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हम इस लेख को क्यों पढ़ रहे हैं – सीओपी 14 में आर्द्रभूमि संरक्षण पर वार्ता?
यह लेख – ”सीओपी 14 में आर्द्रभूमि संरक्षण पर वार्ता” हाल ही में आयोजित ‘सीओपी 14 आर्द्रभूमि सम्मेलन’ के तहत आर्द्रभूमि संरक्षण से संबंधित है एवं यह आपको सीओपी 14 में आर्द्रभूमि संरक्षण पर वार्ता तथा आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति भारत के दृष्टिकोण के बारे में समझाएगा। यह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए पर्यावरण संबंधित खंड को कवर करने में सहायक होगा।
सीओपी 14 क्या है?
- सीओपी 14 जिनेवा, स्विट्जरलैंड में व्यक्तिगत बैठक के साथ 5 से 13 नवंबर के मध्य संपन्न हुआ। इन उच्च-स्तरीय गतिविधियों का नेतृत्व आभासी रूप से चीन द्वारा किया गया था। सीओपी 14 की विषय वस्तु ‘लोगों तथा प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि कार्रवाई‘ (वेटलैंड एक्शंस फॉर पीपल एंड नेचर) थी।
- वर्ल्ड वेटलैंड नेटवर्क (WWN) ने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई।
- सीओपी 14 का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रामसर अभिसमय, या रामसर सीओपी के पक्षकारों के सम्मेलन की ओर निर्देशित था, जो प्रत्येक तीन वर्ष में होने वाली बड़ी बैठक है।
- आर्द्रभूमियों पर इस सीओपी 14 अभिसमय का उद्देश्य था – लोगों एवं प्रकृति के लिए कार्रवाई का आह्वान करना (कॉलिंग फॉर एक्शन फॉर पीपल एंड नेचर)।
- सीओपी 14 का लोगों एवं प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि कार्रवाई को वर्धित करने हेतु 21 प्रस्तावों को अपनाने वाले दलों के साथ समापन हो गया।
पर्यावरण एवं आर्द्रभूमि भारत के सांस्कृतिक लोकाचार का एक अभिन्न अंग कैसे हैं?
- भारत करुणा, सह प्राणियों की सेवा, साझाकरण एवं सामाजिक न्याय में विश्वास करता है तथा व्यवहार करता है। हमारा पर्यावरण हमारी संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है।
- ‘सरहुल (झारखंड)‘ या तेलंगाना के बथुकम्मा जैसे त्यौहार, प्रकृति का उत्सव मनाते हैं जो हमें फलने फूलने में एवं जीवन का समर्थन करने में सहायता करती है। यह प्रकृति बहुतों के लिए जीवन का आधार भी है – मछुआरे, पर्यटक गाइड इत्यादि।
- अन्य लाभों के अतिरिक्त, वनस्पतियों एवं जीवों के अस्तित्व के लिए आर्द्रभूमि भी महत्वपूर्ण हैं।
- अनेक संकटग्रस्त प्रवासी पक्षी भारतीय आर्द्रभूमि में आते हैं। यह लुप्तप्राय पल्लास की फिश-ईगल, संकटग्रस्त कॉमन पोचार्ड तथा लुप्तप्राय डालमेशियन पेलिकन, ग्रे-हेडेड फिश-ईगल तथा फेरुगिनस डक जैसे प्रवासी जलपक्षियों को शीत ऋतु का मैदान प्रदान करता है।
आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति भारत का दृष्टिकोण क्या है?
- ‘मिशन सहभागिता‘ के माध्यम से हितधारक जुड़ाव के साथ आर्द्रभूमि संरक्षण को तीव्र गति से वर्धित करना एवं विकास योजना में आर्द्रभूमि को मुख्यधारा में लाना आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति भारत के दृष्टिकोण का मूल है।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षों के दौरान 75 रामसर स्थलों को नामित करने के संबंध में भारत द्वारा की गई प्रगति एक ऐसा उदाहरण है क्योंकि भारत ने स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में देश में 13,26,677 हेक्टेयर के क्षेत्र को आच्छादित करने वाले कुल 75 रामसर स्थलों को निर्मित करने के लिए रामसर स्थलों की सूची में 11 अन्य आर्द्रभूमियाँ शामिल की हैं।
सीओपी 14 में आर्द्रभूमि संरक्षण पर वार्ता क्यों महत्वपूर्ण थी?
- आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे जल को शुद्ध करने के लिए प्राकृतिक निस्यंदक (फिल्टर) के रूप में कार्य करने वाले वैश्विक जल चक्र को बनाए रखते हैं; ग्रह पर सर्वाधिक दक्ष कार्बन सिंक हैं; तूफानों के दौरान तट रेखाओं को स्थिर करके प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करता है।
- इसके अतिरिक्त, आर्द्रभूमि बाढ़ एवं सूखे को कम करने हेतु जल को अवशोषित करती है। वे सर्वाधिक जैव विविध पारिस्थितिक तंत्र हैं एवं वैश्विक प्रजातियों के 40% का आवास हैं।
- अध्ययनों के अनुसार, आर्द्रभूमि पेरिस जलवायु लक्ष्यों, वैश्विक जैव विविधता ढांचे तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रकृति-आधारित समाधान हैं।
आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए भारत के प्रयास
- भारत में लगभग 4.6% भूमि आर्द्रभूमियों के रूप में है जो 15.26 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को आच्छादित करती है।
- भारत सरकार ने आर्द्रभूमियों से संबंधित सभी प्रकार की सूचनाओं तक पहुँचने के लिए एकल बिंदु समाधान प्रदान करने के लिए 2021 में ‘वेटलैंड्स ऑफ़ इंडिया‘ पोर्टल का विमोचन किया।
- भारत के वेटलैंड्स पोर्टल को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज/एमओईएफसीसी) के एक तकनीकी सहयोग परियोजना “वेटलैंड्स मैनेजमेंट फॉर बायोडायवर्सिटी एंड क्लाइमेट प्रोटेक्शन” (वेटलैंड्स प्रोजेक्ट) के तहत ड्यूश गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसम्मेनारबीट (जीआईजेड) जीएमबीएच के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है।
- इसी तरह, भारत में महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को पुनर्स्थापित करने एवं उनकी रक्षा करने के लिए भारत अनेक आर्द्रभूमि संरक्षण परियोजनाएं संचालित कर रहा है जो अनेक व्यक्तियों के जीवन का आधार हैं।
आर्द्रभूमि परियोजनाओं का 4-आयामी कायाकल्प
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने चार सूत्रीय रणनीति के तहत 130 आर्द्रभूमियों के जीर्णोद्धार तथा कायाकल्प का कार्य संपादित किया, जिसमें इन आर्द्रभूमियों के नोडल अधिकारियों को केंद्रित प्रबंधन योजना तैयार करने एवं आर्द्रभूमियों के स्वास्थ्य के लिए कार्य करने का प्रशिक्षण दिया गया।
- देश में प्रथम बार आर्द्रभूमियों को उनके स्वास्थ्य के अनुसार ए से ई के मध्य वर्गीकृत किया गया था।
सीओपी 14: प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. भारत की कितनी प्रतिशत भूमि आर्द्रभूमि है?
उत्तर: भारत की लगभग 4.6 प्रतिशत भूमि आर्द्रभूमि है जो 15.26 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को आच्छादित करती है।
प्र. भारत में कितने रामसर स्थल हैं?
उत्तर: भारत ने हाल ही में देश में 13,26,677 (हेक्टेयर) हेक्टेयर क्षेत्र को आच्छादित करने वाले कुल 75 रामसर स्थलों को निर्मित करने हेतु रामसर स्थलों की सूची में 11 अन्य आर्द्रभूमियों को शामिल किया है।
प्र. सीओपी 14 की थीम क्या थी?
उत्तर: सीओपी 14 की विषय वस्तु ‘लोगों और प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि कार्रवाई‘ (वेटलैंड एक्शंस फॉर पीपल एंड नेचर) थी।