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चेर्नोबिल आपदा
हाल ही में, रूसी सैनिकों ने उत्तरी यूक्रेन में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र पर कब्जा कर लिया। विशेषज्ञों की राय है कि रूस वर्तमान में बंद पड़े ऊर्जा संयंत्र को उसकी अवस्थिति के कारण प्राप्त करना चाहता है। इस लेख में, हम चेर्नोबिल आपदा यूपीएससी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जो यूपीएससी आईएएस परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
चेर्नोबिल कहाँ अवस्थित है?
- चेर्नोबिल बेलारूस के साथ यूक्रेन की सीमा से लगभग 10 मील एवं यूक्रेन की राजधानी कीव से लगभग 65 मील की दूरी पर स्थित है।
- चेर्नोबिल बेलारूस से कीव के सबसे छोटे मार्ग पर स्थित है।
- चेर्नोबिल का कोई सैन्य महत्व नहीं है, किंतु यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए प्रयोग की जाने वाली चार “अक्षों” में से एक पर स्थित है।
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रूस ने चेर्नोबिल पर कब्जा क्यों किया?
- सर्वाधिक स्पष्ट कारण चेर्नोबिल की अवस्थिति है।
- चेर्नोबिल पर कब्जा रूसी राष्ट्रपति की ओर से पश्चिम एवं नाटो के लिए उनकी योजनाओं में हस्तक्षेप न करने का संकेत भी हो सकता है।
- कुछ विशेषज्ञों की यह भी राय है कि रूसी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि परमाणु रक्षापाय मौजूद हैं एवं वे किसी भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।
- विशेषज्ञों का कहना है कि रूस यूक्रेन को क्षतिग्रस्त रिएक्टर नंबर चार को उड़ाने का अवसर प्रदान करना नहीं चाहता है, जिसने 1986 में रूसी सेना के तीव्र गति से अग्रसर होने को रोकने के लिए आस-पास के क्षेत्रों को दूषित करने हेतु रक्षात्मक निरोध के कार्य के रूप में उड़ा दिया था।
चेर्नोबिल आपदा क्या है?
- 1986 में, चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा स्टेशन में आग लगने की घटना एवं विस्फोट हुआ, जिससे यह परमाणु ऊर्जा उत्पादन के इतिहास में सर्वाधिक बुरी आपदा बन गई।
- विशेषज्ञों ने कहा कि चेर्नोबिल संयंत्र के चौथे रिएक्टर में लापरवाह सुरक्षा परीक्षण के दौरान विस्फोट हो गया।
- परिणामस्वरूप उत्पन्न निवास पर विस्फोट एवं आग ने यूरोप के अनेक हिस्सों में रेडियो सक्रिय सामग्री के जमाव के साथ, पर्यावरण में कम से कम 5% रेडियोधर्मी रिएक्टर अंतर्भाग को स्रावित कर दिया।
- अंतर्भाग विस्फोट के बाद, एक रेडियो सक्रिय बादल संपूर्ण यूरोप में अपवाहित हो गया। विश्व परमाणु संघ के अनुसार, आपदा के बाद के दशकों में संयंत्र के आसपास के क्षेत्र की रेडियोसक्रियता में कमी आई है।
- 1991 की आग के बाद चेर्नोबिल यूनिट 2 को बंद कर दिया गया था एवं यूनिट 1 1996 तक ऑन-लाइन रही।
- चेर्नोबिल यूनिट 3 ने 2000 तक कार्य करना जारी रखा, जब परमाणु ऊर्जा स्टेशन को आधिकारिक तौर पर सेवा मुक्त कर दिया गया था।
चेर्नोबिल आपदा के कारण
- चेर्नोबिल दुर्घटना एक गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण सोवियत-युगीन रिएक्टर डिजाइन का उत्पाद थी, जो अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित कर्मियों के संचालन के साथ संबंधित थी।
