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केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( कैट) – यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियां, कार्य एवं उत्तरदायित्व।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) – संदर्भ
- हाल ही में, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने सरकारी कर्मचारियों के सेवा मामलों से विशेष रूप से निपटने के लिए श्रीनगर में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की एक पृथक खंडपीठ का उद्घाटन किया।
- इसके साथ, जम्मू एवं कश्मीर देश में दो कैट खंडपीठ- श्रीनगर खंडपीठ एवं जम्मू खंडपीठ वाला एकमात्र राज्य / केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)- प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि: भारत की संसद ने प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323-ए के तहत केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का निर्माण किया।
- 1985 में प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम केंद्र सरकार द्वारा एक केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण एवं राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण स्थापित करने का प्रावधान करता है।
- संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 323 ए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों का प्रावधान करता है। इसके अंतर्गत, मात्र संसद ही केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना कर सकती है, न कि राज्य विधानमंडल।
- अनुच्छेद 323 बी: यह अन्य न्यायाधिकरणों से संबंधित है एवं ऐसे न्यायाधिकरणों को संसद एवं राज्य विधान मंडलों दोनों द्वारा गठित करने में सक्षम बनाता है।
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के बारे में: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण एक विशेषज्ञ निकाय है जिसमें प्रशासनिक सदस्य एवं न्यायिक सदस्य सम्मिलित होते हैं जो अपने विशेष ज्ञान के आधार पर त्वरित एवं प्रभावी न्याय देने हेतु बेहतर ढंग से सुसज्जित होते हैं।
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ: यह नई दिल्ली, भारत में स्थित है।
- अन्य शाखाएं: पूरे भारत में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में 17 बेंच और 21 सर्किट बेंच हैं।
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का अधिदेश: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों से देश में लोक सेवा में संलग्न कर्मियों की भर्ती एवं सेवा की शर्तों से संबंधित मामलों का न्यायनिर्णय करने की अपेक्षा की जाती है।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) – सीएटी की शक्ति एवं क्षेत्राधिकार
- क्षेत्राधिकार: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) निम्नलिखित सेवाओं के सभी सेवा मामलों पर मूल क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है:
- अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्य।
- संघ की किसी सिविल सेवा या संघ के अधीन सिविल पद पर नियुक्त व्यक्ति।
- किसी भी रक्षा सेवा या रक्षा से संबंधित पदों पर नियुक्त नागरिक।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के कर्मचारी जिन्हें सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था।
- अपवाद: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का रक्षा बलों के सदस्यों, अधिकारियों, सर्वोच्च न्यायालय के कर्मचारियों एवं संसद के सचिवीय कर्मचारियों पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
- शक्तियां: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण को उच्च न्यायालय के समान स्वयं की अवमानना के संबंध में उसी अधिकार क्षेत्र एवं अधिकार का प्रयोग करने की शक्तियां प्रदान की गई है।
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील: एक न्यायाधिकरण के आदेशों के विरुद्ध अपील उच्च न्यायालय में की जा सकती है, न कि सीधे सर्वोच्च न्यायालय में।
- चंद्र कुमार वाद, 1997 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरणों की अपीलों पर उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को बरकरार रखा।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) – नियुक्ति एवं संरचना
- नियुक्ति: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संरचना: कैट एक विशेषज्ञ निकाय है जिसमें प्रशासनिक सदस्य एवं न्यायिक सदस्य सम्मिलित होते हैं। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के सदस्य हैं-
- अध्यक्ष: वह व्यक्ति जो किसी उच्च न्यायालय का वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश रहा हो, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का प्रमुख होता है।
- कार्यकाल: केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( कैट) के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, का होता है।
- अध्यक्ष: वह व्यक्ति जो किसी उच्च न्यायालय का वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश रहा हो, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का प्रमुख होता है।