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अखिल भारतीय शिक्षा समागम- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
समाचारों में अखिल भारतीय शिक्षा समागम
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करेंगे।
अखिल भारतीय शिक्षा समागम
- अखिल भारतीय शिक्षा समागम के बारे में: अखिल भारतीय शिक्षा समागम एक तीन दिवसीय सम्मेलन है जिसका आयोजन इस विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए किया जा रहा है कि विगत दो वर्षों में अनेक पहलों के सफल क्रियान्वयन के पश्चात संपूर्ण देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को किस प्रकार आगे बढ़ाया जा सकता है।
- अधिदेश: अखिल भारतीय शिक्षा समागम निम्नलिखित उद्देश्यों हेतु है-
- विचारोत्तेजक चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान करे जो रोडमैप एवं कार्यान्वयन रणनीतियों को स्पष्ट करेगा, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा तथा
- अंतःविषय विचार-विमर्श के माध्यम से नेटवर्क निर्मित करे एवं शैक्षणिक संस्थानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करे तथा समाधानों को स्पष्ट करे।
- आयोजक संस्थान: अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से किया जा रहा है।
- भागीदारी: अखिल भारतीय शिक्षा समागम नवीन शिक्षा नीति -2020 के क्रियान्वयन के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए सार्वजनिक तथा निजी विश्वविद्यालयों के 300 से अधिक कुलपतियों एवं निदेशकों, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं के साथ-साथ उद्योग प्रतिनिधियों को एक साथ लाएगा।
- प्रमुख विषय-वस्तु: अखिल भारतीय शिक्षा समागम में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी-
- बहुआयामी एवं समग्र शिक्षा,
- कौशल विकास तथा रोजगार,
- भारतीय ज्ञान प्रणाली,
- शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण,
- डिजिटल सशक्तिकरण एवं ऑनलाइन शिक्षा,
- अनुसंधान, नवाचार एवं उद्यमिता,
- गुणवत्ता, रैंकिंग तथा प्रत्यायन,
- न्यायसंगत एवं समावेशी शिक्षा,
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों का क्षमता निर्माण।
- महत्व: अखिल भारतीय शिक्षा समागम के परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा पर वाराणसी घोषणा को अपनाया जाएगा जो उच्च शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करने हेतु भारत की विस्तारित दृष्टि एवं नए सिरे से प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में प्रमुख बिंदु
- यह हमारे देश की तीसरी शिक्षा नीति है। प्रथम 2 शिक्षा नीतियों को 1968 एवं 1986 में विमोचित किया गया था।
- यह राष्ट्रीय नीति 34 वर्षों के अंतराल के बाद आई है।
- यह कस्तूरीरंगन समिति की संस्तुतियों पर आधारित है।
- इसने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया।
- यह 5+3+3+4 पाठ्यचर्या एवं शैक्षणिक संरचना को प्रस्तावित करता है।
चरण | वर्ष | कक्षा | सुविधाएँ |
आधारभूत | 3-8 | 3 वर्ष पूर्व-प्राथमिक एवं 1-2 | लचीली, बहु-स्तरीय, गतिविधि-आधारित शिक्षण |
प्रारंभिक | 9-11 | 3-5 | सरल पाठ्यपुस्तकें, अधिक औपचारिक किंतु संवादात्मक कक्षा शिक्षण |
मध्य | 12-14 | 6- 8 | अधिक अमूर्त अवधारणाओं को सीखने के लिए विषय शिक्षकों का प्रवेश, अनुभवात्मक अधिगम |
माध्यमिक | 15-18 | 9-12 | संपूर्ण अध्ययन, आलोचनात्मक विचार, जीवन की आकांक्षाओं पर अधिक ध्यान देना |
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन
- भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया/एचईसीआई) नामक एक शीर्ष निकाय होगा, जो निम्नलिखित निकायों के मध्य विवादों का समाधान करेगा।
निकाय | विशेषताएं |
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक प्राधिकरण (नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी/NHERA) | सरल किंतु सख्त विनियमन |
राष्ट्रीय प्रत्यायन आयोग (नेशनल एक्रीडिटेशन कमीशन/NAC) | मेटा-मान्यता प्राप्त एजेंसी |
उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (हायर एजुकेशन ग्रांट्स काउंसिल/HEGC) | वित्तपोषण के लिए उत्तरदायी |
सामान्य शिक्षा परिषद (जनरल एजुकेशन काउंसिल/GEC) | उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिए अपेक्षित शिक्षण परिणामों की रूपरेखा तैयार करना। |