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प्रासंगिकता
- जीएस 3: पशु-पालन का अर्थशास्त्र।
प्रसंग
- हाल ही में, ब्लू फ़ूड असेसमेंट (बीएफए) के एक भाग के रूप में एनवायरमेंटल परफॉर्मेंस ऑफ ब्लू फ़ूड शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई थी।
- बीएफए स्वीडन स्थित स्टॉकहोम रेसिलिएंस सेंटर, संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय एवं गैर-लाभकारी ईएटी के मध्य एक सहयोग है।
मुख्य बिंदु
- पेपर के लेखकों ने संपूर्ण विश्व में 1,690 से अधिक फिश फार्मों एवं 1,000 विशिष्ट मत्स्य क्षेत्र रिकॉर्ड से रिपोर्टिंग डेटा का विश्लेषण किया।
- पेपर ने टिप्पणी की है कि समुद्री शैवाल एवं खेती वाले द्विकपाटियों ( मसल्स, ऑयस्टर, एवं अन्य) अत्यधिक अल्प हरितगृह गैस एवं पोषक तत्व उत्सर्जन उत्पन्न कर रहे हैं एवं न्यूनतम भूमि तथा जल का उपयोग करते हैं।
- मूल्यांकन किए गए ब्लू फूड्स (नीले खाद्य पदार्थों) में, उत्पादित समुद्री शैवाल एवं द्विकपाटी सबसे कम उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं, इसके बाद छोटे पेलाजिक कैप्चर मत्स्य पालन है, जबकि फ्लैटफिश एवं क्रस्टेशियन मत्स्य पालन उच्चतम उत्पादन करते हैं।
- सिंचित जलीय कृषि के लिए, अधिकांश समूहों हेतु 70% से अधिक उत्सर्जन के लिए सिंचित उत्पादन उत्तरदायी है।
- नाइट्रोजन एवं फास्फोरस उत्सर्जन समुद्री एवं स्वच्छ जल के सुपोषण (यूट्रोफिकेशन) हेतु उत्तरदायी हैं एवं प्राकृतिक बायोमास एन: पी अनुपात के कारण अत्यधिक सहसंबद्ध हैं।
भारत का कृषि निर्यात- कृषि निर्यात करंड में परिवर्तन
मत्स्य पालन प्रग्रहण
- मछली पकड़ना समुद्री एवं स्वच्छ जल के वातावरण में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीवित संसाधनों की सभी प्रकार के दोहा को संदर्भित करता है।
- शोध के अनुसार, मत्स्य पालन प्रग्रहण करने से कुछ पोषक तत्वों का उत्सर्जन भी हुआ एवं भूमि तथा जल का सीमित उपयोग हुआ।
- मत्स्य पालन प्रग्रहण (कैप्चर फिशरीज) में बेहतर प्रबंधन एवं गियर प्रकारों के अनुकूलन के माध्यम से हरित गृह गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है।
अन्य जलीय कृषि पद्धतियां
- कार्प एवं मिल्क फिश जैसे ब्लू फूड्स (नीले खाद्य पदार्थों) में अनेक उप-क्षेत्रों में भी बेहतर कृषि प्रबंधन, कम चारा (फ़ीड) रूपांतरण अनुपात एवं नवीन तकनीकी अंतःक्षेप के माध्यम से अपने कार्बन पदचिह्न (फुटप्रिंट) में सुधार करने की क्षमता है।
- अधिकांश जलीय कृषि प्रणालियों ने स्थलीय उत्पादन प्रणालियों में देखी गई दक्षता के स्तर को प्राप्त नहीं किया है, इस प्रकार दक्षता एवं स्थिरता में अनुकूलन तथा सुधार हेतु पर्याप्त अवसर शेष हैं।