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शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति (एएसईआर) – यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- सामाजिक क्षेत्र/शिक्षा से संबंधित सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
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शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर)- संदर्भ
- शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2021 को हाल ही में एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) प्रथम द्वारा प्रकाशित किया गया था।
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर)- प्रमुख बिंदु
- एएसईआर रिपोर्ट के बारे में: एएसईआर एक वार्षिक सर्वेक्षण है जिसका उद्देश्य भारत में प्रत्येक राज्य एवं ग्रामीण जिले के लिए बच्चों की विद्यालयी शिक्षा की स्थिति एवं बुनियादी अधिगम के स्तर का विश्वसनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करना है।
- एएसईआर भारत के लगभग सभी ग्रामीण जिलों में 2005 से प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता रहा है।
- एएसईआर भारत में सर्वाधिक वृहद नागरिक नेतृत्व वाला सर्वेक्षण है।
- एएसईआर का संचालन प्रथम, एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा किया जाता है।
- भौगोलिक एवं जनसांख्यिकीय आच्छादन:
- एएसईआर यह ग्रामीण शिक्षा एवं अधिगम के परिणामों का एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- अन्य सर्वेक्षणों के विपरीत, एएसईआर विद्यालय-आधारित सर्वेक्षण के स्थान पर घर-आधारित सर्वेक्षण है।
- एएसईआर में वे बच्चे शामिल हैं जो कभी विद्यालय नहीं गए हैं या जिन्होंने बीच में ही विद्यालय का त्याग कर दिया हैं, साथ ही वे बच्चे जो सरकारी विद्यालयों, निजी विद्यालयों, धार्मिक विद्यालयों या कहीं और हैं।
यूनेस्को की भारत के लिए शिक्षा की स्थिति रिपोर्ट 2021
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2021- प्रमुख निष्कर्ष
- एएसईआर 2021 के बारे में: एएसईआर 2021 में 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों वाले 76,000 से अधिक घरों का सर्वेक्षण किया गया।
- एएसईआर 2021 26 राज्यों एवं 4 केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया गया था।
- 16वां एएसईआर एक फोन सर्वेक्षण: महामारी के कारण, एएसईआर की 16वीं वार्षिक रिपोर्ट विद्यालयों एवं ट्यूशन कक्षाओं में नामांकन एवं उपकरणों तथा अधिगम के संसाधनों तक पहुंच का आकलन करने वाले एक फोन सर्वेक्षण पर आधारित थी।
- इससे पूर्व, एएसईआर ने प्रत्यक्ष (आमने-सामने) सर्वेक्षण किया जिसमें अधिगम के परिणामों एवं पढ़ने तथा अंकगणित कौशल में बच्चों की दक्षताओं का आकलन किया गया।
- एएसईआर 2020 (सितंबर 2020 में आयोजित) पहला फोन-आधारित एएसईआर सर्वेक्षण था।
- नामांकन: महामारी के दौरान विद्यालय में नामांकित नहीं होने वाले ग्रामीण बच्चों का प्रतिशत दोगुना हो गया।
- कक्षा 1 एवं 2 में नामांकित एक तिहाई से अधिक बच्चे कभी व्यक्तिगत रूप से विद्यालय नहीं गए।
- नामांकन में स्थानांतरण: सरकारी विद्यालयों में (2018 में 3% से 2021 में 70.3%) निजी विद्यालयों (2018 में 32.5% से गिरकर 2021 में 24.4% हो गई) को पीछे छोड़ कर नामांकन में वृद्धि देखी गई।
- सरकारी विद्यालयों में नामांकन में स्थानांतरण वित्तीय संकट, किफायती निजी विद्यालयों के बंद होने एवं प्रवासियों के ग्रामीण क्षेत्रों में वापस लौटने का परिणाम हो सकता है।
- अधिगम के परिणाम: जबकि 92% बच्चों के पास अपनी कक्षा के लिए पाठ्यपुस्तकें थीं, मात्र एक तिहाई के पास किसी अन्य शिक्षण संसाधन या समर्थन तक पहुंच थी।
- पारंपरिक शिक्षा: सर्वेक्षण के सप्ताह के दौरान लगभग 65% छात्रों ने किसी न किसी प्रकार की पारंपरिक शिक्षण गतिविधि की, जिसमें झारखंड में 44% से लेकर केरल में लगभग 90% सम्मिलित थे।
- ऑनलाइन लर्निंग: स्मार्टफोन की उपलब्धता एवं पहुंच के सीमित होने के कारण, ऑनलाइन लर्निंग एक चौथाई छात्रों तक ही सीमित थी।
- अंतर-राज्यीय विविधताएं: केरल के 91% एवं हिमाचल प्रदेश के लगभग 80% छात्रों ने ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त की, किंतु बिहार से मात्र 10% एवं पश्चिम बंगाल से 13% छात्र सम्मिलित थे।
- ट्यूशन कक्षाएं: महामारी के दौरान, लगभग 40% छात्रों ने ट्यूशन कक्षाएं लीं, क्योंकि अनेक माता-पिता ने अधिगम में सहायता, जो विद्यालयों के बंद होने के कारण छात्रों को नहीं प्राप्त हो पा रहा था को उपलब्ध कराने हेतु संघर्ष किया।
- अध्ययन सामग्री तक पहुंच: अधिकांश राज्यों में पाठ्यपुस्तक वितरण एक सफलता की गाथा थी, जिसमें 92% छात्रों के पास उनके कक्षा स्तर की पाठ्यपुस्तकें थी।
- अभाव: 2021 में बंद सरकारी विद्यालयों में नामांकित एक तिहाई से अधिक छात्रों को सर्वेक्षण के सप्ताह में वर्कशीट, फोन संदेश या किसी अन्य प्रकार की अधिगम गतिविधियां या सामग्री प्राप्त हुई।