Table of Contents
प्रासंगिकता
- जीएस 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं उनके अनुप्रयोग एवं दैनिक जीवन में इनके प्रभाव।
प्रसंग
- हाल ही में, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रणाली निर्मित की है जो क्रिस्पर (सीआरआईएसपीआर)-आधारित आनुवंशिक अभियांत्रिकी का उपयोग करके मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करती है।
मुख्य बिंदु
बंध्य कीट तकनीक
- बंध्य कीट तकनीक एक पर्यावरण के अनुकूल कीट नियंत्रण विधि है जिसमें व्यापक पैमाने पर कीट पालन एवं बंध्याकरण शामिल है।
- एसआईटी एक लक्षित कीट के विकिरण का उपयोग करता है, जिसके बाद परिभाषित क्षेत्रों में बंध्य नरों को व्यवस्थित क्षेत्र-व्यापी रूप से मुक्त किया जाता है, जहां वे जंगली मादाओं के साथ संभोग करते हैं।
- इसके परिणामस्वरूप कोई संतान उत्पन्न नहीं होती है तथा कीटों की संख्या में कमी आती है, जिससे डेंगू एवं मलेरिया जैसे रोगों के मामलों को कम करने में सहायता मिलती है।
पीजीएसआईटी क्या है?
- “सूक्ष्म-निर्देशित बंध्य कीट तकनीक” (पीजीएसआईटी) एक एसआईटी है जो पुरुष प्रजनन क्षमता से सहलग्न जीन को बदल देती है – बंध्य संतान उत्पन्न कर – डेंगू बुखार, चिकनगुनियाएवं जीका सहित रोगों के प्रसार हेतु उत्तरदायी मच्छर प्रजाति एडीज एजिप्टी में मादा चंचलता (उड़ान) के लिए सहलग्न जीन को बदल देती है।
- पीजीएसआईटी नर मच्छरों के बंध्याकरण करने हेतु क्रिस्पर का उपयोग करता है एवं मादा मच्छरों (जो रोगों को प्रसारित करती है) को चंचलता रहित बनाता है।
आयुष्मान भारत- पीएम जन आरोग्य योजना
पीजीएसआईटी की दो सक्षम करने वाली विशेषताएं
- यह स्व-प्रतिबंधक है जिसका अर्थ है कि यह बिना किसी बाह्य उपचार के अपने आप दूर हो जाता है।
- पर्यावरण में बने रहने या प्रसार का पूर्वानुमान नहीं किया गया है।
मच्छरों को सीमित करने हेतु पीजीएसआईटी
- पीजीएसआईटी के अंडों को मच्छर जनित रोगों के खतरे वाले स्थान पर भेज दिया जा सकता है या एक ऐसे स्थल पर विकसित किया जा सकता है जो आस-पास परिनियोजन हेतु अंडो का उत्पादन कर सके।
- एक बार जब पीजीएसआईटी अंडे वनों में मुक्त जाते हैं, तो बंध्य पीएसआईटी नर निकलेंगे एवं अंततः मादाओं के साथ संभोग करेंगे, जंगली आबादी को आवश्यकतानुसार नीचे गिरा देंगे।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी)
क्रिस्पर (सीआरआईएसपीआर) के बारे में
- नियमित रूप से इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट (क्रिस्पर) के समूह, जीवाणु एवं आर्किया जैसे प्राक्केंद्रकी (प्रोकैरियोटिक) जीवों के जीनोम में पाए जाने वाले डीएनए अनुक्रमों का एक परिवार है।
- क्रिस्पर तकनीक जीनोम के संपादन हेतु एक सरल किंतु शक्तिशाली उपकरण है। यह शोधकर्ताओं को डीएनए अनुक्रमों को सरलता से परिवर्तित करने एवं जीन क्रियाओं को संशोधित करने की अनुमति प्रदान करता है।
- इसके अनेक संभावित अनुप्रयोगों में आनुवंशिक दोषों को ठीक करना, रोगों का उपचार करना और उन्हें प्रसारित होने से रोकना तथा फसलों में सुधार करना शामिल है।
- क्रिस्पर “क्रिस्पर-कैस 9” के लिए संक्षिप्त लिपि (शॉर्टहैंड) है। जहां कैस 9 एक एंजाइम है जो आणविक कैंची के एक युग में की भांति कार्य करता है, जो डीएनए के तंतुओं (स्ट्रैंड) को काटने में सक्षम है।
- क्रिस्पर-कैस 9 एक विशिष्ट तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों एवं चिकित्सा शोधकर्ताओं को डीएनए अनुक्रम के अनुभागों को हटाने, जोड़ने या बदलने के द्वारा जीनोम के कुछ हिस्सों को संपादित करने में सक्षम बनाती है।