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अमूर बाज- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: पर्यावरण- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण।
अमूर बाज- प्रसंग
- हाल ही में, प्रवासी अमूर बाज़ वार्षिक ठहराव हेतु मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में पहुंचने लगे।
- इस संदर्भ में मणिपुर राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री ने लोगों से मौसमी आगंतुकों का शिकार न करने की अपील की है।
अमूर बाज- प्रमुख बिंदु
- अमूर बाज के बारे में: अमूर बाज विश्व के सर्वाधिक लंबे समय तक यात्रा करने वाले शिकारी पक्षी (रैप्टर) हैं एवं वे प्रत्येक वर्ष शीत ऋतु के आरंभ में यात्रा करना प्रारंभ करते हैं।
- अमूर बाज का वैज्ञानिक नाम: फाल्को अमरेंसिस।
- प्रजनन स्थल: अमूर फाल्कन दक्षिण पूर्वी साइबेरिया एवं उत्तरी चीन में प्रजनन करते हैं।
- प्रवासी मार्ग: शीत ऋतु के लिए अफ्रीका की अपनी आगे की यात्रा आरंभ करने से पूर्व बाज प्रत्येक वर्ष चीन एवं रूस में प्रजनन स्थलों से जिले का दौरा- 30,000 किमी से अधिक की एक यात्रा करते हैं।
- अमूर फाल्कन्स की सुरक्षा स्थिति:
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) लाल सूची: संकट मुक्त (एलसी)।
- अमूर बाज भी भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।
- प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय के तहत अमूर बाज (फाल्कन्स) को भी संरक्षण प्रदान किया गया है, जिसमें भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है, जिससे पक्षियों की रक्षा करना भारत पर बाध्यकारी है।
आईयूसीएन विश्व संरक्षण कांग्रेस
भारत में अमूर फाल्कन
- भारत में पड़ाव: नागालैंड में दोयांग झील अमूर बाजों के ठहराव के लिए जानी जाती है, जो उनके प्रजनन स्थलों से उष्ण दक्षिण अफ्रीका के लिए उनके वार्षिक प्रवास के दौरान होती है।
- “फाल्कन कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” की उपाधि नागालैंड को इसी कारण से प्रदान की गई है।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं: अमूर फाल्कन्स लगभग एक महीने तक नागालैंड में रहते हैं एवं बड़ी संख्या में कीड़ों को खाकर पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरक्षण में सहायता करते हैं, इस प्रकार उनकी आबादी को नियंत्रित करते हैं।
- दंड: अमूर फाल्कन्स का शिकार मणिपुर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत दंडनीय है एवं इसके लिए तीन वर्ष का कारावास एवं 25,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है।