Table of Contents
प्रासंगिकता
- जीएस 3: भारत में भूमि सुधार।
प्रसंग
- हाल ही में, असम मॉडल किरायेदारी अधिनियम को अंगीकृत एवं क्रियान्वित करने वाला प्रथम भारतीय राज्य बन गया है।
मुख्य बिंदु
- अधिनियम का उद्देश्य मकान मालिक एवं किरायेदार दोनों के हितों की रक्षा करते हुए परिसर के बाजार संचालित किराए को विनियमित करने हेतु एक किराया प्राधिकरण स्थापित करना है।
- अधिनियम आवासीय एवं वाणिज्यिक परिसरों में किरायेदारी समझौतों को नियंत्रित करने हेतु एक त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र का प्रस्ताव करता है एवं राज्य-स्तरीय किराया न्यायाधिकरणों के साथ-साथ जिला-स्तरीय किराया प्राधिकरणों तथा किराया न्यायालयों की स्थापना करके विवाद समाधान का कार्य करता है।
- यह अधिनियम किराए की उच्चतम सीमा निर्धारित करने के तंत्र से भी स्थानांतरित हो गया है एवं मकान मालिकों को संपत्ति के बाजार मूल्य के आधार पर किराया वसूलने की अनुमति प्रदान करता है।
लाभ
- नए अधिनियम को अंगीकृत करने से, किराया नियंत्रण को समाप्त करके, किराये के आवास क्षेत्र को युक्तिसंगत बनाने की क्षमता है।
- विवादों के प्रभावी समाधान के लिए एक अलग तंत्र की स्थापना से गृह स्वामियों में विश्वास उत्पन्न होगा।
- नया अधिनियम उन मामलों में भी किरायेदारों को लाभान्वित कर सकता है जहां मकान मालिक प्रायः बड़ी सुरक्षा जमा राशि मांगते हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित मॉडल किरायेदारी अधिनियम के बारे में
- मॉडल अधिनियम में मकान मालिक एवं किरायेदार को एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है जो किराए, किरायेदारी की अवधि तथा अन्य संबंधित शर्तों को निर्दिष्ट करता है। सुरक्षा जमा आवासीय परिसर हेतु दो माह के किराए पर एवं गैर-आवासीय परिसर के लिए छह माह के किराए पर सीमा निर्धारित है।
- मॉडल अधिनियम के अंतर्गत किरायेदार को बेदखल करने की शर्तों में शामिल हैं
- सहमत किराए का भुगतान करने से इनकार
- दो माह से अधिक समय से किराया देने में विफलता
- लिखित सहमति के बिना आंशिक या पूरे परिसर पर नियंत्रण
- लिखित नोटिस के बावजूद परिसर का दुरुपयोग।
- मॉडल अधिनियम एक त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक विवाद न्यायनिर्णयन तंत्र स्थापित करता है जिसमें शामिल हैं:
- किराया प्राधिकरण
- किराया न्यायालय एवं
- किराया न्यायाधिकरण।
- आदर्श अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित मामलों पर किसी भी व्यवहार न्यायालय (सिविल कोर्ट) का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।
- जिला समाहर्ता द्वारा राज्य सरकार के अनुमोदन से किराया प्राधिकरण एवं किराया न्यायालय स्थापित किए जा सकते हैं। राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकार, संबंधित क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात एक किराया न्यायाधिकरण की स्थापना कर सकती है।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) जिला एसडीजी सूचकांक एवं डैशबोर्ड 2021-22