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यूपीएससी परीक्षा 24 दिसंबर 2022 के लिए दैनिक समसामयिकी: यूपीएससी परीक्षा के लिए दैनिक समसामयिकी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण दैनिक यूपीएससी प्रारंभिक विशिष्ट समसामयिकी के साथ अद्यतन करने के सिद्धांत पर आधारित हैं। यूपीएससी उम्मीदवारों के कीमती समय को बचाने के लिए ये दैनिक समसामयिकी बिट फॉर्म/संक्षिप्त रूप में तैयार किए गए हैं।
मानव पैपिलोमा विषाणु (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस/एचपीवी)
एचपीवी चर्चा में क्यों है?
- केंद्र सरकार ने घोषणा की कि वह विद्यालयों के माध्यम से 9 से 14 वर्ष की आयु की बालिकाओं के लिए टीकाकरण प्रारंभ करेगी। यह निर्णय इस माह प्रकाशित द लांसेट में एक अध्ययन के साथ एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, जिसमें प्रदर्शित किया गया है कि भारत में एशिया में सर्वाइकल कैंसर के सर्वाधिक मामले हैं, इसके बाद चीन का स्थान है।
सर्वाइकल कैंसर क्या है?
- सर्वाइकल कैंसर एक रोके जाने योग्य एवं उपचार योग्य कैंसर है।
- यह मानव पैपिलोमा विषाणु (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस/एचपीवी) के संक्रमण के कारण होता है एवं ऐसे टीके हैं जो कैंसर कारक (कार्सिनोजेनिक) एचपीवी से बचाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देश
- 2020 में संपूर्ण विश्व में 6,00,000 से अधिक महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता चलने के साथ, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनेक दिशा-निर्देश निर्धारित किए, जिनका देशों को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उन्मूलन करने के लिए अनुसरण करने की आवश्यकता है।
- इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार, डब्ल्यूएचओ ने निर्दिष्ट किया है कि देशों को एक वर्ष में प्रति 1,00,000 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के नए मामलों की घटना दर 4 से कम तक पहुंचना एवं उसे बनाए रखना चाहिए।
- उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह आवश्यक है कि 90% बालिकाओं को 15 वर्ष की आयु तक पूर्ण रूप से एचपीवी वैक्सीन का टीका लगवाना होगा।
- इसके लिए, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम/यूआईपी) में एचपीवी वैक्सीन पेश करने का सरकार का लक्ष्य एक स्वागत योग्य कदम है।
यूआईपी क्या है?
– यूआईपी प्रतिवर्ष 2 करोड़ से अधिक नवजात शिशुओं एवं 2 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित करने वाले सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है एवं कम से कम 12 रोगों के लिए निशुल्क टीके प्रदान करता है।
– सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए, भारत द्वारा 2023 के मध्य तक स्वदेशी रूप से विकसित Cervavac वैक्सीन को रोल आउट करने की संभावना है।
आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी
ICAR-IISWC चर्चा में क्यों है?
- उधगमंडलम (तमिलनाडु/TN) में वन विभाग एवं भारतीय मृदा तथा जल संरक्षण संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन/IISWC) आमने-सामने हैं।
- उधगमंडलम आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।
ICAR-IISWC के बारे में जानिए
- आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), (पूर्व में CSWCRTI) की स्थापना 1 अप्रैल, 1974 को देहरादून में मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान के संयोजन से की गई थी।
- संस्थान एवं अनुसंधान केंद्रों ने वाटरशेड दृष्टिकोण का अनुसरण कर भूमि क्षरण को नियंत्रित करने के लिए रणनीतियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, विशेष समस्याओं जैसे खड्डों, भूस्खलन, खदानों की खराबी एवं मूसलाधार वर्षा से निपटने के लिए, लोकप्रियता के लिए प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण प्रदान करने के अतिरिक्त जल संचयन तथा पुनर्चक्रण हेतु प्रौद्योगिकियों का विकास किया है।
जॉयनगरर मोआ
जॉयनगरर मोआ चर्चा में क्यों है?
