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चावल प्रबलीकरण यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
भारत में चावल का प्रबलीकरण: संदर्भ
- हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स/सीसीईए) ने 2024 तक विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से प्रबलीकृत चावल की आपूर्ति को स्वीकृति प्रदान की है।
चावल का प्रबलीकरण: मुख्य बिंदु
- निम्नलिखित योजनाओं के लिए चावल प्रबलीकरण को लक्षित किया गया है:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट/एनएफएसए) के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम/टीपीडीएस)
- एकीकृत बाल विकास सेवाएं (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज/आईसीडीएस) प्रधान मंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पीएम पोषण [पूर्व मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील स्कीम/एमडीएम)]
- सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में भारत सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाएं (OWS)।
- चावल के प्रबलीकरण की संपूर्ण लागत (लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) भारत सरकार द्वारा जून, 2024 तक इसके पूर्ण कार्यान्वयन तक खाद्य सब्सिडी के हिस्से के रूप में वहन की जाएगी।
चावल का प्रबलीकरण: तीन चरण
- चरण- I: मार्च, 2022 तक संपूर्ण भारत में एकीकृत बाल विकास सेवाओं तथा पीएम पोषण को कवर करना जो कार्यान्वयन के अधीन है।
- चरण- II: मार्च 2023 तक वृद्धिरोध (स्टंटिंग) (कुल 291 जिलों) पर सभी आकांक्षी तथा उच्च भार वाले जिलों में चरण- I से ऊपर के साथ टीपीडीएस एवं ओडब्ल्यूएस I
- चरण-III: चरण II से ऊपर के साथ मार्च 2024 तक देश के शेष जिलों को सम्मिलित करना।
राइस फोर्टिफिकेशन इंडिया
- स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, हमारे प्रधानमंत्री ने चावल के फोर्टिफिकेशन पर एक घोषणा की ताकि देश के प्रत्येक निर्धन व्यक्ति को कुपोषण एवं महिलाओं, बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं इत्यादि में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पोषण प्रदान किया जा सके क्योंकि यह देश में उनके विकास में बड़ी बाधा उत्पन्न करता है।
- इससे पूर्व, “सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल का फोर्टिफिकेशन तथा उसका वितरण” पर केंद्र प्रायोजित पायलट योजना 2019-20 से आरंभ होकर 3 वर्ष की अवधि के लिए लागू की गई थी।
चावल का प्रबलीकरण क्या है?
- भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया/FSSAI) के अनुसार, यह सुविचारित रूप से भोजन में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की सामग्री को बढ़ा रहा है ताकि भोजन की पोषण गुणवत्ता में सुधार हो एवं इस प्रकार सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हो।
- आहार में विटामिन तथा खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए चावल का फोर्टिफिकेशन एक लागत प्रभावी तथा पूरक रणनीति है।
चावल के प्रबलीकरण की आवश्यकता
- देश में महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण का उच्च स्तर।
- खाद्य मंत्रालय के मुताबिक देश में प्रत्येक दूसरी महिला रक्ताल्पता पीड़ित (एनीमिक) है एवं प्रत्येक तीसरा बच्चा अविकसित है।
- भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर है एवं वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स/जीएचआई) पर ‘गंभीर भूख‘ श्रेणी में है।
अतिरिक्त पोषक तत्व क्या हैं?
- FSSAI के मानदंडों के अनुसार, 1 किलो फोर्टिफाइड चावल में
- आयरन (28 mg-42.5 mg),
- फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम)
- विटामिन बी-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम)।
- इसके अतिरिक्त, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ, अकेले या संयोजन में, जस्ता तथा विटामिन बी के साथ भी प्रबलीकृत किया जा सकता है।
चावल का फोर्टिफिकेशन: अब तक उठाए गए कदम
- उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने तीन वर्ष की अवधि के लिए ‘चावल के फोर्टिफिकेशन एवं पीडीएस के तहत इसका वितरण‘ पर 2019-20 में एक केंद्र प्रायोजित पायलट योजना आरंभ की।
- पायलट योजना 15 राज्यों – आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश के 15 जिलों पर केंद्रित है।
- महाराष्ट्र एवं गुजरात सहित छह राज्यों ने पायलट योजना के तहत फोर्टिफाइड चावल का वितरण प्रारंभ कर दिया है, जिसमें लगभग 2.03 लाख मीट्रिक टन फोर्टीफाइड चावल जून 2021 तक वितरित किया जा रहा है।
- सितंबर 2021 तक चार अन्य राज्यों में प्रारंभ होने की संभावना है।
- खाद्य मंत्रालय का कहना है कि 1 अप्रैल, 2022 से 250 उच्च भार वाले जिलों को चावल फोर्टिफिकेशन योजना के तहत कवर करने का प्रस्ताव है।
राइस फोर्टिफिकेशन: अंतरराष्ट्रीय अनुभव
- सात देशों – यूएसए, पनामा, कोस्टा रिका, निकारागुआ, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस एवं सोलोमन द्वीप ने चावल के प्रबलीकरण को अनिवार्य कर दिया है।