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बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना: संदर्भ
- हाल ही में, 175 देशों ने 2024 तक विधिक रूप से बाध्यकारी समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एक अंतर सरकारी समिति बनाकर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक ऐतिहासिक संकल्प अपनाया है।
- विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 तथा भारत प्लास्टिक समझौते के बारे में पढ़ें।
प्लास्टिक प्रदूषण पर ऐतिहासिक संकल्प अपनाया गया: मुख्य बिंदु
- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रकृति के लिए कार्यों को सशक्त करने हेतु पांचवें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट असेंबली/यूएनईए 5.2) का पुनः आरंभ सत्र 28 फरवरी 2022 से 2 मार्च 2022 तक नैरोबी में आयोजित किया गया था।
- बैठक में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए तीन मसौदा प्रस्तावों पर विचार किया गया।
- महत्वपूर्ण रूप से, विचाराधीन प्रस्तावों में से एक भारत का प्रस्ताव था। भारत द्वारा प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव में देशों द्वारा तत्काल सामूहिक स्वैच्छिक कार्रवाई का आह्वान किया गया है।
- 2024 तक विधिक रूप से बाध्यकारी समझौता करने का संकल्प पेरिस समझौते के बाद से सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय बहुपक्षीय समझौता था।
- संकल्प एक अंतर सरकारी वार्ता समिति (इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएटिंग कमेटी/आईएनसी) की स्थापना करता है, जो 2024 के अंत तक वैश्विक विधिक रूप से बाध्यकारी समझौते के प्रारूप को पूर्ण करने की महत्वाकांक्षा के साथ 2022 में अपना कार्य प्रारंभ करेगी।
- यूएनईपी@50: यह एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम होगा, जो 1972 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की स्थापना के 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में समर्पित होगा।
- UNEP@50 विषय वस्तु: सतत विकास के लिए 2030 कार्यसूची के पर्यावरणीय आयाम के कार्यान्वयन के लिए यूएनईपी को सशक्त बनाना।
यूएनईपी यूपीएससी: त्रिपक्षीय भूमण्डलीय संकट
- यूएनईपी त्रिपक्षीय भूमण्डलीय संकट की बात करता है-जलवायु परिवर्तन का संकट; जैव विविधता की हानि का संकट; एवं प्रदूषण तथा अपशिष्ट का संकट। साथ में, वे मानव शांति एवं समृद्धि के लिए एक व्यापक संकट उत्पन्न करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन का संकट: वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता दो मिलियन वर्षों की सांद्रता से अधिक है तथा एक अरब बच्चे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण अत्यधिक जोखिम में हैं।
- जैव विविधता की हानि का संकट: हम प्राकृतिक विश्व को निरंतर नष्ट कर रहे हैं। हिम मुक्त भूमि की सतह का सत्तर प्रतिशत मानवीय गतिविधियों द्वारा अशांतरित कर दिया गया गया है तथा दस लाख प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही हैं।
- प्रदूषण एवं अपशिष्ट का संकट: 11 मिलियन टन प्लास्टिक प्रत्येक वर्ष हमारे महासागरों में प्रवाहित हो जाता है एवं हम में से 90 प्रतिशत से अधिक लोग ऐसे शहरों में निवास करते हैं जहाँ वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों को पूरा नहीं करती है।
- त्रिपक्षीय भूमण्डलीय संकट दशकों के अनवरत एवं अ-सतत उपभोग के कारण उत्पन्न हुआ है।
यूएनईपी की सिफारिशें
- हमें एक अविभाज्य चुनौती के रूप में पृथ्वी की पर्यावरणीय आपात स्थितियों तथा मानव कल्याण से निपटना चाहिए।
- हमें अपनी आर्थिक एवं वित्तीय प्रणालियों को धारणीयता की ओर स्थानांतरित करने हेतु रूपांतरित करना होगा।
- हमें अपने भोजन, पानी तथा ऊर्जा प्रणालियों को एक न्यायसंगत, लचीला तथा पर्यावरण के अनुकूल रीति से से बढ़ती मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु रूपांतरित करना चाहिए।