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भारत में कोयला खदानें
भारत में प्रमुख कोयला क्षेत्रों की चर्चा भारत में कोयला खान लेख में की गई है। यह लेख भारत में महत्वपूर्ण कोयला खानों की राज्य-वार सूची एवं उनकी प्रमुख विशेषताओं तथा उनकी अवस्थिति पर चर्चा करता है।
विभिन्न सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को भारत में कोयला खदानों या भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्रों की सूची के बारे में पता होना चाहिए। यह विभिन्न प्रतियोगिता अथवा सरकारी परीक्षाओं के सामान्य जागरूकता खंड के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत में कोयला खदानों की सूची
कोयला चट्टान की सतह के नीचे अवसादी चट्टानों में पाया जाता है एवं इसे प्रायः काला सोना अथवा “ब्लैक गोल्ड” कहा जाता है।
भारत प्राचीन कठोर चट्टानों से समृद्ध होने के कारण विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधनों का भंडार है। भारत में कोयले के वितरण को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
गोंडवाना कोलफील्ड्स: ये 250 मिलियन वर्ष पुराने हैं
तृतीयक कोयला क्षेत्र: ये 15 से 60 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
कोयला भारत में उत्पादित कुल वाणिज्यिक ऊर्जा के लगभग 67% के स्रोत के रूप में कार्य करता है। भारत के कुल कोयला भंडार का 98% गोंडवाना चट्टानों में पाया जाता है। गोंडवाना चट्टानों के प्रमुख क्षेत्र पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा में पाए जाते हैं।
भारत में कोयला खानों की सूची राज्यवार पूरी सूची
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कोयला उत्पादक राज्य | प्रमुख कोयला खानों के नाम | कोयला खानों की प्रमुख विशेषताएं |
झारखंड | झरिया,
धनबाद, बोकारो, जयंती, गोड्डा, गिरिडीह (कारभारी कोयला क्षेत्र), रामगढ़, करणपुरा, डाल्टनगंज |
धनबाद – यह झारखंड के सबसे पुराने एवं भारत के सर्वाधिक समृद्ध कोयला क्षेत्रों में से एक है। धनबाद सर्वोत्तम धातुकर्मीय कोयले अर्थात कोकिंग कोल का निक्षेप है।
गिरिडीह (कारभारी कोल फील्ड) – यह धातुकर्म प्रयोजनों के लिए भारत में बेहतरीन कोकिंग कोल प्रदान करता है। |
पश्चिम बंगाल | रानीगंज कोलफील्ड,
डालिंगकोट (दार्जिलिंग) बीरभूम, चिनकुरी |
दार्जिलिंग एवं जलपाईगुड़ी– ये प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
गोंडवाना कोलफील्ड्स |
छत्तीसगढ़ | कोरबा, बिश्रामपुर, सोनहत, झिलमिल, हसदो-अरंड | गोंडवाना कोलफील्ड्स |
ओडिशा | झारसुगुड़ा, हिमगिरी, रामपुर, तालचेर | तालचर – रानीगंज के बाद निक्षेप में इसका दूसरा स्थान है यानी (24,374 मिलियन टन)
अधिकांश कोयला भाप और गैस उत्पादन के लिए उपयुक्त है और तालचेर में ताप विद्युत संयंत्रों में उपयोग किया जाता है। गोंडवाना कोलफील्ड्स |
तेलंगाना/आंध्र प्रदेश | सिंगरेनी, कोठागुडेम, कांटापल्ली | अधिकांश कोयले के भंडार गोदावरी घाटी में स्थित हैं। गैर-कोकिंग किस्म के कोयले का पता लगाया गया है। |
तमिलनाडु | नेवेली | तृतीयक कोलफील्ड्स |
महाराष्ट्र | कैम्पटी (नागपुर), वुन फील्ड, वर्धा, वालारपुर, घूघस एवं वरोरा | गोंडवाना कोलफील्ड्स |
असम | लेडो, माकुम, नजीरा, जंजी, जयपुर | असम कोयले में कम राख एवं उच्च कोकिंग गुण होते हैं।
सल्फर की उच्च मात्रा होती है, धातुकर्म प्रयोजनों के लिए अच्छा है। कोयला तरल ईंधन निर्मित करने एवं हाइड्रोजनीकरण प्रक्रियाओं के लिए सर्वोत्तम होता है। तृतीयक कोलफील्ड्स |
मेघालय | दर्रांगिरी (गारो हिल्स), चेरापूंजी, लियो ट्रिन्यू, माओलोंग एवं लैंगरिन कोलफील्ड्स (खासी एवं जयंतिया पहाड़ियां) | तृतीयक कोल फील्ड |
मध्य प्रदेश | सिंगरौली, सोहागपुर, जोहिला, उमरिया, सतपुड़ा कोलफील्ड | सिंगरौली- यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा कोलफील्ड है।
गोंडवाना कोलफील्ड्स। |
अरुणाचल प्रदेश | नाकामचिक-नामफुक
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भारत में स्थित कोयला खानों के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. भारत का पहला कोयला क्षेत्र कौन सा था?
उत्तर. पश्चिम बंगाल का रानीगंज क्षेत्र भारत का पहला कोयला क्षेत्र था जहां ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा वर्ष 1774 में कोयला खनन का कार्य प्रारंभ किया गया था।
प्र. किस श्रेणी के कोयला क्षेत्र में भारत का सर्वाधिक कोयला भंडार है?
उत्तर. गोंडवाना कोयला भारत में कुल कोयले के भंडार का 98% तक निर्मित करता है।
प्र. गोंडवाना चट्टानों की सर्वाधिक मात्रा किस क्षेत्र में है ?
उत्तर. गोंडवाना चट्टानों के मुख्य क्षेत्र पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा में पाए जाते हैं।