Home   »   Climate Resilient Agriculture   »   Climate Resilient Agriculture

जलवायु प्रतिस्कंदी कृषि: एपीडा ने एनआरडीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

जलवायु प्रतिस्कंदी कृषि यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: किसानों की सहायता हेतु ई-प्रौद्योगिकी।

हिंदी

जलवायु प्रतिस्कंदी कृषि: संदर्भ

  • हाल ही में, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एग्रीकल्चरल एंड प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी/APEDA) ने निर्यात मूल्य श्रृंखला को प्रोत्साहन देने हेतु राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉरपोरेशन/NRDC) के साथ एक समझौता ज्ञापन (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग/MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।

 

जलवायु प्रतिस्कंदी कृषि: प्रमुख बिंदु

  • कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन एवं निर्यात मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
  • समझौता ज्ञापन का उद्देश्य निर्यात के लिए अवशेष/कार्बन मुक्त आहार का उत्पादन करने के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन कृषि से संबंधित जलवायु-प्रतिस्कंदी कृषि के क्षेत्रों में एपीडा के साथ संयुक्त रूप से प्रौद्योगिकियों का संचार तथा प्रसार करना है।
  • सहयोग के प्रमुख क्षेत्र: निम्न लागत के लिए कृषि मशीनरी का विकास एवं सुधार, छोटे पैमाने के किसानों के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल उपकरण, कृषि स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देना एवं समर्थन करना।

 

एनआरडीसी क्या है?

  • NRDC, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च/DSIR), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार का एक उद्यम है।
  • इसकी स्थापना 1953 में प्रौद्योगिकियों, सूचनाओं, आविष्कारों एवं पेटेंटों को बढ़ावा देने, विकसित करने  एवं व्यवसायीकरण करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ की गई थी।

 

एपीडा क्या है?

  • कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसे भारत सरकार द्वारा दिसंबर, 1985 में स्थापित किया गया था।
  • यह ताजी सब्जियों  एवं फलों के निर्यात को प्रोत्साहन देने वाली प्रमुख संस्था है।

हिंदी

जलवायु प्रतिस्कंदी कृषि: सिफारिशें

  • सूक्ष्म एवं वृहद स्तर पर निर्णय निर्माण की संस्कृति की आवश्यकता है।
    • सूक्ष्म स्तर पर- पारंपरिक ज्ञान एवं जीर्णावस्था की धारणाएँ + मौसम विभाग द्वारा जलवायु मूल्यांकन।
    • वृहद स्तर पर- सरकार को अपनी नीतियों के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन  से नकारात्मक प्रभाव किसानों को अधिक प्रभावित न करे।
  • बेहतर एवं सुसंगत आजीविका के लिए अंतर एवं बहु ​​फसल, फसल चक्र, गैर-कृषि गतिविधियों में परिवर्तन जैसी कृषि प्रबंधन पद्धतियां
  • फसल बीमा के प्रति जागरूकता में वृद्धि करने के लिए किसानों को शिक्षित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में एनएसएसओ के अनुसार बहुत कम किसान फसल बीमा के बारे में जानते हैं।
  • उपग्रह सक्षम कृषि जोखिम प्रबंधन को प्रोत्साहित करने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) एवं अन्य वास्तविक स्तर के संगठनों को पुनः तैयार करना।
  • बहु- संस्तर कृषि एवं सूक्ष्म कृषि जैसी नवीन कृषि पद्धतियों का अनुसरण किया जाना चाहिए।
  • कृषि अनुबंधों एवं भविष्य के व्यापार के लिए विकल्पों के उपयोग जैसे व्यापारिक विकल्पों का पता लगाने की आवश्यकता है।
  • कृषि वानिकी जैसे संरक्षण पद्धतियों को प्रोत्साहन देना-फलों के साथ कृषि अथवा अप्रयुक्त कृषि-भूमि पर पर्यावरण के अनुकूल वृक्षारोपण।
  • शुष्क भूमि कृषि पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • नवीन भारत@75 के लिए रणनीति: ई-नाम का विस्तार करके एवं एपीएमसी अधिनियम को कृषि उत्पाद  तथा पशुधन विपणन अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित करके किसानों को कृषि उद्यमियों में परिवर्तित करें।

 

एमएसएमई सस्टेनेबल (जेडईडी) योजना विमोचित भारत-चिली संबंध- निःशक्तता क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए कंसल्टेंसी डेवलपमेंट सेंटर (सीडीसी) को सीएसआईआर के साथ विलय किया जाएगा संपादकीय विश्लेषण- ए स्प्लिन्टर्ड ‘नर्व सेंटर’
किसान भागीदारी, प्राथमिकता हमारी अभियान “संकल्प से सिद्धि” सम्मेलन 2022 पीओएसएच अधिनियम (कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम) कुरुक्षेत्र पत्रिका का विश्लेषण: ”महिलाओं का स्वास्थ्य से संबंधित सशक्तिकरण’
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन तथा शहद मिशन (एनबीएचएम) डेफलंपिक्स 2022 | 2022 ग्रीष्मकालीन डेफलंपिक्स में भारत की भागीदारी शिवगिरी तीर्थयात्रा एवं ब्रह्म विद्यालय भारत में सामाजिक वानिकी योजनाएं | सामाजिक वानिकी

Sharing is caring!

जलवायु प्रतिस्कंदी कृषि: एपीडा ने एनआरडीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए_3.1