Table of Contents
प्लासी का युद्ध- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास-आधुनिक भारतीय इतिहास- अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक की महत्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, मुद्दे।
प्लासी का युद्ध
- प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को पश्चिम बंगाल के प्लासी क्षेत्र में भागीरथी नदी के पूर्व में लड़ा गया था।
- प्लासी का युद्ध मुगल सम्राट आलमगीर-द्वितीय के शासनकाल के दौरान हुआ था एवं इसे प्रायः ‘निर्णायक घटना’ कहा जाता है जो भारत में अंग्रेजों की सर्वोच्च सत्ता का स्रोत बन गया।
प्लासी का युद्ध – पृष्ठभूमि
- सिराज-उद-दौला (बंगाल का नवाब) अपने दादा अलीवर्दी खान के बाद बंगाल का नवाब बना।
- सिराज-उद-दौला अंग्रेजों द्वारा व्यापारिक अधिकारों के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग से चिंतित थे। अंग्रेजों ने स्थानीय (देशी) व्यापारियों को बाहर करने के लिए इन व्यापारिक अधिकारों का दुरुपयोग किया और बंगाल के नवाब से करों की चोरी भी की।
- व्यापारिक अधिकारों के व्यापक पैमाने पर इस दुरुपयोग ने नवाब के वित्त पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
- सिराज-उद-दौला (बंगाल का नवाब) भी अंग्रेजों की बढ़ती शक्ति से, विशेष रुप से कर्नाटक युद्धों में अंग्रेजों की विजय के पश्चात चिंतित था।
- सिराज-उद-दौला (बंगाल के नवाब) ने उपरोक्त आशंकाओं के कारण अंग्रेजों को अपनी किलेबंदी के विस्तार को रोकने का आदेश दिया था।
प्लासी का युद्ध- कारण
- नवाब के गिरते वित्त: नवाब के खजाने की थैली निम्नलिखित कारणों से समाप्त हो रही थी-
- मुगल सम्राट द्वारा अंग्रेजों को दिए गए व्यापारिक अधिकारों का व्यापक पैमाने पर दुरुपयोग। वे प्रायः अपने व्यापारिक अधिकार स्थानीय लोगों को आकर्षक लेवी के बदले में बेचते थे। इससे नवाब के कर संग्रह पर दुष्प्रभाव पड़ा।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों द्वारा कर एवं शुल्क का भुगतान न करना भी प्लासी के युद्ध के निर्माण के कारणों में से एक था।
- नवाब के निर्देश का उल्लंघन: नवाब ने अंग्रेजों को अपने स्थानों की किलेबंदी नहीं करने का निर्देश दिया था। इसका उल्लंघन करते हुए अंग्रेजों ने कलकत्ता (फोर्ट विलियम) की किलेबंदी प्रारंभ कर दी।
- इस घटना ने नवाब को क्रोधित किया एवं यह प्लासी के युद्ध के महत्वपूर्ण कारणों में से एक बना।
- नवाब के शत्रुओं को शरण देना: बंगाल के नवाब को क्रोधित करते हुए अंग्रेजों ने नवाब के शत्रु कृष्ण दास को शरण दी।
- ब्लैक होल त्रासदी: उपरोक्त मुद्दों के कारण, बंगाल के नवाब ने कलकत्ता के किले पर हमला किया एवं नियंत्रण स्थापित कर लिया। उन्होंने जून 1756 में अनेक ब्रिटिश अधिकारियों को कैद कर लिया एवं उन्हें फोर्ट विलियम में एक कालकोठरी में रखा।
- मात्र कुछ मुट्ठी भर कैदी ही कैद से जीवित बच पाए क्योंकि उनमें से अधिकांश की मौत दम घुटने से हुई थी। इस घटना को ब्लैक होल त्रासदी भी कहा जाता है।
प्लासी का युद्ध- प्रमुख घटनाएँ
- ब्लैक होल की घटना से क्षुब्ध ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के नवाब पर हमले की योजना बनाई।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के प्रधान सेनापति (कमांडर-इन-चीफ) रॉबर्ट क्लाइव ने नवाब के विरुद्ध लड़ाई में अंग्रेजों का समर्थन करने के लिए नवाब की सेना के कमांडर-इन-चीफ मीर जाफर को रिश्वत दी।
