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जलवायु परिवर्तन एवं खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
जलवायु परिवर्तन एवं खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि: संदर्भ
- नवंबर 2021 में भारत की थोक महंगाई दर तीन दशकों में सर्वाधिक थी। इसके अतिरिक्त, जो अधिक चिंताजनक था वह यह तथ्य था कि मूल्य वृद्धि निरंतर रही है एवं दिसंबर 2021 डब्ल्यूपीआई में द्वि अंकीय प्रतिशत वृद्धि का लगातार नौवां महीना था।
जलवायु परिवर्तन एवं खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि: प्रमुख बिंदु
- डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति सदैव चिंता का कारण होती है क्योंकि यह खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि कर सकती है।
- विशेषज्ञों ने पूर्वानुमान लगाया है कि इस वित्तीय वर्ष, मार्च 2022 के अंत तक स्थिति समान बनी रहेगी।
- दिसंबर की मुद्रास्फीति का कारण: सरकार द्वारा ईंधन पर करों में कटौती।
भारत में खाद्य मुद्रास्फीति
- इसके अतिरिक्त, खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति, मुद्रास्फीति में समग्र वृद्धि का चालक रही है एवं प्राथमिक खाद्य मुद्रास्फीति में 13 माह के उच्च स्तर पर पहुंचने के कारण नवंबर 2021 में थोक मूल्य सूचकांक अपने शिखर पर था।
- इसके अतिरिक्त, मौसमी सब्जियों की कीमतों में प्रचंड मौसमी घटनाओं के कारण अनेक राज्यों में अभूतपूर्व उछाल आया।
विश्व में खाद्य मुद्रास्फीति
- खाद्य एवं कृषि संगठन (फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन/एफएओ) के खाद्य मूल्य सूचकांक ने प्रदर्शित किया कि खाद्य कीमतें एक दशक के उच्चतम स्तर पर थीं, जिसमें विगत वर्ष की तुलना में औसतन 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
- और, यदि हम मुद्रास्फीति के लिए समायोजन करते हैं, तो 2021 के प्रथम 11 महीनों में औसत खाद्य कीमतें 46 वर्षों में सर्वाधिक रही थीं।
- कारण: आदान (इनपुट) की उच्च लागत, जारी वैश्विक महामारी तथा अनिश्चित जलवायविक परिस्थितियां।
जलवायु परिवर्तन एवं खाद्य मुद्रास्फीति
- आरबीआई ने कहा कि 1956 तथा 2010 के मध्य मुद्रास्फीति के नौ द्वि अंकीय प्रकरण थे, जिनमें से सात सूखे की स्थिति के कारण थे।
- विगत छह दशकों में, वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में उल्लेखनीय रूप से तीन प्रमुख घटनाएं: 1970, 2007-08 एवं 2010-14 हुई हैं।
- कारण: मौसम के आघात के पश्चात तेल की कीमतों में वृद्धि, व्यापार नीति अंतःक्षेप एवं जैव ईंधन की खपत जैसे कारक।
- वर्तमान प्रकरण पूर्ण रूप से मौसम की विसंगतियों से प्रेरित प्रतीत होता है।
- इसी तरह की स्थिति 2019-2020 में, विगत उच्च-मूल्य प्रकरण का कारण बनी।
- कारण: खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण जनवरी 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 68 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
- आरबीआई ने 2014 में कहा था कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के लिए पारंपरिक स्पष्टीकरणों में से एक सूखे या बाढ़ के कारण मौसम से संबंधित आपूर्ति-पक्ष के आघात हैं।
खाद्य मुद्रास्फीति के प्रमुख चालक
- गेहूं: वर्तमान वैश्विक खाद्य मुद्रास्फीति मुख्य रूप से गेहूं द्वारा संचालित है, जिसने प्रमुख उत्पादक देशों में सूखे एवं उच्च तापमान के कारण कीमतों में वृद्धि की सूचना दी।
- विश्व के सर्वाधिक वृहद गेहूं निर्यातक देश रूस ने भी कम उपज प्राप्त की एवं अब घरेलू उपभोग के लिए पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करने हेतु गेहूं के निर्यात पर एक कर आरोपित किया है।
- कॉफी: जुलाई 2021 में ब्राजील के कॉफी बीज के उत्पादक क्षेत्रों में असामान्य पाला (ठंड) के कारण उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- 2012 में, ऑक्सफैम ने अनुमान लगाया था कि 2010 की तुलना में 2030 तक गेहूं के लिए विश्व बाजार औसत निर्यात मूल्य में 120 प्रतिशत की वृद्धि होगी; प्रसंस्कृत चावल के आंकड़े 107 प्रतिशत एवं मक्का के लिए 177 प्रतिशत है।
- चिंता के प्रमुख क्षेत्रों में से एक यह है कि वर्षा एवं उसके वितरण को परिवर्तित कर, जलवायु परिवर्तन कृषि की धुरी को परिवर्तित कर रहा है।