Home   »   Press Freedom Index   »   Deepfake Technology

डीपफेक क्या हैं तथा यह कैसे कार्य करता है? डीपफेक टेक्नोलॉजी के खतरे एवं समाधान

डीपफेक टेक्नोलॉजी की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

डीपफेक टेक्नोलॉजी का उपयोग कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक का उपयोग करके वीडियो, छवियों इत्यादि में हेरफेर करने के लिए किया जाता है। डीपफेक टेक्नोलॉजी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2023 एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 3- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा अनुप्रयोग) के लिए भी महत्वपूर्ण है

Daily Prelims Bits For UPSC-24 Dec. 2022_70.1

डीपफेक क्या होते हैं?

  • डीपफेक डिजिटल मीडिया – वीडियो, ऑडियो एवं कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करके संपादित एवं हेरफेर की गई छवियां हैं। यह मूल रूप से अति-यथार्थवादी डिजिटल मिथ्याकरण है।
  • कृत्रिम प्रज्ञान-जनित कृत्रिम मीडिया या डीपफेक के कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट लाभ हैं, जैसे पहुंच, शिक्षा, फिल्म निर्माण, आपराधिक फोरेंसिक एवं कलात्मक अभिव्यक्ति।
  • डीपफेक व्यक्तियों एवं संस्थानों को हानि पहुंचाने हेतु निर्मित किए जाते हैं।
  • कमोडिटी क्लाउड कंप्यूटिंग तक पहुंच, सार्वजनिक अनुसंधान कृत्रिम प्रज्ञान कलन विधि (एल्गोरिदम) एवं प्रचुर मात्रा में डेटा तथा विशाल मीडिया की उपलब्धता ने मीडिया के निर्माण एवं हेरफेर का लोकतंत्रीकरण करने के लिए एक आदर्श तूफान खड़ा कर दिया है। इस कृत्रिम मीडिया सामग्री को डीपफेक कहा जाता है।

 

डीपफेक- एक नया दुष्प्रचार उपकरण

  • दुष्प्रचार एवं झांसा केवल झुंझलाहट से लेकर युद्ध तक विकसित हुए हैं जो सामाजिक उत्पन्न पैदा कर सकते हैं, ध्रुवीकरण बढ़ा सकते हैं तथा कुछ मामलों में चुनाव परिणाम को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  • भू-राजनीतिक आकांक्षाओं, वैचारिक समर्थकों, हिंसक चरमपंथियों एवं आर्थिक रूप से प्रेरित उद्यमों वाले राष्ट्र-राज्य कारक सरल तथा अभूतपूर्व पहुंच एवं स्तर के साथ सोशल मीडिया के आख्यानों में हेरफेर कर सकते हैं।
  • डीपफेक के रूप में दुष्प्रचार के खतरे के पास एक नया उपकरण है।

 

डीपफेक के सकारात्मक एवं नकारात्मक उपयोग?

  • कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/एआई)-जनित कृत्रिम मीडिया या डीपफेक  के कुछ क्षेत्रों में स्पष्ट लाभ हैं, जैसे पहुंच, शिक्षा, फिल्म निर्माण, आपराधिक फोरेंसिक एवं कलात्मक अभिव्यक्ति।
  • यद्यपि, जैसे-जैसे कृत्रिम मीडिया प्रौद्योगिकी की पहुँच में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे शोषण का जोखिम भी बढ़ता है। डीपफेक का इस्तेमाल प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने, सबूत गढ़ने, जनता को धोखा देने तथा लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास कम करने के लिए किया जा सकता है।
  • यह सब कुछ अल्प संसाधनों के साथ, स्तर एवं गति के साथ प्राप्त किया जा सकता है एवं यहां तक ​​कि समर्थन को प्रेरित करने के लिए सूक्ष्म-लक्षित भी किया जा सकता है।

 

डीपफेक का प्रभाव- शिकार कौन हैं?

  • अश्लील साहित्य (पोर्नोग्राफी): डीपफेक के दुर्भावनापूर्ण उपयोग का पहला मामला अश्लील साहित्य अथवा पोर्नोग्राफी में सामने आया था। एक Sensity.ai के अनुसार, 96% डीपफेक अश्लील वीडियो हैं, अकेले अश्लील वेबसाइटों पर 135 मिलियन से अधिक बार देखा गया है।
    • डीपफेक अश्लील साहित्य विशेष रूप से महिलाओं को लक्षित करती है।
    • अश्लील डीपफेक धमकी दे सकते हैं, भयभीत कर सकते हैं एवं मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचा सकते हैं।
    • यह महिलाओं को यौन वस्तुओं के रूप में संकुचित कर भावनात्मक संकट उत्पन्न करता है तथा कुछ मामलों में, वित्तीय हानि तथा नौकरी छूटने जैसे संपार्श्विक परिणामों का कारण बनता है।
  • व्यक्तिगत छवि को धूमिल करना: डीपफेक एक व्यक्ति को असामाजिक व्यवहारों में लिप्त होने एवं ऐसी घटिया बातें कहने वाले व्यक्ति के रूप में चित्रित कर सकता है जो उसने कभी नहीं की।
    • यहां तक ​​कि अगर पीड़ित बहाने के माध्यम से या अन्यथा नकली को खारिज कर सकता है, तो आरंभिक क्षति को ठीक करने में अत्यधिक विलंब हो सकता है।
  • सामाजिक क्षति: डीपफेक अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक सामाजिक क्षति भी पहुंचा सकते हैं एवं पारंपरिक मीडिया में पूर्व से ही कम हो रहे विश्वास की गति को और तीव्र कर सकते हैं।
    • इस तरह का क्षरण तथ्यात्मक सापेक्षवाद की संस्कृति में योगदान कर सकता है, तनावपूर्ण नागरिक समाज के ताने-बाने को  तेजी से तोड़ सकता है।
  • सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा: डीपफेक एक दुर्भावनापूर्ण राष्ट्र-राज्य द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा को कमजोर करने एवं लक्षित देश में अनिश्चितता तथा अराजकता उत्पन्न करने हेतु एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है।
    • डीपफेक संस्थानों एवं कूटनीति में विश्वास को कम कर सकते हैं।
  • आतंकवादी संगठनों द्वारा उपयोग: डीपफेक का उपयोग गैर-राज्य कारकों द्वारा, जैसे कि विद्रोही समूह एवं आतंकवादी संगठन, अपने विरोधियों को भड़काऊ भाषण देने अथवा लोगों के बीच राज्य विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए उत्तेजक कार्यों में शामिल होने के रूप में दिखाने के लिए किया जा सकता है।
  • फेक न्यूज को प्रोत्साहित करता है: डीपफेक से एक अन्य चिंता मिथ्याभाषी का लाभांश है; एक अवांछनीय सत्य को डीपफेक या नकली समाचार के रूप में खारिज कर दिया जाता है।
    • डीपफेक का मात्र अस्तित्व इनकार को अधिक विश्वसनीयता देता है।
    • नेता डीपफेक को हथियार बना सकते हैं एवं मीडिया तथा सच्चाई के एक वास्तविक अंश को खारिज करने हेतु  छद्म समाचार एवं वैकल्पिक-तथ्यों का उपयोग कर सकते हैं।

