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ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक स्रोत भाग 2

ऊर्जा के पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक स्रोत

अपने विगत लेख में, हमने ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर चर्चा की थी। इस लेख में, हम ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों पर चर्चा करेंगे।

 

ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत

  • ऊर्जा के वे स्रोत जो प्रकृति में निरंतर उत्पादित हो रहे हैं तथा अक्षय हैं, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत (अथवा) गैर-पारंपरिक ऊर्जा कहलाते हैं।
  • ऊर्जा के ये स्रोत पर्यावरण प्रदूषण का कारण नहीं बनते हैं एवं इसलिए, ऊर्जा के पर्यावरण के अनुकूल स्रोत हैं।
  • ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों के उदाहरण: ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सौर ऊर्जा तथा भूतापीय ऊर्जा।

ऊर्जा के विभिन्न प्रकार के गैर-पारंपरिक स्रोत

सौर ऊर्जा

  • सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न ऊर्जा है।
  • सौर ऊर्जा की क्षमता 178 बिलियन मेगावाट है जो विश्व की मांग का लगभग 20,000 गुना है
  • यह ऊर्जा के सर्वाधिक स्वच्छ स्रोतों में से एक है एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में सर्वाधिक अवसर है।
  • सौर पैनल अर्धचालक पदार्थों से निर्मित होते हैं जिन्हें फोटोवोल्टिक सेल के रूप में जाना जाता है। ये सोलर पैनल प्रकाश को विद्युत में रूपांतरित करने में सक्षम हैं।
  • घरों में विद्युत के प्राथमिक स्रोत के रूप में सौर पैनलों का उपयोग किया जा रहा है। उनका उपयोग व्यावसायिक रूप से सोलर फार्म में भी किया जाता है, जिसमें सैकड़ों तथा हजारों सौर पैनल होते हैं।
  • चूंकि भारत एक उपोष्ण कटिबंधीय देश है, इसलिए यहां सौर ऊर्जा के दोहन की अपार संभावनाएं हैं।
  • भारत सरकार भी राष्ट्रीय सौर मिशन, पीएम कुसुम इत्यादि योजनाओं के माध्यम से सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।

 

पवन ऊर्जा

  • पवन दो कारणों से उत्पन्न होती है:
    • पृथ्वी की सतह एवं वायुमंडल में सौर ऊर्जा का अवशोषण।
    • पृथ्वी का अपनी धुरी पर परिभ्रमण एवं सूर्य के चारों ओर उसकी गति।
  • पवन ऊर्जा का उपयोग करके जो ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे पवन ऊर्जा कहा जाता है।
  • पवन चक्की का उपयोग गतिशील पवन की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है जिसका उपयोग या तो सीधे मशीन को चलाने के लिए अथवा विद्युत उत्पन्न करने के लिए जनरेटर चलाने के लिए किया जा सकता है।
  • पवन टर्बाइनों द्वारा उत्पादित विद्युत पवन की गति के घन के सीधे आनुपातिक होती है
  • भारत पवन ऊर्जा उत्पादन में दूसरा सर्वाधिक वृहद देश है।

 

ज्वारीय ऊर्जा

  • ज्वार मुख्य रूप से पृथ्वी एवं चंद्रमा के मध्य गुरुत्वाकर्षण आकर्षण के कारण उत्पन्न होते हैं।
  • ज्वारीय ऊर्जा वह ऊर्जा है जो समुद्र की ज्वारीय तरंगों के दोहन से उत्पन्न होती है।
  • एक ज्वारीय विद्युत स्टेशन में, उच्च ज्वार पर जल को पहले एक कृत्रिम द्रोणी में पाशित किया जाता है तत्पश्चात निम्न ज्वार पर निकलने दिया जाता है।
  • मुक्त होने वाले जल का उपयोग पानी के टर्बाइनों को चलाने के लिए किया जाता है, जो बदले में विद्युत जनरेटर को संचालित करते हैं।
  • लागत प्रभावी तकनीक हे अभाव के कारण ऊर्जा के इस स्रोत का अभी तक दोहन नहीं किया जा सका है।

 

जल विद्युत ऊर्जा

  • जल के प्राकृतिक अथवा कृत्रिम प्रवाह का उपयोग करके विद्युत उत्पन्न करने हेतु उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को जल विद्युत ऊर्जा कहा जाता है।
  • जलविद्युत ऊर्जा का सर्वाधिक लोकप्रिय प्रकार जलविद्युत बांध तथा जलाशय हैं। उदाहरण: भाखड़ा नांगल परियोजना एवं दामोदर घाटी परियोजना।
  • जलविद्युत बांध कम ऊंचाई पर निर्मित किए जाते हैं जहां नदियों में जल का समुचित प्रवाह होता है।
  • नदी के प्राकृतिक प्रवाह का उपयोग जनरेटर से जुड़े टर्बाइनों को चलाने के लिए किया जाता है।
  • टर्बाइनों के घूमने से विद्युत उत्पन्न होती है, जिसे संग्रहित किया जाता है एवं बाद में उपभोग के लिए ले जाया जाता है।

भूतापीय ऊर्जा

  • भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के पिघले हुए आंतरिक भाग से सतह की ओर आने वाली ऊर्जा है।
  • जियोथर्मल शब्द ग्रीक शब्द जियो (पृथ्वी) एवं थर्म (गर्मी) से आया है।
  • भाप को पाशित करने के लिए कुओं को ड्रिल किया जाता है जो विद्युत जनरेटर को शक्ति प्रदान करता है।
  • भाप प्राकृतिक रूप से भूमिगत जल से उत्पन्न होती है, जो उस क्षेत्र में व्याप्त अत्यंत उच्च तापमान के कारण गर्म हो जाती है।

 

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