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सीमा अवसंरचना भारत यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन
सीमा अवसंरचना भारत: संदर्भ
- हाल ही में, गृह मंत्रालय ने सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन (बीआईएम) की प्रछत्र योजना को 2021-22 से 2025-26 तक जारी रखने का निर्णय लिया है, जिसमें कुल 13,020 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन: प्रमुख बिंदु
- “बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट” (बीआईएम) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है तथा इसे 2021-22 से 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग की समय अवधि में जारी रखा गया है।
- यह योजना सीमा प्रबंधन, पुलिसिंग तथा सीमाओं की सुरक्षा में सुधार हेतु सीमाओं की अवसंरचना को सुदृढ़ करेगी।
- बीआईएम योजना भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश सीमा भारत-चीन, भारत-नेपाल, भारत-भूटान तथा भारत-म्यांमार सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए सीमा बाड़, सीमा पूर प्रदीप्ति (फ्लड लाइट), तकनीकी समाधान, सीमा सड़कों एवं सीमा चौकियों (बीओपी) / कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) के निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता करेगी। ।
सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन बीआईएम: सीमा अवसंरचना का महत्व
- सुरक्षा चुनौतियों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता: सीमा अवसंरचना सीमा पार आतंकवाद, सशस्त्र उग्रवादियों एवं विद्रोहियों की घुसपैठ, मादक द्रव्यों एवं हथियारों की तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से निपटने में मदद करती है; अवैध प्रवास; वामपंथी उग्रवाद और बाह्य शक्तियों द्वारा प्रेरित अलगाववादी गतिविधियों से निपटने में सहायता करती है।
- बेहतर व्यापारिक संबंध: सुदृढ़ सीमा अवसंरचना पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थापित करने में सहायता करती है। उदाहरण: बांग्लादेश के साथ सीमा हाट।
- समावेशी विकास: सीमा सड़क अवसंरचना क्षेत्र के, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और जम्मू और कश्मीर जैसे दुर्गम इलाकों में समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- पर्यटन को खोलना: समुचित सड़क अवसंरचना से ऊँचे हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहित करने में सहायता प्राप्त होगी।
- शांति एवं स्थिरता बनाए रखना: सीमा सड़क अवसंरचना सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने में सहायता करती है।
- आपदा प्रबंधन: भारतीय सीमाओं के कठिन एवं दुर्गम इलाकों में बेहतर सीमा अवसंरचना देश को आपदाओं की विस्तृत श्रृंखला से निपटने के लिए तैयार एवं आत्मनिर्भर बनाएगी।
सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन: सीमा बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार के कदम
- 1960 में, जवाहरलाल नेहरू ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तत्वावधान में सीमा सड़क संगठन (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन/बीआरओ) की आधारशिला रखी, जिसमें सड़क, पुल, राजमार्ग, हवाई अड्डे, सुरंगों तथा भवनों सहित सीमावर्ती बुनियादी ढांचा प्रदान किया गया।
- सरकार ने अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद आदि जैसे सीमा पार अपराधों का पता लगाने एवं नियंत्रित करने में सीमा सुरक्षा बल की क्षमता में सुधार के लिए एक व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (कंप्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम/सीआईबीएमएस ) आरंभ की।
- सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम/बीएडीपी) सीमा प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने हेतु गृह मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है।
- भारतमाला परियोजना: इस योजना का एक उद्देश्य बेहतर सीमा सड़क अवसंरचना है जो अधिक गतिशीलता सुनिश्चित करेगी, जबकि साथ ही साथ पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को भी बढ़ावा देगी।