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बायोआरआरपी यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।
जैव प्रौद्योगिकी यूपीएससी: संदर्भ
- हाल ही में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बायोटेक शोधकर्ताओं तथा स्टार्ट-अप के लिए एकल राष्ट्रीय पोर्टल का विमोचन किया है।
जैविक अनुसंधान नियामक अनुमोदन पोर्टल: मुख्य बिंदु
- पोर्टल “बायोआरआरएपी“ ( बायोलॉजिकल रिसर्च रेगुलेटरी अप्रूवल पोर्टल/जैविक अनुसंधान नियामक अनुमोदन पोर्टल) देश में जैविक अनुसंधान तथा विकास संबंधी क्रियाकलाप के लिए नियामक अनुमोदन प्राप्त करने वाले सभी लोगों को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा एवं इस प्रकार “विज्ञान की सुगमता के साथ-साथ व्यापार की सुगमता” का लक्ष्य रखता है।
- यह पोर्टल सरकार के ‘वन नेशन वन पोर्टल‘ के उद्देश्य के अनुरूप है।
- पोर्टल हितधारकों को एक विशिष्ट बायोआरआरएपी आईडी के माध्यम से किसी विशेष एप्लिकेशन के लिए प्रदान की गई स्वीकृति को देखने की भी अनुमति देगा।
- यह पोर्टल अंतर-विभागीय सामंजस्य को सुदृढ़ करेगा तथा जैविक अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं को विनियमित करने एवं अनुमति जारी करने वाले विभिन्न अभिकरणों के कार्य संचालन में जवाबदेही, पारदर्शिता एवं प्रभावकारिता लाएगा।
बायोआरआरपी का महत्व
- यह पोर्टल भारत में विज्ञान एवं वैज्ञानिक शोध की सुगमता (ईज ऑफ डूइंग साइंस एंड साइंटिफिक रिसर्च) तथा स्टार्टअप्स की सुगमता (ईज ऑफ स्टार्ट-अप्स) की दिशा में एक कदम है।
- वर्तमान में किसी एकल पोर्टल पर शोध प्रस्ताव के लिए अपेक्षित विनियामक अनुमोदन को ट्रैक करने के लिए कोई तंत्र नहीं है।
- BioRRP ऐसे जैविक अनुसंधानों को अधिक विश्वसनीयता एवं मान्यता प्रदान करेगा। इस पोर्टल के तहत नियामक निरीक्षण की अनिवार्यता वाले प्रत्येक शोध को “बायोआरआरएपी आईडी” नामक एक विशिष्ट आईडी द्वारा अभिनिर्धारित किया जाएगा।
- यह एक प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करेगा एवं शोधकर्ताओं को नियामक स्वीकृति के लिए उनके आवेदनों के अनुमोदन के चरण को देखने तथा विशेष शोधकर्ता एवं/या संगठन द्वारा किए जा रहे सभी शोध कार्यों पर प्रारंभिक सूचनाएं देखने में सहायता करेगा।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी
- भारत एक वैश्विक जैव-विनिर्माण केंद्र बनने की ओर अग्रसर है एवं 2025 तक विश्व के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।
- जैव-प्रौद्योगिकी तीव्र गति सेभारत में युवाओं के लिए एक अकादमिक तथा आजीविका के साधन के रूप में उभरा है।
- जैव प्रौद्योगिकी के अतिरिक्त जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित जैविक कार्य, वनस्पतियों तथा जीवों के संरक्षण एवं संरक्षण की नवीनतम पद्धतियां, वन तथा वन्यजीव, जैव-सर्वेक्षण एवं जैविक संसाधनों का जैव-उपयोग भी उन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण भारत में गति प्राप्त कर रहे हैं।
- इनमें से कई शोध एक या एक से अधिक नियामक एजेंसियों के दायरे में आते हैं जो पहले शोध प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करते हैं जिसके बाद शोधकर्ता उस विशिष्ट शोध का कार्य प्रारंभ करता है।
- भारत विश्व स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी के लिए शीर्ष 12 गंतव्यों में से एक है तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा जैव प्रौद्योगिकी गंतव्य है।
- 2025 तक, वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी बाजार में भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग का योगदान 2017 में मात्र 3% से बढ़कर 19% होने की संभावना है।
- राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में जैव अर्थव्यवस्था का योगदान भी विगत वर्षों में निरंतर बढ़कर 2020 में 7% हो गया है, जो 2017 में 1.7% था तथा 2047 के शताब्दी वर्ष में जैव-अर्थव्यवस्था की 25 वर्षों की यात्रा के बाद नई ऊंचाइयों को छूएगा।