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डाउन टू अर्थ पत्रिका का विश्लेषण: ”द एंथ्रोपोसीन एपोच”

डाउन टू अर्थ पत्रिका का विश्लेषण: द एंथ्रोपोसीन एपोच

प्रासंगिकता

जीएस 3: आपदा प्रबंधन, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए)

परिचय

  • शीघ्र ही एंथ्रोपोसीन कार्य बल (एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप/AWG) हमें पृथ्वी को एक नए भूवैज्ञानिक युग में प्रवेश करने के साक्षी प्रथम होमो सेपियन्स घोषित करेगा, जिसका नाम हमारे नाम पर रखा गया है।
  • यह ग्रह के पारिस्थितिक तंत्र पर हमारे अपरिवर्तनीय प्रभावों पर तत्काल ध्यान देने का आह्वान है।

होलोसीन युग क्या है?

  • यह वर्तमान भूवैज्ञानिक युग है।
  • होलोसीन युग के प्रारंभ में, ग्रह का एक नया भूगोल, जनसांख्यिकी तथा पारिस्थितिकी तंत्र था क्योंकि पुरापाषाण काल ​​​​अपनी समाप्ति के समीप था एवं एक गर्म मौसम आरंभ हो गया था।
  • हिमनद (ग्लेशियर) पिघल गए, विशाल क्षेत्रों में नए वन आ गए, विशालकाय तथा रोमिल गैंडे गर्म जलवायु के कारण मृत हो गए गए एवं मनुष्यों ने अधिक व्यवस्थित जीवन के लिए भोजन एकत्र करना  तथा शिकार करना छोड़ने का निर्णय लिया। इससे मानव आबादी में भी अधिक वृद्धि हुई।

एंथ्रोपोसीन युग क्या है?

  • एंथ्रोपोसीन भूगर्भीय पैमाने में एक असामान्य चरण है जहां प्रमुख प्रजातियां मूल रूप से पारिस्थितिक तंत्र को परिवर्तित कर देती हैं एवं अब इसका सर्वाधिक बेहद चिंता इसे ठीक करने के तरीकों की खोज करना होगा।
  • यहाँ होमो सेपियन्स एवं ग्रह पर बाकी प्रजातियों के मध्य संघर्ष उत्पन्न होता है।
  • वैज्ञानिकों का तर्क है कि एंथ्रोपोसीन ने औद्योगिक क्रांति के आगमन के साथ स्थापित होना आरंभ कर दिया, जिससे औद्योगिक उत्पादन, रसायनों की खोज तथा प्राकृतिक प्रणालियों पर उनके व्यापक प्रभाव हुए

एंथ्रोपोसीन युग घोषित करने हेतु क्या कार्य किया गया है?

  • 2016 में, प्रथम बार, दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस ने अनौपचारिक रूप से एंथ्रोपोसीन के आगमन की घोषणा करने हेतु मतदान किया गया।
  • मई 2019 में, एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप (AWG) नामक वैज्ञानिकों के एक 34-सदस्यीय पैनल – क्वाटरनरी स्ट्रेटीग्राफी पर उप-आयोग द्वारा स्थापित, स्ट्रैटिग्राफी पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग का हिस्सा है जो भूगर्भिक समय चार्ट का निरीक्षण करता है – नए नए युग की घोषणा करने के लिए मतदान किया।
  • AWG शीघ्र ही इसके लिए अपने मूल निकाय के समक्ष एक औपचारिक प्रस्ताव रखेगी। यह वर्तमान युग के अंत को चिह्नित करेगा जिसे होलोसीन युग कहा जाता है, जो लगभग 11,700 वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ था।
  • समकालीन वैज्ञानिकों द्वारा पूर्वव्यापी रूप से नामित यह युग, ग्रह की जलवायु में परिवर्तन के पश्चात मनुष्यों द्वारा  व्यवस्थित कृषि को अपनाने के साथ अस्थायी रूप से अनुरूप है।
  • एंथ्रोपोसीन के संदर्भ में, AWG के 34 सदस्यों में से 29 ने इस युग के प्रारंभ के रूप में 20 वीं शताब्दी के मध्य को घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
  • वैज्ञानिक पूर्व समय से ही हमारे पारिस्थितिक तंत्र में इस तरह के मानवीय हस्तक्षेप के साक्ष्य देखने के लिए  स्थलों की खोज कर रहे हैं।
  • विशेष रूप से, वे अमेरिका में 1945 में प्रथम परमाणु हथियारों के परीक्षण के दौरान जारी रेडियोन्यूक्लाइड्स (परमाणु जो विकिरण का उत्सर्जन करते हैं, क्योंकि वे रेडियोसक्रिय क्षय का अनुभव करते हैं) को देख रहे हैं।
  • ये कण संपूर्ण विश्व में बिखरे हुए हैं तथा पृथ्वी पर मानव  की  स्थायी छाप छोड़ते हुए पृथ्वी की मृदा, पा जल, पौधों तथा हिमनदों का हिस्सा बन गए हैं।
  • प्लास्टिक – एक पूर्ण सर्वव्यापी मानव आविष्कार – को एंथ्रोपोसीन के एक अन्य चिन्ह (मार्कर) के रूप में प्रस्तावित किया जा रहा है।

मानव प्रभाव प्रकृति को कैसे विफल करते हैं?