 

डीपफेक के विरुद्ध आगे की राह

  • मीडिया साक्षरता सुनिश्चित करना: कुशाग्रबुद्धि जनता को तैयार करने के लिए मीडिया साक्षरता के प्रयासों में वृद्धि की जानी चाहिए।
    • भ्रामक सूचनाओं एवं डीपफेक से निपटने के लिए उपभोक्ताओं के लिए मीडिया साक्षरता सर्वाधिक प्रभावी उपकरण है।
  • सहयोगात्मक विनियामक तंत्र: हमें दुर्भावनापूर्ण डीपफेक के निर्माण एवं वितरण को हतोत्साहित करने के लिए विधायी समाधान विकसित करने हेतु प्रौद्योगिकी उद्योग, नागरिक समाज एवं नीति निर्माताओं के साथ सहयोगात्मक चर्चा के साथ सार्थक नियमों की भी आवश्यकता है।
  • डिटेक्शन टेक्नोलॉजी विकसित करना: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डीपफेक मुद्दे का संज्ञान ले रहे हैं, तथा उनमें से लगभग सभी के पास डीपफेक के उपयोग की कुछ नीति अथवा स्वीकार्य शर्तें हैं।
    • हमें डीपफेक का पता लगाने, मीडिया को प्रमाणित करने एवं आधिकारिक स्रोतों में वृद्धि करने के लिए उपयोग में सरल तथा सुलभ प्रौद्योगिकी समाधानों की भी आवश्यकता है।
  • डीपफेक के विरुद्ध सामूहिक अभियान: डीपफेक के खतरे का मुकाबला करने के लिए, हम सभी को इंटरनेट पर मीडिया के महत्वपूर्ण उपभोक्ता होने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, सोशल मीडिया पर साझा करने से पहले सोचना एवं रुकना चाहिए तथा इस ‘इन्फोडेमिक’ के समाधान का हिस्सा बनना चाहिए।

 

निष्कर्ष

  • विधायी विनियमों, प्लेटफ़ॉर्म नीतियों, प्रौद्योगिकी प्रतिउपायों एवं मीडिया साक्षरता दृष्टिकोणों में सहयोगात्मक कार्रवाइयाँ तथा सामूहिक तकनीकें कुछ ऐसी विधियां हैं जिनसे डीपफेक खतरे को कम किया जा सकता है।

 

डीपफेक के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. डीपफेक क्या होते हैं?

उत्तर. डीपफेक डिजिटल मीडिया – वीडियो, ऑडियो, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके संपादित तथा हेरफेर की गई छवियां हैं। यह मूल रूप से अति-यथार्थवादी डिजिटल मिथ्याकरण है।

 

26 वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2023 का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने कर्नाटक के हुबली में किया परिसंपत्ति एवं देनदारियों के प्रबंधन पर आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के बीच क्या मुद्दा है? हाउ वायलेंट पॉलिटिकल क्राइसिस इन ब्राजील विकनिंग डेमोक्रेसीज?संपादकीय विश्लेषण यूपीएससी परीक्षा के लिए 11 जनवरी 2023 की दैनिक समसामयिकी | प्रीलिम्स बिट्स
1950 से 2023 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्तों की पूरी सूची अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव 2023 का उद्घाटन गुजरात में जी-20 की थीम के साथ हुआ उत्तराखंड में जोशीमठ को भूस्खलन अवतलन क्षेत्र क्यों घोषित किया गया है? एयरो इंडिया 2023, रक्षा मंत्री ने एयरो इंडिया के लिए राजदूतों के गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता की
म्युनिसिपल कॉरपोरेशंस इन इंडिया आर गैस्पिंग फॉर फंड्स – द हिंदू संपादकीय विश्लेषण यूपीएससी 10 जनवरी 2023 के लिए दैनिक समसामयिकी,  प्रीलिम्स बिट्स 17 वें प्रवासी भारतीय दिवस 2023 का उद्घाटन पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के इंदौर में किया क्वालकॉम की स्नैपड्रैगन उपग्रह प्रौद्योगिकी क्या है?

Sharing is caring!

FAQs

What are deepfakes?

Deepfakes are digital media - video, audio, and images edited and manipulated using Artificial Intelligence. It is basically hyper-realistic digital falsification.