- रॉबर्ट क्लाइव ने सिराज-उद-दौला पर अपनी विजय के पश्चात मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का भी वादा किया।
- प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को कलकत्ता के पास भागीरथी नदी के तट पर बंगाल के प्लासी क्षेत्र में लड़ा गया था।
- फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा सहयोग प्राप्त बंगाल के नवाब की सेना के पास 50000 सैनिक थे, जो लगभग 3000 सैनिकों की ब्रिटिश सेना से संख्या में बहुत अधिक थे।
- हालांकि, नवाब को अपने प्रमुख अधिकारियों जैसे मीर जाफर, राय दुर्लभ एवं अन्य लोगों के विश्वासघात का सामना करना पड़ा, जो प्लासी के युद्ध में बंगाल के नवाब की हार का कारण बने।
- रॉबर्ट क्लाइव की सिराज-उद-दौला (बंगाल के नवाब) के विरुद्ध षड्यंत्र में बंगाल के नवाब के निम्नलिखित अधिकारी शामिल थे-
- मीर जाफर, मीर-बख्शी या बंगाल के नवाब की सेना का सैन्य प्रमुख था। उसके विश्वासघात के कारण, बंगाली सेना का एक तिहाई प्लासी के युद्ध में सम्मिलित नहीं हुआ, जिसने नवाब की पराजय में योगदान दिया।
- राय दुर्लभ भी सिराजुद्दौला की सेना के सेनानायकों में से एक था।
- जगत सेठ उस समय बंगाल का सबसे बड़े बैंकर था।
- अकाट्य परिस्थितियों में, सिराज-उद-दौला (बंगाल के नवाब) ने अपनी सेना के साथ भागने का प्रयत्न किया, किंतु मीर जाफर के बेटे मीरन ने उसकी हत्या कर दी।
प्लासी का युद्ध- राजनीतिक प्रभाव
- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया: प्लासी के युद्ध में विजय ने अंग्रेजों को बंगाल क्षेत्र में प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित किया।
- 1764 ईस्वी के बक्सर के युद्ध के पश्चात, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप में एक प्रभुत्व शक्ति बन गए।
- फ्रांसीसी आकांक्षाओं का अंत: सप्तवर्षीय युद्ध में विजय के पश्चात प्लासी के युद्ध में विजय ने अंग्रेजों को भारत में एकमात्र यूरोपीय शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया।
- बंगाल में राजनीतिक अशांति: प्लासी के युद्ध में विजय के पश्चात, मीर जाफर को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बंगाल के नवाब के रूप में ताज पहनाया गया।
- किंतु, शीघ्र ही मीर जाफर का अंग्रेजों से मोहभंग हो गया एवं उसने अपनी नींव को मजबूत करने के लिए डचों को अंग्रेजों पर हमला करने हेतु उकसाया।
- 1759 में चिनसुरा की लड़ाई में डचों पर विजय के बाद, अंग्रेजों ने मीर कासिम को बंगाल के नवाब के रूप में स्थापित किया।
- 1773 के विनियमन अधिनियम के आने तक राजनीतिक उथल-पुथल जारी रही।
प्लासी का युद्ध- आर्थिक प्रभाव
- अंग्रेजों ने कठोर और अनुकूल कर नियम तथा कानून लागू करके बंगाल की अर्थव्यवस्था को लूट लिया।
- बक्सर के युद्ध के पश्चात समस्या और बिगड़ गई। कंपनी के अधिकारियों ने स्थानीय व्यापारियों से व्यापार अधिकारों का उपयोग करने की अनुमति देने के पक्ष में उपहार स्वीकार किए।
- इसने कंपनी के अधिकारियों को बहुत अमीर बना दिया, भले ही ईस्ट इंडिया कंपनी दिवालियापन का सामना कर रहा था।
- आर्थिक शोषण के अतिरिक्त नवाब की संस्था के अवसान के कारण स्थानीय व्यापार, हस्तशिल्प एवं शहरी अर्थव्यवस्था चरमरा गई।