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यूपीएससी आईएएस प्रारंभिक परीक्षा के लिए 07 जून 2023 की दैनिक समसामयिकी: हम आपके लिए ‘यूपीएससी आईएएस प्रारंभिक परीक्षा के लिए दैनिक समसामयिकी’ लेकर आए हैं, जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को सिविल सेवाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण दैनिक समसामयिकी के साथ अपडेट करने के सिद्धांत पर आधारित है। गुणवत्ता से समझौता किए बिना यूपीएससी उम्मीदवारों के कीमती समय को बचाने के लिए ये दैनिक समसामयिकी हमारी टीम द्वारा बिट फॉर्म / संक्षिप्त रूप में तैयार किए गए हैं। यूपीएससी आईएएस प्रारंभिक परीक्षा के लिए आज, 07 जून 2023 की दैनिक समसामयिकी में, हम नीचे दिए गए टॉपिक्स को कवर कर रहे हैं।
पैक्स पीएम भारतीय जन औषधि केंद्र खोलेगी
पीएम भारतीय जन औषधि केंद्र चर्चा में क्यों है?
नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में, केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री, श्री अमित शाह तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री, श्री मनसुख एस. मंडाविया के प्रतिनिधित्व में भारत सरकार ने देश भर में प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र स्थापित करने हेतु 2000 प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी (प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज/PACS) को अनुमति देने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। ।
पैक्स पीएम BJA केंद्र खोलेगी
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने के लिए देश भर में 2000 पैक्स की पहचान की जाएगी। इस वर्ष अगस्त तक 1000 एवं दिसंबर तक 1000 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। इस महत्वपूर्ण निर्णय से न केवल PACS की आय में वृद्धि होगी तथा रोजगार के अवसर सृजित होंगे बल्कि लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को किफायती पर दवाइयां भी उपलब्ध होंगी।
प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि (PM BJA) केंद्र
अब तक देश भर में 9400 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। इन जन औषधि केंद्रों में 1800 प्रकार की दवाएं एवं 285 अन्य चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं।
- ब्रांडेड दवाओं की तुलना में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों पर दवाएं 50% से 90% कम दर पर उपलब्ध हैं।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने हेतु व्यक्तिगत आवेदकों के लिए पात्रता मानदंड डी. फार्मा/बी. फार्मा की डिग्री है।
- कोई भी संस्था, गैर सरकारी संगठन (NGO), धर्मार्थ संस्था एवं अस्पताल बी.फार्मा/डी.फार्मा डिग्री धारकों को नियुक्त कर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने के लिए कम से कम 120 वर्ग फीट स्थान या तो निजी स्वामित्व वाली अथवा किराये पर उपलब्ध होनी चाहिए।
- जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन शुल्क 5000 रुपये है।
- महिला उद्यमी, दिव्यांग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं भूतपूर्व सैनिक विशेष श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
- आकांक्षी जिले, हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य एवं द्वीप समूह विशेष क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं। विशेष वर्ग एवं विशेष क्षेत्र के आवेदकों के लिए आवेदन शुल्क में छूट है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के लिए प्रोत्साहन राशि 5 लाख रुपये (मासिक खरीद का 15% या अधिकतम 15,000 रुपये प्रति माह) है।
- विशेष श्रेणियों एवं क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी तथा आधारिक अवसंरचना व्यय के लिए प्रतिपूर्ति के रूप में 2 लाख रुपये का एकमुश्त अतिरिक्त प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है।
ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ द येलो स्टार
ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ द येलो स्टार चर्चा में क्यों है?
हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जी को सूरीनाम के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, ग्रैंड ऑर्डर ऑफ़ द चेन ऑफ़ द येलो स्टार से सम्मानित होने पर बधाई दी है। सूरीनाम गणराज्य के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी द्वारा पुरस्कार प्रदान किए जाने के उपरांत, मुर्मू ने व्यक्त किया कि यह सम्मान न केवल उनके लिए बल्कि भारत के लोगों के लिए भी अत्यधिक महत्व रखती है।
ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ द येलो स्टार से संबंधित विवरण
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सूरीनाम के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ग्रैंड ऑर्डर ऑफ़ द चेन ऑफ़ द येलो स्टार से सम्मानित किया गया है, जिससे वह इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय बन गई हैं।
- सूरीनाम में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार को ग्रैंड ऑर्डर ऑफ़ द चेन ऑफ़ द येलो स्टार के रूप में जाना जाता है (डच: ग्रोटलिंट इन डे ऑर्डे वैन डे गेले स्टर)।
- इसकी स्थापना 25 नवंबर, 1975 को हुई थी, जिस दिन सूरीनाम ने नीदरलैंड से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
- यह प्रतिष्ठित सम्मान उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने सूरीनाम के लिए देश या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय योगदान दिया है।
- पुरस्कार में सुनहरे बॉर्डर के साथ एक पीला सितारा होता है, जो हरे किनारों के साथ एक पीले रंग के रिबन द्वारा प्रलंबित होता है।
- तारे के चारों ओर हरे पत्तों की एक माला होती है। पुरस्कार के प्राप्तकर्ता इसे अपने सीने के बाईं ओर पहनते हैं।
- इस पुरस्कार को सूरीनाम में महान प्रतिष्ठा प्राप्त है, जो ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करता जिन्होंने ऐतिहासिक एवं,वर्तमान दोनों में देश की उन्नति के लिए पर्याप्त तथा उल्लेखनीय योगदान दिया है।
NHAI द्वारा ‘सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट‘
एनएचएआई द्वारा ‘सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट‘
पर्यावरणीय धारणीयता के लिए अपने समर्पण पर बल देते हुए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया/NHAI) ने अपनी शुरुआती ‘वित्त वर्ष 2021-22 के लिए धारणीयता रिपोर्ट’ जारी की है। रिपोर्ट में NHAI के शासन ढांचे, हितधारकों एवं पर्यावरण तथा सामाजिक उत्तरदायित्व से संबंधित पहलों को शामिल किया गया है। सम्मानित विमोचन समारोह का संचालन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने किया।
NHAI द्वारा ‘सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट‘
सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट पर्यावरण एवं ऊर्जा संरक्षण में NHAI के विविध प्रयासों के सकारात्मक परिणामों पर प्रकाश डालती है। वित्त वर्ष 2019-20 एवं 2021-22 के मध्य, ईंधन की खपत में कमी के कारण प्रत्यक्ष उत्सर्जन में 18.44% की कमी आई है। NHAI स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन करके अप्रत्यक्ष उत्सर्जन को और कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- जबकि NHAI की सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार अनिवार्य नहीं है, यह एक स्वैच्छिक उपक्रम है जो धारणीयता के लिए संगठन की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
- ग्लोबल रिपोर्टिंग इनिशिएटिव (GRI) के रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों के अनुसार ‘सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट’ तैयार की गई है एवं एश्योरेंस एंगेजमेंट पर अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए एक तीसरे पक्ष द्वारा बाहरी आश्वासन दिया गया है।
- NHAI की इस महत्वपूर्ण पहल से भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा स्थापित ढांचे के अनुरूप “ग्रीन फाइनेंस” (हरित वित्त) के माध्यम से आधारिक अवसंरचना के वित्तपोषण के अवसर सृजित होने की संभावना है।
- NHAI ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को शामिल करने, हरित राजमार्गों का पक्ष पोषण करने एवं प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों को अपनाने जैसे सतत एवं पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार को अपनाने के लिए पर्याप्त उपायों को लागू किया है।
- भविष्य को देखते हुए, NHAI यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता बनाए रखता है कि इसकी परियोजनाएं न केवल आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं बल्कि सामाजिक रूप से जागरूक एवं पर्यावरणीय रूप से धारणीय भी हैं।