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भारतीय रेलवे पर सीएजी की रिपोर्ट: प्रासंगिकता
- जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।
भारतीय रेलवे पर सीएजी की रिपोर्ट: प्रसंग
- नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल ही में संसद में भारतीय रेलवे पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है एवं टिप्पणी की है कि भारतीय रेलवे की वित्तीय स्थिति वास्तव में प्रदर्शित संख्या से भी बदतर है।
भारतीय रेलवे पर सीएजी की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु
- कैग ने बताया कि 2019-2020 में भारतीय रेलवे का परिचालन अनुपात 36% था। यद्यपि, यदि पेंशन भुगतान पर वास्तविक व्यय को ध्यान में रखा जाता है, तो अनुपात 114.35% होगा।
- रेलवे ने पूर्व में अपने परिचालन अनुपात को 95% तक कम करने का लक्ष्य रखा था।
- इसका तात्पर्य है कि 98% का परिचालन अनुपात वास्तविक वित्तीय प्रदर्शन को नहीं दर्शाता है।
- सीएजी का विचार था कि भारतीय रेलवे को यात्री एवं अन्य कोचिंग शुल्कों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है ताकि परिचालन की लागत की वसूली की जा सके एवं इसकी मुख्य गतिविधियों में होने वाली हानि को कम किया जा सके।
- 2019 में, सीएजी ने बताया कि भारतीय रेलवे काविगत 10 वर्षों में सबसे खराब परिचालन अनुपात 44% रहा है एवं इसके राजस्व अधिशेष में 66% से अधिक की कमी आई है।
- विगत वर्ष, भारतीय रेलवे ने अपने व्यय को कम किया एवं कमी को माल ढुलाई परिचालन से उत्पन्न राजस्व के माध्यम से प्रबंधित किया गया।
- इसके अतिरिक्त, चालू वित्त वर्ष में भारतीय रेलवे के 51,000 करोड़ रुपये से अधिक के पेंशन बिल को वित्त मंत्रालय द्वारा एक ऋण में परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे इसके तुलन पत्र (बैलेंस शीट) के प्रबंधन में भी सहायता मिली है।
परिचालन अनुपात/ऑपरेटिंग रेश्यो क्या है?
- वित्त में, परिचालन अनुपात राजस्व के प्रतिशत के रूप में कंपनी का परिचालन व्यय है।
- इसकी गणना परिचालन व्यय को निवल विक्रय से विभाजित करके की जाती है।
- परिचालन अनुपात जितना अधिक होगा, संगठन की लाभ सृजित करने की क्षमता उतनी ही कमजोर होगी एवं इसके विपरीत परिचालन अनुपात जितना कम होगा, संगठन के लाभ सृजित करने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी।
रेलवे के बढ़ते घाटे के कारण
- सरकार ने अपने मध्यम अवधि के वित्तीय ब्यौरा 2019-20 में कहा कि परिचालन व्यय तथा पेंशन भुगतान में हाल के दिनों में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
- छठे एवं सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के लागू होने के बाद से, कार्यचालन व्ययों में अत्यधिक वृद्धि देखी गई है।
- इसके अतिरिक्त, आय की वृद्धि भी कायम नहीं रही है।
- कोविड-19 के कारण, भारतीय रेलवे को महामारी प्रेरित प्रतिबंधों के कारण यात्री राजस्व में भारी नुकसान हुआ है।
भारतीय रेलवे में सुधार: आगे की राह
- माल एवं यात्री राजस्व में वृद्धि: समर्पित माल गलियारों एवं निजी यात्री ट्रेनों के परिचालन से राजस्व वृद्धि करने में सहायता मिल सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में मालगाड़ियों की हिस्सेदारी को वर्तमान 27% से बढ़ाकर 45% करने हेतु राष्ट्रीय रेल योजना का उद्देश्य भी है।
- मांग-संचालित दृष्टिकोण: भारतीय रेलवे को उच्च मांग वाले मार्गों की वस्तुओं की आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, यात्री खंड में, रात्रि की यात्रा की बहुत अधिक मांग है, जिसे पूरा किया जाना चाहिए।
- बहु- प्रायिकता (मल्टी-मोडल) दृष्टिकोण: माल ढुलाई वाले ग्राहकों के लिए, बंदरगाहों एवं अंतर्देशीय जलमार्गों के साथ गठजोड़ के माध्यम से आद्यान्त (आरंभ से अंत तक) अनुयोजकता (कनेक्टिविटी) का वादा रेलवे को बेहतर राजस्व अर्जित करने में सहायता कर सकता है।
- भारतीय रेलवे को अपनी संरचना, मुद्रीकरण एवं पीपीपी के निगमीकरण पर ध्यान देना चाहिए ताकि अर्जित राजस्व को ट्रेनों में सुधार हेतु पुनः निवेश किया जा सके।
- परिचालन अनुपात में सुधार: चार प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं
- संगठनात्मक सुधारों में तेजी लाना
- दूसरा, कर्मचारियों की उत्पादकता एवं दक्षता में वृद्धि करना।
- तीसरा, भारतीय रेलवे में डिजिटलीकरण, स्वचालन एवं उच्च तकनीक का उपयोग
- चौथा, पेशेवर चयन एवं परियोजनाओं का प्रबंधन ताकि लागत एवं समय की अधिकता को कम किया जा सके।