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भुगतान संतुलनभारत का भुगतान संतुलन

भारत का भुगतान संतुलन

भुगतान संतुलन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। प्रत्येक वर्ष, प्रारंभिक एवं मुख्य दोनों  परीक्षाओं में, उम्मीदवार इस खंड से प्रश्नों की अपेक्षा कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, भुगतान संतुलन की अच्छी समझ समाचार पत्रों में आने वाली विभिन्न आर्थिक शब्दावलियों को समझने में  सहायता करती है। इस लेख में, हम भुगतान संतुलन पर विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।

 

भुगतान संतुलन (बीओपी) क्या है?

  • भुगतान संतुलन एक विवरण है जो किसी भी अवधि के दौरान व्यावसायिक इकाइयों, सरकार जैसी संस्थाओं के मध्य किए गए प्रत्येक मौद्रिक लेनदेन को अभिलिखित करता है।
  • यह देश में आने वाले धन के प्रवाह की निगरानी में सहायता करता है एवं किसी देश की वित्तीय स्थिति का बेहतर तरीके से मूल्यांकन करने में सहायता करता है।

भुगतान संतुलन की विशेषताएं

  • इसमें सभी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संव्यवहार (लेनदेन) शामिल हैं जिनमें व्यक्तिगत, व्यावसायिक एवं सरकारी लेनदेन शामिल हैं।
  • एक आदर्श परिदृश्य में अर्थात, जब भुगतान संतुलन में सभी तत्वों को सही ढंग से सम्मिलित किया जाता है, तो योग सदैव शून्य होता है।
    • इसका तात्पर्य है कि निधियों के अंतर्वाह एवं बहिर्वाह को संतुलित कर दिया गया है।
    • यद्यपि, यह एक आदर्श स्थिति है एवं इसलिए दैनिक (दिन-प्रतिदिन की) स्थिति में ऐसा नहीं होता है।
  • अधिशेष भुगतान संतुलन (सरप्लस बीओपी) इंगित करता है कि अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में किसी देश का फंड सकारात्मक पक्ष में रहा है। दूसरी ओर, एक बीओपी घाटा इंगित करता है कि अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में किसी देश का धन नकारात्मक रहा है

भुगतान संतुलन का महत्व

  • किसी देश का बीओपी किसी देश की आर्थिक स्थिति को प्रदर्शित करता है।
  • बीओपी का उपयोग घरेलू मुद्रा की स्थिति का अनुमान लगाने हेतु एक संकेतक के रूप में किया जा सकता है।
  • बीओपी स्टेटमेंट किसी देश की मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के निर्धारण में सहायता करते हैं।

भुगतान संतुलन के तत्व

  • भुगतान संतुलन के तीन घटक हैं- चालू खाता, पूंजी खाता, आधिकारिक आरक्षित लेनदेन एवं त्रुटियां तथा छूट

चालू खाता

  • यह भुगतान संतुलन का एक भाग है जो किसी देश के निर्यात एवं आयात की स्थिति जानने में सहायता करता है। चालू खाता अधिशेष इंगित करता है कि किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है जबकि चालू खाता घाटे का अर्थ है कि किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक है।
  • यह निम्नलिखित भागों से मिलकर बना है:
    • व्यापार संतुलन: इसमें वस्तुओं (माल) का लेन-देन करते समय देश के वित्तीय लेनदेन शामिल होते हैं। अतः, व्यापार संतुलन में मूल रूप से अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन शामिल होते हैं जिनमें वस्तुओं का क्रय/विक्रय सम्मिलित होता है।
    • अदृश्य व्यापार का संतुलन: इसमें सेवाओं के व्यापार के दौरान देश के वित्तीय लेनदेन सम्मिलित होते हैं। अतः, अदृश्य व्यापार के संतुलन में मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय लेनदेन शामिल हैं जिनमें सेवाओं का क्रय/विक्रय सम्मिलित है।
    • हस्तांतरण भुगतान: दान, धन प्रेषण जैसे तत्व हस्तांतरण भुगतान के एक घटक हैं एवं इसलिए चालू खाते का एक हिस्सा हैं।

पूंजी खाता

  • पूंजीगत लेनदेन में संपत्ति, वित्तीय एवं गैर-वित्तीय जैसे भूमि एवं संपत्ति दोनों का क्रय एवं विक्रय सम्मिलित होता है।
  • पूंजी खाते में तीन तत्व होते हैं
    • ऋण एवं उधार: इसमें सभी प्रकार के ऋण शामिल हैं जो विदेशों में स्थित निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से लिए गए हैं।
    • निवेश: इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) जैसे तत्व शामिल हैं।
    • विदेशी मुद्रा भंडार: विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक, हमारे मामले में, विनिमय दर की निगरानी के लिए आरबीआई द्वारा धारित किए जाते हैं ।

आधिकारिक आरक्षित लेनदेन

  • यह बीओपी घाटे या बीओपी अधिशेष के मामले में केंद्रीय बैंक द्वारा संचालित किया जाता है। लेन-देन सेंट्रल बैंक, हमारे मामले में आरबीआई द्वारा किए जाते हैं, जो देश के विदेशी मुद्रा के आधिकारिक भंडार में परिवर्तन का कारण बनते हैं।

त्रुटियां एवं चूक

  • निवल त्रुटियां एवं चूक स्रोत डेटा में अपूर्णताओं एवं भुगतान संतुलन खातों के संकलन के परिणामस्वरूप असंतुलन को प्रदर्शित करती है।निवल त्रुटियां एवं चूक एक अवशिष्ट श्रेणी का गठन करती हैं जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि भुगतान संतुलन विवरण में खातों का योग शून्य हो।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति क्या है?

उत्तर. भारत हमारे पूंजी खाते के अधिशेष के कारण भुगतान अधिशेष वाला देश है। यद्यपि, हम एक चालू खाते के घाटे का सामना कर रहे हैं, हमारा पूंजी खाता अधिशेष बहुत अधिक है जो भुगतान अधिशेष की ओर अग्रसर करता है।

प्र. भारत में चालू खाता अधिशेष कब देखा जाता है?

उत्तर. चौथी तिमाही (Q4): 2020-21 में 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.0 प्रतिशत) के घाटे के मुकाबले भारत के चालू खाते की शेष राशि ने  पहली तिमाही (Q1): 2021-22 में 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 0.9 प्रतिशत) का अधिशेष दर्ज किया।

प्र. क्या चालू खाता अधिशेष सदैव अच्छा होता है?

उत्तर. आम तौर पर, चालू खाता अधिशेष एक अर्थव्यवस्था का एक अच्छा संकेत है। इसका तात्पर्य है कि देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है। यद्यपि, यह सदैव अच्छा नहीं होता है। भारत जैसे आयात पर निर्भर देश के लिए, जब चालू खाते की शेष राशि अधिशेष दर्ज करती है, तो इसका तात्पर्य है कि मांग में कमी आई है,  जिसके परिणाम स्वरूप आयात में कमी आई है। मांग में कमी आर्थिक गतिहीनता का एक संकेत है।अतः, एक चालू खाता अधिशेष सदैव एक सुदृढ़ आर्थिक स्थिति में परिवर्तित नहीं होता है।

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