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यूपीएससी दैनिक समसामयिकी प्रीलिम्स बिट्स, 20 दिसंबर 2022: यूपीएससी दैनिक समसामयिकी प्रीलिम्स बिट्स यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा विशिष्ट दैनिक समसामयिकी के न्यूनतम निवेश के साथ अद्यतन करने के सिद्धांत पर आधारित हैं। हमारे यूपीएससी दैनिक समसामयिकी प्रीलिम्स बिट्स को पढ़ने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं।
फीफा विश्व कप 2022: टूर्नामेंट के 4 खिलाड़ी
चर्चा में क्यों है?
‘कतर 2022 फीफा विश्व कप एक रोमांचक फाइनल में समाप्त हुआ, जिसमें अर्जेंटीना ने गत चैंपियन फ्रांस को पेनल्टी में 4-2 से पराजित कर ट्रॉफी जीती।
प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट हेतु
- गोल्डन बॉल का पुरस्कार अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी को प्राप्त हुआ।
- सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी का पुरस्कार अर्जेंटीना के एंजो फर्नांडीज को प्राप्त हुआ।
- गोल्डन ग्लोब पुरस्कार अर्जेंटीना के एमिलियानो मार्टिनेज को प्राप्त हुआ।
- गोल्डन बूट पुरस्कार फ्रांस के किलियन एम्बाप्पे को प्राप्त हुआ है।
तालछापर अभ्यारण्य
ताल छापर अभ्यारण्य चर्चा में क्यों है?
राजस्थान के चूरू जिले में प्रसिद्ध ताल छापर काला हिरण अभ्यारण्य को अपने पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के आकार को कम करने के लिए राज्य सरकार के प्रस्तावित कदम के विरुद्ध एक सुरक्षात्मक आवरण प्राप्त हुआ है।
मामला क्या है?
- खदान मालिकों और स्टोन क्रशर संचालकों के दबाव में ताल छापर अभ्यारण्य के क्षेत्रफल को घटाकर तीन वर्ग किमी किया जा रहा था।
- अभ्यारण्य की रक्षा के लिए, राजस्थान उच्च न्यायालय ने वन्यजीव अभ्यारण्य के क्षेत्र को कम करने के लिए किसी भी कार्रवाई पर “पूर्ण निषेध” का आदेश दिया।
- राजस्थान उच्च न्यायालय ने अभ्यारण्य की रक्षा के लिए स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के माध्यम से हस्तक्षेप किया है, इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए, कि खदान मालिकों और स्टोन क्रशर संचालकों के दबाव में इसका क्षेत्र घटाकर तीन वर्ग किमी किया जा रहा था।
- उच्च न्यायालय ने वन्यजीव अभ्यारण्य के क्षेत्र को कम करने के लिए किसी भी कार्रवाई पर “पूर्ण निषेध” लगाने का आदेश दिया।
- कोर्ट ने तालछापर अभ्यारण्य के आसपास के पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ईको सेंसेटिव जोन) घोषित करने की औपचारिकताएं शीघ्र से शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया।
ताल छापर अभ्यारण्य के बारे में जानिए
- ताल छापर अभ्यारण्य राजस्थान में काले हिरण एवं विभिन्न प्रकार के पक्षियों के आवास के रूप में जाना जाता है।
- यह भारत के शेखावाटी क्षेत्र में उत्तर पश्चिमी राजस्थान के चूरू जिले में अवस्थित है।
- अभ्यारण्य विशाल भारतीय मरुस्थल, थार से घिरा हुआ है एवं एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का होने का गौरव रखता है तथा भारत में एक महत्वपूर्ण पक्षी दर्शन स्थल है।
- अभ्यारण्य में प्रवासी पक्षी: रैप्टर, हैरियर, पूर्वी शाही चील, पीले रंग की चील, छोटे पंजे वाले चील, गौरैया, एवं छोटे हरे फतंगे, काली इबिस एवं डेमोइसेल क्रेन, जबकि स्काईलार्क, क्रेस्टेड लार्क, रिंग डव एवं भूरे कबूतर वर्ष भर पाए जाते हैं।
- रैप्टर्स, जिसमें शिकारी एवं मृतभोजी शामिल हैं, खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर हैं एवं छोटे स्तनधारियों, पक्षियों तथा सरीसृपों के साथ-साथ कीटों की आबादी को नियंत्रित करते हैं।
- जीव: अभ्यारण्य में रेगिस्तानी लोमड़ियों एवं रेगिस्तानी बिल्लियों को देखा जा सकता है।
- वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने भी 7.19 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत अभ्यारण्य में रैप्टर्स के संरक्षण के लिए एक वृहद परियोजना प्रारंभ की है।
पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (इको-सेंसिटिव ज़ोन/ESZs) क्या है?
- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) के अनुसार, राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभ्यारण्यों की सीमाओं के 10 किमी के भीतर की भूमि को पारिस्थितिकी दुर्बल क्षेत्र (इको-फ्रैजाइल जोन) या पारिस्थितिकी -संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन/ईएसजेड) के रूप में अधिसूचित किया जाना है।
- हालांकि 10 किलोमीटर के नियम को एक सामान्य सिद्धांत के रूप में लागू किया गया है, इसके अनुप्रयोग की सीमा अलग-अलग हो सकती है।
- केंद्र सरकार द्वारा 10 किमी से अधिक के क्षेत्रों को भी पारिस्थितिकी -संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन/ईएसजेड) के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है, यदि उनके पास पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण “संवेदनशील गलियारे” हैं।
- पारिस्थितिकी -संवेदनशील क्षेत्र (इको-सेंसिटिव ज़ोन) की परिकल्पना ‘संरक्षित क्षेत्रों’ के लिए उपधानी (कुशन) या शॉक एब्जॉर्बर के रूप में की गई है।
आईएनएस मोरमुगाओ
चर्चा में क्यों है?
स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मोरमुगाओ, ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार विध्वंसक युद्धपोत में से दूसरा, हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है।
आईएनएस मोरमुगाओ के बारे में जानने हेतु प्रमुख बिंदु
- आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत परिष्कृत सेंसर, आधुनिक रडार एवं हथियार प्रणालियों जैसे सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल एवं सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से लैस है।
- इसके पास ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसे हथियार हैं, जिनकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर विस्तारित की जा रही है।
- जलपोत में 70 किलोमीटर की एमआरएसएएम (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) प्रणाली, टारपीडो एवं रॉकेट लॉन्चर तथा गन से संबंधित विभिन्न प्रणालियों के साथ-साथ रडार एवं सेंसर की एक विस्तृत श्रृंखला है।
- 7,400 टन के विस्थापन के साथ 163 मीटर लंबाई एवं 17 मीटर चौड़ाई वाले जलपोत को भारत में निर्मित सर्वाधिक शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है।
- गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर मोरमुगाओ के नाम पर, जहाज ने विगत वर्ष 19 दिसंबर को अपना प्रथम जलावरण किया था जब गोवा ने पुर्तगाली शासन से 60 वर्ष की मुक्ति का जश्न मनाया था।
- आईएनएस मोरमुगाओ ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार विध्वंसक युद्धपोतों में से दूसरा है, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत (वारशिप) डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है।
- इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा प्रोजेक्ट-15 बी के तहत कुल 35,800 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
- जलपोत को चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों द्वारा चलाया जाता है एवं यह 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।
- यह परमाणु, जैविक एवं रासायनिक (न्यूक्लियर बायोलॉजिकल एंड केमिकल/एनबीसी) युद्ध स्थितियों के तहत लड़ने के लिए सुसज्जित है एवं यह एक आधुनिक निगरानी रडार से सुसज्जित है जो तोपखाना हथियार प्रणालियों को लक्षित डेटा प्रदान करता है।
- जलपोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध (एंटी सबमरीन वारफेयर/एएसडब्ल्यू) क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टारपीडो लॉन्चर एवं एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टर द्वारा प्रदान की जाती हैं।
पहला वैश्विक जल सर्वेक्षण
चर्चा में क्यों है?
नासा के नेतृत्व में एक मिशन, कैलिफोर्निया से स्पेसएक्स के एक उपग्रह पर प्रक्षेपित किए जाने हेतु तैयार है जो प्रथम बार विश्व के महासागरों, नदियों एवं झीलों का एक अभूतपूर्व सर्वेक्षण करेगा।
नासा का SWOT उपग्रह क्या है?
- SWOT उपग्रह जिसका पूर्ण रूप, सतही जल एवं महासागर स्थलाकृति (सरफेस वाटर एंड ओसियन टोपोग्राफी) है, एक उन्नत रडार उपग्रह है जिसका उद्देश्य वैज्ञानिकों को ग्रह को कवर करने वाले महासागरों की गहन समझ प्रदान करना है एवं जलवायु परिवर्तन पृथ्वी पर महासागरों एवं जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है।
- अपने रडार के माध्यम से, उपग्रह वर्तमान प्रौद्योगिकियों के दस गुना विभेदन पर विभिन्न महासागर स्थलाकृतियों के जल स्तर की निगरानी करने में सक्षम होगा। यह पृथ्वी पर एक लाख से अधिक झीलों एवं नदियों का मापन करने में भी सक्षम होगा।