Bar Council of India (BCI) frames rules for foreign lawyers and law firms
विदेशी वकीलों एवं कानूनी फर्मों के लिए नियम: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट/एससी) के निर्देशों के अनुसार भारत में कार्यालय स्थापित करने के लिए विदेशी कानून फर्मों एवं विदेशी वकीलों के लिए नियम तैयार किए हैं। यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि तथा विकास के लिए विभिन्न शासन नीतियां एवं पहल) के लिए विदेशी वकीलों एवं लॉ फर्मों के लिए नियम भी महत्वपूर्ण हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), जो देश में कानूनी /विधिक व्यवसाय की देखरेख करती है, ने ऐसे नियम बनाए हैं जो विदेशी कानून फर्मों एवं विदेशी वकीलों को भारत में कार्यालय स्थापित करने की अनुमति प्रदान करते हैं। हालांकि, इन नियमों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अस्थायी आधार पर भारत में अपने ग्राहकों को विधिक परामर्श (कानूनी सलाह) प्रदान करने की अनुमति देने के पाँच वर्ष पश्चात तैयार किया गया है।
13 मार्च, 2018 को एक फैसले में न्यायमूर्ति ए.के. गोयल एवं यू.यू. ललित की एक खंडपीठ ने घोषित किया कि विदेशी कानून फर्मों एवं विदेशी वकीलों को वाद (मुकदमेबाजी) अथवा गैर-मुकदमेबाजी मामलों में भारत में विधि व्यवसाय में शामिल होने की अनुमति नहीं थी।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने भारत में विदेशी वकीलों एवं विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण तथा नियमन के लिए नियम, 2022 प्रस्तुत किए हैं, जो 10 मार्च से प्रभावी हैं।
भारत में वकालत करने के लिए, विदेशी कानून फर्मों एवं वकीलों के पास अपने देश में एक सक्षम प्राधिकारी से एक प्रमाण पत्र होना चाहिए जो विधि व्यवसाय हेतु उनकी पात्रता की पुष्टि करता हो।
इससे विधि व्यवसाय का “निगमीकरण” हो सकता है एवं इसके परिणामस्वरूप वकील भारत में निर्धनों की कानूनी आवश्यकताओं की उपेक्षा कर सकते हैं।
निजी महाविद्यालयों में उच्च शुल्क विधि के छात्रों को मुकदमेबाजी से दूर एवं कॉरपोरेट फर्मों की ओर ले जा सकता है, जो इस मुद्दे को और बढ़ा देता है। अधिक संख्या में भारतीय वकील भारत में गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ने के स्थान पर विदेश में काम करना चुन सकते हैं।
इससे पहले कि विदेशी विधिक कंपनियां भारत में पंजीकरण करना प्रारंभ करें, “पारस्परिकता” के सिद्धांत के बारे में अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है। भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली विदेशी कानून फर्में बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा के माध्यम से कानूनी सेवाओं में सुधार कर सकती हैं तथा विधिक नौकरी बाजार के विस्तार का भी नेतृत्व कर सकती हैं। यह कदम भारतीय कानून फर्मों द्वारा कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/एआई)-आधारित तकनीक को अपनाने को भी प्रोत्साहित कर सकता है।
प्र. भारत में विदेशी वकीलों एवं कानूनी फर्मों के लिए नियमों का उद्देश्य क्या है?
उत्तर. भारत में विदेशी वकीलों एवं कानून फर्मों के लिए नियम विदेशी वकीलों एवं कानून फर्मों को पारस्परिक आधार पर भारत में विदेशी तथा अंतरराष्ट्रीय विधि व्यवसाय करने की अनुमति देने के लिए बनाए गए थे। नियमों का उद्देश्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना एवं भारत को अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के केंद्र के रूप में स्थापित करना भी है।
प्र. नियमों के तहत विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को किस प्रकार की कानूनी प्रैक्टिस की अनुमति है?
उत्तर. विदेशी वकीलों एवं कानून फर्मों को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता, संयुक्त उद्यम, विलय एवं अधिग्रहणतथा बौद्धिक संपदा मामलों सहित विदेशी एवं अंतरराष्ट्रीय विधि व्यवसाय करने की अनुमति है।
प्र. नियमों के तहत भारत में प्रैक्टिस करने के लिए विदेशी वकीलों एवं कानूनी फर्मों के लिए पात्रता मानदंड क्या हैं?
उत्तर. विदेशी वकीलों एवं कानून फर्मों के पास अपने देश में एक सक्षम प्राधिकारी से प्रमाणपत्र के रूप में एक प्राथमिक योग्यता होनी चाहिए जो विधि व्यवसाय करने की उनकी योग्यता की पुष्टि करती है। उन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ भी पंजीकरण कराना होगा एवं प्रत्येक पांच वर्ष में अपने पंजीकरण का नवीनीकरण कराना होगा।
प्र. क्या विदेशी वकीलों एवं कानून फर्मों को नियमों के तहत भारतीय कानून का अभ्यास करने की अनुमति है?
उत्तर. नहीं, विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को किसी भी रूप में या शपथ पर साक्ष्य दर्ज करने के लिए अधिकृत किसी कानूनी प्राधिकरण के समक्ष भारतीय विधि व्यवसाय की अनुमति नहीं है।
प्र. नियम भारत में कानूनी नौकरी बाजार को कैसे प्रभावित करेंगे?
उत्तर. नियमों से भारत में कानूनी नौकरी बाजार का विस्तार हो सकता है क्योंकि विदेशी कानून फर्मों को भारतीय वकीलों एवं विदेशी वकीलों के रूप में पंजीकृत अधिवक्ताओं को नियुक्त करने की अनुमति होगी। हालांकि, कुछ अधिवक्ताओं ने चिंता व्यक्त की है कि इससे विधि वृत्ति का “निगमीकरण” हो सकता है एवं भारत में गरीबों के लिए कानूनी आवश्यकताओं की उपेक्षा हो सकती है।
प्र. क्या बार काउंसिल ऑफ इंडिया विदेशी वकीलों या कानूनी फर्मों को नियमों के तहत पंजीकृत करने से मना कर सकती है?
उत्तर. हां, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास किसी भी विदेशी वकील अथवा कानूनी फर्म के लिए पंजीकरण से अस्वीकरण करने का अधिकार है, यदि यह संबंधित विदेशी देश में विधि व्यवसाय करने के लिए पंजीकृत भारतीय वकीलों अथवा कानून फर्मों की संख्या से अधिक माना जाता है।
The Rules for Foreign Lawyers and Law Firms in India were created to permit foreign lawyers and law firms to practice foreign and international law in India on a reciprocal basis. The Rules also aim to encourage foreign direct investment and establish India as a hub for international commercial arbitration.
Foreign lawyers and law firms are permitted to practice foreign and international law, including international arbitration, joint ventures, mergers and acquisitions, and intellectual property matters.
Foreign lawyers and law firms must have a primary qualification in the form of a certificate from a competent authority in their country that confirms their eligibility to practice law. They must also register with the Bar Council of India and renew their registration every five years.
No, foreign lawyers and law firms are not permitted to practice Indian law in any form or before any legal authority that is authorized to record evidence on oath.
The Rules may lead to the expansion of the legal job market in India as foreign law firms will be allowed to hire Indian lawyers and advocates registered as foreign lawyers. However, some advocates have expressed concerns that this could lead to the "corporatization" of law practice and the neglect of legal needs for the poor in India.
Yes, the Bar Council of India has the right to refuse registration for any foreign lawyer or law firm if it is deemed disproportionate to the number of Indian lawyers or law firms registered to practice law in the corresponding foreign country.
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