- अधिकांश अंतर्निहित परिस्थितियां विशेष रूप से चेर्नोबिल रिएक्टर एवं सोवियत सरकार की प्रतिक्रिया के लिए असाधारण थीं।
दोषपूर्ण डिजाइन
- चेर्नोबिल में निर्मित किया गया रिएक्टर एक आरबीएमके रिएक्टर था, जिसे यूएसएसआर के बाहर किसी भी देश द्वारा कभी नहीं बनाया गया था क्योंकि इसमें ऐसी विशेषताएं थीं जिन्हें सोवियत संघ के बाहर प्रत्येक स्थान पर अस्वीकृत कर दिया गया था।
- आरबीएमके रिएक्टर स्वाभाविक रूप से अस्थिर है, विशेष रुप से स्टार्टअप और शटडाउन के दौरान।
- जिस तरह से रिएक्टर ने ग्रेफाइट का उपयोग किया, जहां अमेरिकी रिएक्टर जल का उपयोग करते हैं, जब सोवियत संचालकों ने उर्जा को कम करने का प्रयत्न किया, तो आरबीएमके रिएक्टर में उर्जा उत्पादन में तेजी से वृद्धि करने की प्रवृत्ति थी।
- जैसे-जैसे अतितापन (ओवरहीटिंग) अधिक गंभीर होती गई, शक्ति और भी अधिक बढ़ती गई।
अप्रशिक्षित कर्मी
- खराब तरीके से डिज़ाइन किए गए प्रयोग में, श्रमिकों ने रिएक्टर की शक्ति-विनियमन प्रणाली एवं इसकी आपातकालीन सुरक्षा प्रणालियों को बंद कर दिया तथा रिएक्टर को 7 प्रतिशत शक्ति पर चलते रहने की अनुमति प्रदान करते हुए अधिकांश नियंत्रण छड़ों को इसके अंतर्भाग से वापस निकाल लिया।
- इन त्रुटियों को दूसरे अन्य गलतियों ने और बढ़ा दिया एवं 26 अप्रैल को 1:23 बजे अंतर्भाग में श्रृंखला अभिक्रिया (चेन रिएक्शन) नियंत्रण से बाहर हो गया।
- इसके पश्चात अनेक विस्फोट हुए, इस प्रकार एक बड़े आग का गोला को प्रेरित किया एवं रिएक्टर के भारी इस्पात तथा कंक्रीट के ढक्कन को उड़ा दिया गया।
- यह तथा ग्रेफाइट रिएक्टर अंतर्भाग में फलस्वरूप घटित होने वाली आग ने बड़ी मात्रा में रेडियो सक्रिय सामग्रियों को वायुमंडल में मुक्त कर दिया, जहां इसे वायु धाराओं द्वारा बड़ी दूरी तक ले जाया गया।
- अंतर्भाग का आंशिक मेल्टडाउन भी हुआ।
चेर्नोबिल आपदा के परिणाम
- कुछ सूत्रों का कहना है कि जहां संयंत्र में आरंभिक विस्फोटों में दो लोगों की मृत्यु हो गई थी, उसके बाद हुई प्रतिक्रियाओं के कारण लगभग 50 लोग मारे गए थे।
- रेडियोन्यूक्लाइड (रासायनिक तत्वों के रेडियो सक्रिय रूप) के 50 से 185 मिलियन क्यूरी – जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों की तुलना में कई गुना अधिक रेडियो सक्रिय तत्व वायुमंडल में निस्सारित हो गए।
- रेडियो सक्रिय तत्व पवन के माध्यम से बेलारूस, रूस एवं यूक्रेन में प्रसारित हो गया एवं शीघ्र ही सुदूर पश्चिम में स्थित फ्रांस तथा इटली जैसे देशों तक पहुंच गया।
- लाखों एकड़ वन एवं कृषि भूमि दूषित हो गए थे तथा यद्यपि कई हजारों लोगों को वहां से निकाला गया था, सैकड़ों हजारों लोग दूषित क्षेत्रों में बने रहे।
- इसके अतिरिक्त, बाद के वर्षों में, अनेक पशुधन विकृत पैदा हुए थे एवं मनुष्यों के मध्य दीर्घ अवधि में कई हजार विकिरण-प्रेरित रोगों तथा कैंसर से होने वाली मौतें प्रत्याशित थी।
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