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कुरुक्षेत्र पत्रिका का विश्लेषण
”महिलाओं का वित्तीय सशक्तिकरण”
प्रासंगिकता
”जीएस 1: महिलाओं की भूमिका, भारतीय समाज की प्रमुख विशेषताएं, सामाजिक अधिकारिता, महिलाओं से संबंधित मुद्दे”
परिचय
- महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में निवेश लैंगिक समानता, निर्धनता उन्मूलन एवं समावेशी आर्थिक विकास की दिशा में एक सीधा मार्ग निर्धारित करता है।
- महिलाएं अर्थव्यवस्थाओं में, चाहे व्यवसायों में, खेतों में, उद्यमियों या कर्मचारियों के रूप में, या घर पर अवैतनिक देखभाल कार्य संपादित करके बहुत बड़ा योगदान देती हैं।
महिला आर्थिक सशक्तिकरण क्या है?
- महिला आर्थिक सशक्तिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा महिलाएं आर्थिक संसाधनों के अपने अधिकार एवं निर्णय लेने की शक्ति में वृद्धि करती हैं जिससे उन्हें, उनके परिवार तथा उनके समुदायों को लाभ होता है।
- महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में निवेश से निर्धनता को कम करने तथा पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य समानता का मार्ग प्रशस्त होता है।
लैंगिक अंतराल को समाप्त करने पर कोविड-19 का प्रभाव?
- वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ”ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट, 2021” के अनुसार महिलाओं की एक और पीढ़ी को कोविड-19 के कारण लैंगिक समानता के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
- जैसा कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव को अनुभव किया जा रहा है, वैश्विक लैंगिक अंतराल को समाप्त करना एक पीढ़ी द्वारा 99.5 वर्ष से बढ़कर 135.6 वर्ष हो गया है।
महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण के प्रमुख लाभ
- महिलाओं के अधिकारों एवं लैंगिक समानता को साकार करने के लिए महिला आर्थिक सशक्तिकरण केंद्रीय है।
- सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा प्राप्त करने की कुंजी – विशेष रूप से लक्ष्य 5, लैंगिक समानता प्राप्त करने हेतु एवं लक्ष्य 8, पूर्ण तथा उत्पादक रोजगार एवं सभी के लिए अच्छे कार्य को बढ़ावा देने हेतु।
- जब अधिक महिलाएं काम करती हैं, अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि होती हैं – यह अनुमान लगाया जाता है कि लैंगिक अंतराल अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15 प्रतिशत वहन करता है।
- महिलाओं एवं बालिकाओं की शैक्षिक प्राप्ति में वृद्धि से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण तथा अधिक समावेशी आर्थिक विकास में योगदान होता है – विगत 50 वर्षों में ओईसीडी देशों में आर्थिक विकास में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- महिलाओं की आर्थिक समानता कार्य के लिए अच्छी है – यह अनुमान है कि उच्च प्रबंधन कार्यों में तीन या अधिक महिलाओं वाली कंपनियां संगठनात्मक प्रदर्शन के सभी आयामों में उच्च स्कोर करती हैं।
यूएन वूमेन के बारे में
- यू एन वूमेन संयुक्त राष्ट्र का संगठन है जो लैंगिक समानता एवं महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति समर्पित है।
- महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए एक वैश्विक चैंपियन, यूएन वूमेन की स्थापना संपूर्ण विश्व में उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रगति में तेजी लाने के लिए की गई थी।
- कई अंतरराष्ट्रीय समझौते यूएन वूमेन के कार्य का मार्गदर्शन करते हैं।
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021
- विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत 156 देशों में से 0.625 (1 में से) के स्कोर के साथ 140 वें स्थान पर है।
- ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स (जीजीजीआई) पर स्कोर प्रदान करती है, जो चार आयामों, अर्थात आर्थिक भागीदारी तथा अवसर, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा तथा राजनीतिक अधिकारिता में पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य के अंतराल की जांच करती है।
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 में भारत ने इतना निराशाजनक प्रदर्शन क्यों किया?
- विगत वर्ष की तुलना में, ‘राजनीतिक अधिकारिता‘ आयाम के कारण भारतीय स्कोर में काफी कमी आई है।
- इस आयाम में भारत का स्कोर विश्व में सर्वाधिक होना चाहिए क्योंकि भारत ने स्थानीय स्व- शासन स्तर पर महिलाओं को 30% आरक्षण प्रदान किया है एवं वर्तमान में स्थानीय स्व- शासन निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 30% से अधिक है।
- यद्यपि, प्रकाशन एजेंसी, विश्व आर्थिक मंच, केवल संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखता है।
महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा प्रमुख पहल
बेटी बचाओ बेटी पढाओ
- यह बालिकाओं की सुरक्षा, अस्तित्व एवं शिक्षा सुनिश्चित करता है।
किशोरियों के लिए योजना
- इसका उद्देश्य 11-18 आयु वर्ग की बालिकाओं को सशक्त बनाना तथा पोषण, जीवन कौशल, गृह कौशल एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार करना है।
कामकाजी महिला छात्रावास
- यह कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा तथा संरक्षा सुनिश्चित करता है।
राष्ट्रीय शिशु गृह योजना
- यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं बच्चों के लिए एक विश्वसनीय, सुरक्षित एवं स्फूर्तिदायक वातावरण प्रदान करके लाभकारी रोजगार प्राप्त करें।
प्रधानमंत्री आवास योजना
- इसका उद्देश्य महिला के नाम पर आवास उपलब्ध कराना भी है।
प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना
- इसका उद्देश्य महिलाओं सहित बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को बेहतर आजीविका प्राप्त करने हेतु उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण ग्रहण करने में सक्षम बनाना है।
दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
- यह कौशल विकास में महिलाओं के लिए अवसर सृजित करने पर केंद्रित है, जिससे बाजार आधारित रोजगार प्राप्त हो सके।
सुकन्या समृद्धि योजना
- इस योजना के तहत बैंक खाते खोलकर बालिकाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया गया है।
कौशल उन्नयन एवं महिला कॉयर योजना
- यह एमएसएमई का एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य कॉयर उद्योग में संलग्न महिला कारीगरों का कौशल विकास करना है।
प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
- यह गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से एक प्रमुख साख सहलग्न सहायिकी (क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी) कार्यक्रम है।
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना
- यह सूक्ष्म / लघु व्यवसायों को संस्थागत वित्त तक पहुंच प्रदान करती है।