'Autism Conclave' organized at National Institute of Social Defence (NISD)
ऑटिज्म कॉन्क्लेव: ऑटिज्म अथवा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी), एक तंत्रिका विकासात्मक विकार (न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर) है, जो संचार, सामाजिक संपर्क, व्यवहार एवं संवेदी प्रसंस्करण में चुनौतियों द्वारा परिलक्षित होता है। यह एक आजीवन स्थिति है जो व्यक्तियों को अलग-अलग तथा अलग-अलग स्तर पर प्रभावित करती है। ऑटिज्म कॉन्क्लेव यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- स्वास्थ्य सेवा तंत्र के विकास हेतु विभिन्न सरकारी पहल) के लिए भी महत्वपूर्ण है।
हाल ही में, ‘ऑटिज्म कॉन्क्लेव’ में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान, विकलांग व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ एंपावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज/DEPWD) के सचिव ने तीन आवश्यक कारकों: जागरूकता, पहुंच एवं वहनीयता पर प्रकाश डाला, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि विकलांग (दिव्यांगजन) व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।
राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस/NISD), द्वारका, नई दिल्ली में ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, बौद्धिक अक्षमता एवं बहु-विकलांगता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट ने ‘ऑटिज्म कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया।
राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संगठन है।
राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (NISD) भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में अपनी भूमिका में कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। NISD द्वारा संपादित किए गए कुछ कार्यों में शामिल हैं:
ऑटिज्म, जिसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के रूप में भी जाना जाता है, एक जटिल तंत्रिका विकासात्मक (न्यूरो डेवलपमेंटल) स्थिति है जो किसी व्यक्ति के संचार, सामाजिक संपर्क, व्यवहार एवं संवेदी प्रसंस्करण को दुष्प्रभावित करती है। यह आमतौर पर बाल्यावस्था में प्रकट होता है एवं एक व्यक्ति में आजीवन रहता है। आत्मकेंद्रित लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला एवं गंभीरता के विभिन्न स्तरों की विशेषता है, यही कारण है कि इसे “स्पेक्ट्रम” विकार कहा जाता है।
ऑटिज्म की कुछ सामान्य विशेषताओं में शामिल हैं:
ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों को उनकी चुनौतियों का प्रबंधन करने तथा उनकी क्षमता विकसित करने में सहायता करने हेतु विभिन्न चिकित्सीय दृष्टिकोण, जैसे व्यवहारिक हस्तक्षेप, वाक् एवं भाषा चिकित्सा, व्यावसायिक चिकित्सा तथा शैक्षिक सहायता का उपयोग किया जाता है। समाज में आत्मकेंद्रित व्यक्तियों की समावेशिता, समझ एवं स्वीकृति को प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑटिज्म से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति विशिष्ट है तथा लक्षणों की गंभीरता एवं संयोजन व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं। आरंभिक निदान, हस्तक्षेप तथा समर्थन ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में अत्यधिक सुधार कर सकते हैं।
प्र. ऑटिज्म क्या है?
उत्तर. ऑटिज्म अथवा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), एक तंत्रिका विकासात्मक विकार (न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर) है, जो संचार, सामाजिक संपर्क, व्यवहार एवं संवेदी प्रसंस्करण में चुनौतियों द्वारा परिलक्षित होता है।
प्र. ऑटिज्म किसके कारण होता है?
उत्तर. ऑटिज्म का सटीक कारण अज्ञात है। ऐसा माना जाता है कि यह अनुवांशिक एवं पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है। शोध से ज्ञात होता है कि कुछ जीन ऑटिज्म के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, किंतु अतिरिक्त कारक इसके विकास में योगदान दे सकते हैं।
प्र. ऑटिज्म के आरंभिक लक्षण क्या हैं?
उत्तर. आत्मकेंद्रिता (ऑटिज्म) के आरंभिक लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, किंतु उनमें प्रायः विलंबित वाक् अथवा वाक् की कमी, सीमित सामाजिक संपर्क, पुनरावृतिक व्यवहार, विशिष्ट वस्तुओं अथवा विषयों पर निर्धारण एवं संवेदी संवेदनाएं शामिल होती हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑटिज्म से पीड़ित सभी व्यक्तियों में ये संकेत मौजूद नहीं हो सकते हैं।
प्र. क्या ऑटिज्म ठीक हो सकता है?
उत्तर. वर्तमान में, ऑटिज्म का कोई ज्ञात उपचार नहीं है। हालांकि, प्रारंभिक अंतःक्षेप तथा उचित समर्थन के साथ, आत्मकेंद्रित व्यक्ति कौशल विकसित कर सकते हैं, संचार में सुधार कर सकते हैं एवं अपनी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सकते हैं।
ऑटिज्म अथवा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD), एक तंत्रिका विकासात्मक विकार (न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर) है, जो संचार, सामाजिक संपर्क, व्यवहार एवं संवेदी प्रसंस्करण में चुनौतियों द्वारा परिलक्षित होता है।
ऑटिज्म का सटीक कारण अज्ञात है। ऐसा माना जाता है कि यह अनुवांशिक एवं पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है। शोध से ज्ञात होता है कि कुछ जीन ऑटिज्म के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, किंतु अतिरिक्त कारक इसके विकास में योगदान दे सकते हैं।
आत्मकेंद्रिता (ऑटिज्म) के आरंभिक लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, किंतु उनमें प्रायः विलंबित वाक् अथवा वाक् की कमी, सीमित सामाजिक संपर्क, पुनरावृतिक व्यवहार, विशिष्ट वस्तुओं अथवा विषयों पर निर्धारण एवं संवेदी संवेदनाएं शामिल होती हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑटिज्म से पीड़ित सभी व्यक्तियों में ये संकेत मौजूद नहीं हो सकते हैं।
वर्तमान में, ऑटिज्म का कोई ज्ञात उपचार नहीं है। हालांकि, प्रारंभिक अंतःक्षेप तथा उचित समर्थन के साथ, आत्मकेंद्रित व्यक्ति कौशल विकसित कर सकते हैं, संचार में सुधार कर सकते हैं एवं अपनी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सकते हैं।
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