  • वैज्ञानिकों ने योगदान की गई 18 श्रेणियों का अभिनिर्धारण किया है – वायु एवं जल निर्मलन, कार्बन का पृथक्करण, फसलों का परागण करना – जो प्रकृति मनुष्यों के लिए जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने  हेतु निर्मित करती है।
  • विगत 50 वर्षों में प्रकृति इन 80 प्रतिशत श्रेणियों में अपनी भूमिका नहीं निभा पा रही है।
  • लोगों के लिए जैव विविधता तथा प्रकृति का योगदान हमारी साझी धरोहर है  एवं मानवता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक सुरक्षा जालहै। किंतु हमारा सुरक्षा जाल लगभग खंडन बिंदु तक विस्तृत हो चुका है।
  • प्रजातियों के भीतर, प्रजातियों एवं पारिस्थितिकी तंत्र के मध्य की विविधता, साथ ही साथ प्रकृति से प्राप्त  अनेक मौलिक योगदान तेजी से घट रहे हैं, यद्यपि हमारे पास अभी भी लोगों एवं ग्रह के लिए एक  धारणीय भविष्य सुनिश्चित करने हेतु साधन हैं।

विलुप्त होने के चरण के संकेत

  • दो संकेत हैं जो विलुप्त होने के चरण से पूर्व घटित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या में कमी होती है तथा इसके वितरण क्षेत्रों में कमी आती है।
  • ये दो लक्षण अभी मनुष्यों के अतिरिक्त सभी प्रजातियों में अत्यधिक स्पष्ट हैं।
  • IUCN के अनुसार, वर्ष 1500 से, लगभग 900 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।
  • 16वीं शताब्दी के पश्चात से, 680 कशेरुक प्रजातियों को विलुप्त होने की ओर प्रेरित कर दिया गया है; भोजन तथा कृषि के लिए प्रयोग किए जाने वाले स्तनधारियों की सभी पालतू नस्लों में से 9 प्रतिशत 2016 तक विलुप्त हो गए।
  • इसके अतिरिक्त, ऐसी लगभग 1,000 अन्य पालतू नस्लें विलुप्त होने के कगार पर हैं।
  • लगभग 33 प्रतिशत प्रवाल भित्ति निर्मित करने वाले प्रवाल एवं सभी समुद्री स्तनधारियों के एक तिहाई से अधिक संकटग्रस्त हैं।
  • पारिस्थितिक तंत्र, प्रजातियां, वन्य जीवों की आबादी, स्थानीय किस्में तथा घरेलू पौधों  तथा पशुओं की नस्लें  संकुचित हो रही हैं, ह्रासित हो रही हैं  अथवा लुप्त हो रही हैं।
  • पृथ्वी पर जीवन का अनिवार्य, अंतर्संबंधित जाल छोटा होता जा रहा है एवं तेजी से जीर्ण होता जा रहा है।

कौन जिम्मेदार है?

  • यह क्षति मानव गतिविधि का प्रत्यक्ष परिणाम है  एवं विश्व के सभी क्षेत्रों में मानव कल्याण के लिए एक  प्रत्यक्ष खतरा है।
  • तीन-चौथाई भूमि-आधारित पर्यावरण तथा लगभग दो-तिहाई समुद्री पर्यावरण में मानवीय क्रियाओं द्वारा  व्यापक रूप से परिवर्तन किया गया है।
  • स्वच्छ जल के समस्त संसाधनों का लगभग 75 प्रतिशत अब फसल एवं पशुधन पालन गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है।
  • प्रभाव डरावने हैं। उदाहरण के लिए, वैश्विक भूमि के 23 प्रतिशत में उत्पादकता, भूमि क्षरण के कारण कम हो गई है।
  • वार्षिक वैश्विक फसलों में 577 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक परागणक हानि से जोखिम है एवं तटीय  पर्यावासों  तथा सुरक्षा की हानि के कारण 100-300 मिलियन लोग बाढ़ तथा तूफान के बढ़े हुए खतरे में हैं।

एसडीजी का भविष्य?

  • यदि मानव सभ्यता स्वयं में सुधार नहीं करती है तथा प्राकृतिक व्यवस्था की रक्षा के लिए त्वरित रूप से कार्य नहीं करती है, तो  विश्व संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लक्ष्यों को प्राप्त करने से व्यापक अंतर से चूक सकती है।
  • लक्ष्यों के तहत लगभग 80 प्रतिशत (44 में से 35) निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाएंगे। जैव विविधता की हानि निर्धनता, भूख, स्वास्थ्य, जल, शहरों, जलवायु, महासागरों तथा भूमि से संबंधित एसडीजी को प्रभावित  करेगी।
  • प्रकृति के संरक्षण एवं धारणीयता प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले वर्तमान प्रक्षेपवक्र, जैसे कि आइची जैव विविधता लक्ष्यों एवं सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 में सन्निहित हैं, को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

 

 

manish

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