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बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल

बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर: प्रासंगिकता

  • जीएस 3:अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

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भारत में पीपीपी: प्रसंग 

  • हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया/एनएचएआई) ने चालू तिमाही के दौरान बनाओ-संचालित करो-हस्तांतरित करो (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर/बीओटी) मॉडल का उपयोग करके कम से कम दो राजमार्ग उन्नयन परियोजनाओं को विकसित करने का निर्णय लिया है।

 

बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल: प्रमुख बिंदु

  • एनएचएआई ने कहा है कि कोविड के दौरान सड़क परियोजनाओं के लिए जनता के धन से वित्त पोषित किया गया है एवं आवश्यकता पड़ने पर आगे भी करती रहेगी।
  • विगत कुछ वर्षों में, विशेष रूप से महामारी के प्रारंभ के पश्चात से, NHAI ने हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (HAM) के तहत परियोजनाओं की पेशकश का सहारा लिया, जो सड़क निर्माण करने वाली कंपनी को धन सुनिश्चित करता है, जिससे इसे कुछ हद तक वित्तीय जोखिम से बचाया जा सके।
  • एचएएम मॉडल के तहत, परियोजना लागत का 40 प्रतिशत निजी विकासकर्ता (डेवलपर) को निर्माण सहायता के रूप में सरकार द्वारा भुगतान किया जाता हैतथा शेष 60 प्रतिशत की व्यवस्था डेवलपर द्वारा की जाती है।

 

भारत में बीओटी मॉडल

  • बीओटी मॉडल सड़क परियोजनाओं के लिए पसंदीदा मॉडल था, जो 2011-12 में प्रदान की गई सभी परियोजनाओं का 96% हिस्सा गठित करते थे।
  • जब बीओटी परियोजनाओं में रुचि कम होने लगी, तो सड़क निर्माण पारंपरिक अभियांत्रिकी, अधिप्राप्ति एवं निर्माण ( इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन/ईपीसी) मोड में स्थानांतरित हो गया, एचएएम (हाइब्रिड  एन्युटी मॉडल) मॉडल बाद में तैयार किया गया।
  • ईपीसी मॉडल के तहत, सरकार पूरी लागत का भुगतान करती है, जिससे ठेकेदार वित्तीय जोखिम से पूर्ण रूप से सुरक्षित रहता है।
  • इससे पूर्व, NHAI ने 2020 में BOT मोड पर सड़क परियोजनाओं को आवंटित करने का प्रयास किया था।  यद्यपि, परियोजनाओं को अंततः मार्च 2021 में एक प्रीमियम पर, किंतु बोली की समय सीमा में कुछ विस्तार एवं कुछ प्रोत्साहनों को सम्मिलित करने के बाद ही सौंप दिया गया था।
  • परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के लिए, सरकार ने रियायत अवधि के दौरान प्रत्येक 10 वर्ष पूर्व की तुलना में प्रत्येक पांच वर्ष में एक परियोजना की राजस्व क्षमता का आकलन करने का निर्णय लिया।

 

बीओटी मॉडल क्या है?

  • इस मॉडल के तहत, एक निजी भागीदार डिजाइन, भवन, संचालन (अनुबंध अवधि के दौरान) तथा परियोजना को सार्वजनिक क्षेत्र में वापस स्थानांतरित करने हेतु उत्तरदायी है।
  • यहां, निजी क्षेत्र धन लाता है एवं समझौते में  पूर्व से निर्धारित की गई अवधि के लिए उपयोगकर्ता शुल्क एकत्र करता है।
  • उदाहरण: राष्ट्रीय राजमार्ग जैसी परियोजनाएं।

 

अभियांत्रिकी, अधिप्राप्ति एवं निर्माण (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन/ईपीसी)

  • इस पीपीपी मॉडल के तहत कच्चे माल की अधिप्राप्ति (क्रय) एवं निर्माण लागत पूर्ण रूप से सरकार द्वारा वहन की जाती है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी न्यूनतम है एवं इंजीनियरिंग विशेषज्ञता के प्रावधान तक सीमित है।

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हाइब्रिड वार्षिकी मॉडल (एचएएम)

  • एचएएम वर्तमान में दो मॉडलों – बीओटी एन्युइटी एवं ईपीसी के मध्य का मिश्रण है।
  • इस मॉडल के अनुसार, सरकार वार्षिक भुगतान (वार्षिक वृत्ति) के माध्यम से प्रथम पांच वर्षों में परियोजना लागत का 40% योगदान देगी। शेष 60%  का भुगतान सृजित परिसंपत्ति एवं निजी कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।
  • चूंकि सरकार केवल 40% का भुगतान करती है, निर्माण चरण के दौरान, निजी प्रतिभागी को शेष राशि के लिए धन की व्यवस्था करनी होती है।
  • इस मॉडल के तहत निजी कंपनी के लिए पथ कर (टोल राइट) संबंधी कोई अधिकार नहीं है।

 

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