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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: सरकार की कार्यपालिका एवं न्यायपालिका, मंत्रालयों एवं विभागों की संरचना, संगठन तथा कार्य प्रणाली।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) – संदर्भ
- हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने दो अध्यादेश प्रख्यापित किए जो केंद्र को केंद्रीय जांच ब्यूरो एवं प्रवर्तन निदेशालय के निदेशकों के कार्यकाल को दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष करने की अनुमति प्रदान करेंगे।
- दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 में संशोधन के द्वारा सीबीआई के कार्यकाल में वृद्धि हो रही थी।
- केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का वर्तमान में निश्चित दो वर्ष का कार्यकाल होता है, किंतु अब उन्हें तीन वार्षिक विस्तार प्रदान किए जा सकते हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)- प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटिश सरकार ने तत्कालीन युद्ध विभाग में एक डीआईजी के अंतर्गत एक विशेष पुलिस प्रतिष्ठान निर्मित किया।
- यह भारत सरकार के युद्ध एवं आपूर्ति विभाग से संबंधित लेन-देन में रिश्वतखोरी एवं भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने हेतु अधिदेशित था।
- बाद में 1963 में, भ्रष्टाचार निवारण पर संथानम समिति ने सीबीआई की स्थापना की सिफारिश की।
- केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बारे में: सीबीआई भारत की प्रमुखतम जांच एजेंसी है। सीबीआई का गठन 1963 में भारत सरकार के एक संकल्प के माध्यम से किया गया था।
- सीबीआई एक सांविधिक निकाय नहीं है एवं दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से अपनी शक्तियां प्राप्त करता है।
- अधिदेश: अनेक आर्थिक अपराधों, विशेष अपराधों, भ्रष्टाचार के मामलों एवं अन्य मामलों की जांच करने हेतु।
- धोखाधड़ी एवं गबन तथा सामाजिक अपराध के मामलों की जांच करने के लिए, विशेष रूप से जमाखोरी, कालाबाजारी एवं आवश्यक वस्तुओं में मुनाफाखोरी, अखिल भारतीय एवं अंतर-राज्यीय प्रभाव वाले मामलों की जांच करने हेतु।
- मूल मंत्रालय: प्रारंभ में यह गृह मंत्रालय के अधीन था एवं बाद में इसे कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
- वर्तमान में, यह कार्मिक मंत्रालय के एक संलग्न कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
- सीबीआई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 से संबंधित मामलों में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की देखरेख में काम करती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) – नियुक्ति, संरचना एवं अधिकार क्षेत्र
- सीबीआई निदेशक की नियुक्ति: लोकपाल अधिनियम 2014 में प्रावधानित एक उच्च स्तरीय (हाई-प्रोफाइल) नियुक्ति समिति द्वारा निदेशक का चयन किया जाता है। समिति में सम्मिलित होते हैं-
- अध्यक्ष: भारत के प्रधानमंत्री
- सदस्य: लोकसभा में विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता, यदि लोकसभा में अधिदेशित संख्या की कमी के कारण लोकसभा में विपक्ष के नेता उपस्थित नहीं हों।
- न्यायपालिका से प्रतिनिधित्व: भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुशंसित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश।
- सीबीआई के निदेशक: वह पुलिस महानिरीक्षक, दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रूप में, सीबीआई के प्रशासन हेतु उत्तरदायी है।
- कार्यकाल: सीबीआई के निदेशक को सीवीसी अधिनियम, 2003 द्वारा दो वर्ष के कार्यकाल की सुरक्षा प्रदान की गई थी, जिसे संशोधित दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
- सीबीआई का क्षेत्राधिकार: केंद्र सरकार, संबंधित राज्य की सरकार की सहमति के अधीन किसी भी क्षेत्र (केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर) में जांच के लिए सीबीआई की शक्तियों एवं अधिकार क्षेत्र का विस्तार कर सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय, यद्यपि, राज्य की सहमति के बिना भी सीबीआई को देश में कहीं भी किसी अपराध की जांच करने का आदेश दे सकते हैं।