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सूडान में सविनय अवज्ञा अभियान

सूडान में सविनय अवज्ञा अभियान- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध- भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव

सूडान में सविनय अवज्ञा अभियान – संदर्भ

  • हाल ही में सूडान में सैन्य शासन के विरुद्ध सूडान में प्रदर्शनकारियों द्वारा सविनय अवज्ञा अभियान आरंभ किया गया था।
    • इससे पूर्व प्रदर्शनकारियों ने पिछले महीने के सैन्य अधिग्रहण के विरुद्ध दो दिनों के सविनय अवज्ञा का आह्वान किया था।

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सूडान में सविनय अवज्ञा अभियान- पृष्ठभूमि

  • इससे पूर्व, स्थानीय प्रतिरोध समितियों एवं सूडानी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन (एसपीए) ने अप्रैल 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को उखाड़ फेंकने वाले विद्रोह में प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था।
  • सूडान की ट्रांजिशनल मिलिट्री काउंसिल (टीएमसी) ने अप्रैल में अल-बशीर को उसके तीन दशक के शासन के विरुद्ध महीनों लंबे विरोध प्रदर्शन के बाद हटाकर सत्ता पर नियंत्रण स्थापित (कब्जा) कर लिया।
  • तब से सूडान में सैन्य शासन का विरोध एवं लोकतंत्र की मांग किसी न किसी रूप में जारी है।

सूडान में सविनय अवज्ञा अभियान- प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में, सूडान के लोकतंत्र समर्थक समूहों ने पिछले महीने के सैन्य तख्तापलट के विरोध में दो दिवसीय सविनय अवज्ञा एवं हड़ताल प्रारंभ की।
  • इंटरनेट एवं फोन संपर्क में निरंतर व्यवधानों के कारण भागीदारी सीमित प्रतीत होती है।
  • सुरक्षाबलों ने खार्तूम राज्य के लिए शिक्षा मंत्रालय के भवन में सैन्य नियुक्तियों को किसी भी तरह के सुपुर्दगी (हैंडओवर) का विरोध करने के लिए आयोजित धरना को तोड़ने के लिए अश्रु गैस (आंसू गैस) का प्रयोग किया।
    • दर्जनों शिक्षक राजधानी खार्तूम में शिक्षा मंत्रालय के बाहर एक रैली में “नहीं, सैन्य शासन को ना”  लिखे हुए बैनर लिए थे एवं “पूर्ण नागरिक शासन” में परिवर्तन की मांग की।

सविनय अवज्ञा

  • परिभाषा: सविनय अवज्ञा एक नागरिक द्वारा किसी सरकार, निगम या अन्य प्राधिकरण के कुछ कानूनों, मांगों, आदेशों या कमांड का पालन करने के लिए हिंसा या विरोध के सक्रिय उपायों का सहारा लिए बिना सक्रिय, घोषित अस्वीकरण (इनकार) है।
    • इसका सामान्य उद्देश्य सरकार पर रियायतों हेतु दबाव डालना अथवा शक्ति ग्रहण करना है।
  • भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन: भारत में सीडीएम की शुरुआत महात्मा गांधी ने 1930 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध की थी। गांधीजी ने गुजरात के दांडी में नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था।
    • तब से,  अनेक देशों के नागरिकों ने अपनी दमनकारी निरंकुश शासनों के विरुद्ध एवं अपने देश में लोकतंत्र जैसी संस्थाओं को लाने के लिए सीडीएम की पद्धति का उपयोग किया।

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