बांध पुनर्वास और उन्नयन परियोजना (डीआरआईपी)
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प्रासंगिकता
जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां और अंतःक्षेप एवं उनकी अभिकल्पना तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
जीएस 3: आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
प्रसंग
- केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय ने देश में बांध की वर्तमान अवसंरचना को सुरक्षित बनाने के लिए विश्व बैंक के साथ 250 मिलियन अमरीकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय जल आयोग के साथ-साथ 10 प्रतिभागी राज्यों के सरकारी प्रतिनिधि भी ऋण समझौते का हिस्सा हैं।
- ऋण राशि बांध सुरक्षा कार्यक्रम और भारत के विभिन्न राज्यों में मौजूदा बांधों की सुरक्षा और प्रदर्शन में सुधार के लिए है।
- यह सुरक्षा दिशानिर्देशों की रचना करके, वैश्विक अनुभव सम्मिलित कर एवं अभिनव तकनीकों को प्रस्तुत कर बांध सुरक्षा को सशक्त करेगा।
- बांध परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए जोखिम आधारित उपागम प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे बांध सुरक्षा प्रबंधन में रूपांतरण की संभावना है।
- यह प्राथमिकता बांध सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने में सहायता करता है।
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ड्रिप की पृष्ठभूमि
- 2012 में, सीडब्ल्यूसी और विश्व बैंक ने भारत में बांधों की सुरक्षा और परिचालन निष्पादन में सुधार के लिए हाथ मिलाया।
- इसे एक राज्य क्षेत्र की योजना के रूप में आरंभ किया गया था ताकि एक व्यापक प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ संस्थानों को सशक्त किया जा सके।
- मूल रूप से यह योजना छह वर्ष की अवधि हेतु निर्धारित की गई थी और इसे बंद करना निर्धारित किया गया था। यद्यपि, इसे जून 2020 तक विस्तार प्रदान किया गया था।
- इसे हाल ही में बंद कर दिया गया था और इसने छह राज्यों और एक केंद्रीय एजेंसी में 223 बांधों की सुरक्षा और सतत निष्पादन में उन्नति की है।
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उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य देश में पुराने बांधों का पुनर्वास करना है जो संकट का अनुभव कर रहे हैं तथा उनकी संरचनात्मक सुरक्षा और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करने हेतु ध्यान देने की आवश्यकता है।
- इसका उद्देश्य संबंधित क्षेत्र में संस्थागत क्षमता और परियोजना प्रबंधन को सशक्त करना भी है।
- यह बांध सुरक्षा के मुद्दों पर व्यापक जागरूकता की परिकल्पना करता है और इस प्रकार विश्व भर में उपलब्ध सर्वोत्तम ज्ञान, प्रौद्योगिकियों तथा अनुभव को संयोजित करके उन्हें संबोधित करने के लिए नवीन समाधानों की तलाश करता है।
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ड्रिप-2 अपने पुराने संस्करण से किस प्रकार भिन्न है?
- ड्रिप-2 बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली और एकीकृत जलाशय संचालन का अवलंबन करेगा जो जलवायु अनुकूल संरचनाओं के निर्माण में योगदान देगा।
- यह संभावित नकारात्मक प्रभावों और जलवायु परिवर्तन के जोखिमों के प्रति समुत्थानशक्ति हेतु तैयार करने के लिए अतिसंवेदनशील अधोनिवासी समुदायों को सक्षम करने के लिए आपातकालीन कार्य योजनाओं को तैयार करने और क्रियान्वित करने में सहायता करेगा।
- यह प्लवमान सौर पैनल जैसी पूरक राजस्व सृजन योजनाओं का संचालन भी करेगा।
ऐसी परियोजनाओं की आवश्यकता क्यों है?
- हमारे देश में औसतन 5 में से 4 बांध 25 वर्ष पूर्व निर्मित किए गए थे।
- 200 से अधिक बांध 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं। वे ऐसे समय मेंनिर्मित किए गए थे जब सुरक्षा मानक आज की तुलना में अत्यंत निम्न थे।
- इनमें से अनेक बांध संकट का सामना कर रहे हैं और कार्यशील बने रहने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
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आगे की राह
- बांध महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराकर कृषि कार्य में सहयोग करते हैं, इसी प्रकार, वे जल विद्युत ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पन्न करने हेतु भी जल उपलब्ध कराते हैं।
- इसके अतिरिक्त, वे बाढ़ की घटनाओं को कम करके लोगों की सेवा करते हैं।
- ऐसे लाभों के कारण, डीआरआईपी जैसी परियोजनाएं राष्ट्रीय समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।