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यूपीएससी के लिए दैनिक समसामयिकी 27 दिसंबर 2022: हम आपके लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा विशिष्ट दैनिक समसामयिकी के साथ अद्यतन करने के सिद्धांत पर ‘यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक समसामयिकी’ लाते हैं। यूपीएससी उम्मीदवारों के कीमती समय को बचाने के लिए ये डेली करेंट अफेयर्स बिट फॉर्म/संक्षिप्त रूप में तैयार किए गए हैं। आज के प्रीलिम्स बिट्स में हम नीचे दिए गए टॉपिक्स के लिए करेंट अफेयर्स बिट्स को कवर कर रहे हैं: जन गण मन का इतिहास, पुष्प कमल दहल (प्रचंड) कौन हैं?, प्रो. थलप्पिल प्रदीप कौन हैं?, भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) का आकलन क्या है?।
आज इतिहास में – जन गण मन
आज का महत्व क्या है?
27 दिसंबर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में प्रथम बार भारतीय राष्ट्रगान “जन गण मन” सार्वजनिक रूप से गाया गया था।
जन गण मन पर प्रीलिम्स बिट
- ‘जन गण मन’ बंगाली भजन ‘भारतो भाग्य बिधाता’ का प्रथम छंद है एवं इसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था।
- 27 दिसंबर, 1911 की ऐतिहासिक तिथि को, टैगोर की भतीजी, सरला देवी चौधुरानी ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष बिशन नारायण धर एवं भूपेंद्र नाथ बोस तथा अंबिका चरण मजूमदार जैसे अन्य नेताओं की सभा के समक्ष, कुछ स्कूली छात्रों के साथ गीत गाया।
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा इस गीत को इसके हिंदी संस्करण में भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।
पुष्प कमल दहल (प्रचंड)
प्रचंड चर्चा में क्यों हैं?
- विगत माह हुए चुनावों में एक स्पष्ट विजेता प्रदान करने में विफल रहने के पश्चात, महीने भर की राजनीतिक उथल-पुथल को समाप्त करते हुए, सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल, जिन्हें ‘प्रचंड’ के नाम से जाना जाता है, हिमालयी राष्ट्र नेपाल की बागडोर संभालने के लिए तैयार हैं।
- राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
- उन्होंने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 169 सदस्यों के समर्थन को दर्शाते हुए राष्ट्रपति को एक पत्र सौंपा।
प्रचंड प्रधानमंत्री कैसे बने?
- प्रचंड सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष एवं पूर्व गुरिल्ला नेता/माओवादी नेता हैं।
- प्रचंड को संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है।
- देश के शीर्ष पद पर दहल का यह तीसरा कार्यकाल होगा।
- कहा जाता है कि वह के पी शर्मा ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के साथ अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
- विशेष रूप से, प्रचंड एवं ओली ने बारी-बारी से देश पर शासन करने के लिए एक समझौता किया है, जिसमें ओली ने प्रचंड की मांग के अनुसार प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हुए हैं।
प्रो. थलप्पिल प्रदीप
चर्चा में क्यों हैं?
भारतीय वैज्ञानिक, प्रोफेसर थलप्पिल प्रदीप, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास ने भूजल से आर्सेनिक एवं अन्य भारी धातुओं को हटाने के लिए कम लागत वाली निस्पंदन प्रणाली के नवाचार के लिए हनोई में 20 दिसंबर 2022 को विनफ्यूचर विशेष पुरस्कार प्राप्त किया।
विनफ्यूचर पुरस्कार 2022 पर प्रीलिम्स बिट्स
विनफ्यूचर पुरस्कार क्या है?
- विनफ्यूचर पुरस्कार की स्थापना लाखों लोगों के दैनिक जीवन में सार्थक बदलाव लाने वाले सफल वैज्ञानिक अनुसंधान एवं तकनीकी नवाचारों का सम्मान करने के लिए की गई है।
- पुरस्कार का उद्देश्य वैश्विक शैक्षणिक विश्वविद्यालयों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं एवं उद्योग के असाधारण अन्वेषकों तथा शोधकर्ताओं को मान्यता प्रदान करना है।
विनफ्यूचर पुरस्कार 2022 के बारे में जानिए
- द विनफ्यूचर प्राइज 2022 20 दिसंबर 2022 को हनोई में आयोजित किया गया था।
- द विनफ्यूचर ग्रैंड प्राइज का मूल्य 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो वैश्विक स्तर पर अब तक के सबसे बड़े वार्षिक पुरस्कारों में से एक है।
- तीन विशेष पुरस्कार महिला नवप्रवर्तकों, विकासशील देशों के नवप्रवर्तकों एवं उदीयमान क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त करने वाले नवप्रवर्तकों को प्रदान किए जाते हैं।
- इन तीनों पुरस्कारों में से प्रत्येक पुरस्कार का मूल्य 500,000 अमेरिकी डॉलर है।
- विजेता अपने सफल नवाचारों का प्रदर्शन करते हैं जो वैश्विक सुधार एवं महामारी पश्चात के पुनर्गठन को प्रोत्साहित करने में योगदान करते हैं।
- विनफ्यूचर पुरस्कार 2022 के प्राप्तकर्ताओं को 71 देशों में लगभग 1,000 नामांकन से चयनित किया गया था।
2035 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत!
चर्चा में क्यों है?
- ब्रिटिश कंसल्टेंसी सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) ने कहा है कि भारत 2035 तक मौजूदा पांचवें स्थान से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) की रिपोर्ट के प्रमुख अंश
- सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च ने अपने वार्षिक वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल में कहा कि आगामी पांच वर्षों में, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट/जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर औसतन 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जिसके बाद के नौ वर्षों में विकास दर औसतन 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।
- सीईबीआर इसमें यह भी जोड़ता है कि 2037 तक, विश्व सकल घरेलू उत्पाद दोगुना हो जाएगा क्योंकि विकासशील अर्थव्यवस्थाएं समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं के साथ पकड़ बना लेंगी।
- शक्ति के बदलते संतुलन से 2037 तक पूर्वी एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र का वैश्विक उत्पादन में एक तिहाई से अधिक का योगदान होगा, जबकि यूरोप का अंश घटकर पांचवे से भी कम रह जाएगा।
- दूसरी ओर, वैश्विक अर्थव्यवस्था को, मुख्य रूप से उच्च मुद्रास्फीति को रोकने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि के कारण 2023 में मंदी का सामना करना पड़ेगा।
- इसने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2022 में पहली बार 100 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई, किंतु 2023 में रुक जाएगी क्योंकि नीति निर्माता बढ़ती कीमतों के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।