ्ट) के मध्य गूढ लिखित (एन्क्रिप्टेड) संचार के लिए डेटा लिंक।
  • महत्व: अभ्यास का विकास – हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) सशस्त्र बलों के लिए हवाई लक्ष्यों की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

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डीआरडीओ के बारे में

  • पृष्ठभूमि: डीआरडीओ का गठन 1958 में भारतीय सेना के तत्कालीन पूर्व समय से कार्यरत तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (टेक्निकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट/TDE) तथा रक्षा विज्ञान संगठन (डिफेंस साइंस ऑर्गेनाइजेशन/DSO) के साथ तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (डायरेक्टरेट ऑफ टेक्निकल डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन/DTDP) के समामेलन से हुआ था।
  • मूल मंत्रालय: DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं विकास( रिसर्च एंड डेवलपमेंट/R&D) विंग है।
  • दृष्टिकोण तथा मिशन:
    • डीआरडीओ का दृष्टिकोण भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ सशक्त बनाना है।
    • डीआरडीओ का मिशन महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों एवं प्रणालियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है, जबकि हमारे सशस्त्र बलों को तीनों सेनाओं द्वारा निर्धारित आवश्यकताओं के अनुसार अत्याधुनिक शस्त्र प्रणालियों एवं उपकरणों से लैस करना है।
  • प्रमुख उपलब्धियां: डीआरडीओ की आत्मनिर्भरता एवं सफल स्वदेशी विकास तथा रणनीतिक प्रणालियों  एवं प्लेटफार्मों का उत्पादन जैसे –
    • मिसाइलों की अग्नि एवं पृथ्वी श्रृंखला;
    • हल्के लड़ाकू विमान, तेजस;
    • मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, पिनाका;
    • वायु रक्षा प्रणाली, आकाश;
    • रडार एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला; इत्यादि।

 

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