- यह सर्दी जयनगर मोआ के लिए विशेष होने जा रही है, लोकप्रिय बंगाल मिठाई वर्ष के ठंडी के महीनों के दौरान ही उपलब्ध होती है, पंजीकृत निर्माताओं की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है एवं इसके भौगोलिक संकेतक टैग को 10 वर्ष का विस्तार मिल रहा है।
- जॉयनगरर मोआ की मिठाई विशिष्ट है क्योंकि मुख्य सामग्री, कनकचूर खोई एवं नोलेन गुड़ केवल सर्दियों के महीनों में नवंबर तथा जनवरी के मध्य उपलब्ध होते हैं।
जॉयनगर मोआ के बारे में जानिए
किसने खोजा था?
– शोधकर्ताओं के अनुसार जॉयनगर मोआ का आविष्कार जॉयनगर शहर के पास बहरू गांव निवासी जैमिनी-बोरो ने किया था।
– ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने एक बार अपने खेत में उगाई गई कनकचूर खोई एवं नोलेन गुड़ से बने मोआ को श्री चैतन्य महाप्रभु को परोसा था, जो इस मिठाई को खाकर अत्यंत प्रसन्न हुए थे।
जयनगर मोआ कैसे बनाया जाता है?
– आपके मुंह में पिघला हुआ नाजुक एवं मुलायम मोआ कनकचूर खोई (जॉयनगर में तले हुए, सुगंधित पतले चावल की किस्म) एवं बंगाल के प्रसिद्ध नोलेन गुड़ (खजूर से निर्मित एक तरल गुड़ तथा यह केवल सर्दियों में पाया जाता है) चूरे गए इलायची एवं किशमिश के साथ बनाया जाता है।
– गुड़ सबसे अच्छा है यदि यह पोयरा गुड़ (मौसम के पहले रस से निर्मित खेप) है।
जॉयनगर मोआ के लिए जीआई टैग
- जॉयनगर मोआ निर्माणकारी सोसाइटी की स्थापना 2005 में एक निगरानीकर्ता के रूप में कार्य करने एवं मिठाई बनाने के लिए किसी भी आउटलेट को अधिकृत करने से पूर्व पूर्ण रूप से जांच करने के लिए की गई थी।
- 2015 में, जॉयनगर मोआ को भौगोलिक संकेत (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन/GI) टैग प्राप्त हुआ एवं इसने मोआ निर्माताओं के मनोबल में वृद्धि की।
- हाल ही में इसके भौगोलिक संकेतक टैग को 10 वर्ष का विस्तार मिला है।
इनकोवैक
कोविड-19 के प्रति इंट्रानेजल वैक्सीन (इनकोवैक/इनकोवैक) चर्चा में क्यों है?
भारत बायोटेक के अंतर्नासा (इंट्रानेजल) कोविड वैक्सीन को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों के लिए बूस्टर खुराक के तौर पर टीकाकरण कार्यक्रम में सम्मिलित करने की स्वीकृति प्रदान की है।
इनकोवैक के बारे में प्रमुख विवरण
- इनकोवैक प्राथमिक 2-खुराक कार्यक्रम तथा विषम बूस्टर खुराक के लिए अनुमोदन प्राप्त करने वाला विश्व का प्रथम अंतर्नासा कोविड-19 टीका (इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन) है। सरल भंडारण एवं वितरण के लिए इनकोवैक 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर है।
- इनकोवैक एक सम्मिश्रण-पूर्व स्थिर सार्स – कोव-2 स्पाइक प्रोटीन के साथ एक पुनः संयोजक प्रतिकृति न्यून एडिनोवायरस सदिशित वैक्सीन है।
- सफल परिणामों के साथ इस वैक्सीन कैंडिडेट का चरण I, II एवं III नैदानिक परीक्षणों में मूल्यांकन किया गया था।
- इनकोवैक को विशेष रूप से नासिका (नाक की) बूंदों के माध्यम से अंतर्नासा (नाक में) दिए जाने की अनुमति देने हेतु तैयार किया गया है।
- निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में लागत प्रभावी होने के लिए नासिका वितरण प्रणाली को डिजाइन एवं विकसित किया गया है।
- इनकोवैक को वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सेंट लुइस के साथ साझेदारी में विकसित किया गया था।