Home   »   अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा-पत्र   »   अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा-पत्र

अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा-पत्र

अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा-पत्र: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण

अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा-पत्र: प्रसंग

  • हाल ही में, आठ क्षेत्रीय देशों-भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान एवं उजबेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर चर्चा की एवं दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया।

UPSC Current Affairs

क्या आपने यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 को उत्तीर्ण कर लिया है?  निशुल्क पाठ्य सामग्री प्राप्त करने के लिए यहां रजिस्टर करें

  • अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा-पत्र: मुख्य बिंदु

  • दिल्ली घोषणा पत्र अफगानिस्तान को उस आतंकवादी केंद्र में पुनः पतित नहीं होने देने में सहभागियों के साझा हित को परिलक्षित करती है जो यह 1996 से 2001 तक तालिबान के शासन के समय बन गया था।
  • पक्षों ने अफगानिस्तान में वर्तमान राजनीतिक स्थिति एवं आतंकवाद, कट्टरता तथा मादक पदार्थों की तस्करी से उत्पन्न खतरों के साथ-साथ मानवीय सहायता की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया।

तालिबान को संबद्ध करना: भारत-अफगानिस्तान संबंध

दिल्ली घोषणा-पत्र: मुख्य बातें

  • देशों ने अपने आंतरिक मामलों में संप्रभुता, एकता एवं क्षेत्रीय अखंडता तथा गैर-हस्तक्षेप के सम्मान पर बल देते हुए शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन दोहराया।
  • भाग लेने वाले देशों ने अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से उत्पन्न अफगानिस्तान के लोगों की पीड़ा पर गहरी चिंता व्यक्त की एवं कुंदुज, कंधार तथा काबुल में आतंकवादी हमलों की निंदा की।
  • उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी कृत्य को शरण देने, प्रशिक्षण प्रदान करने, योजना निर्मित करने अथवा वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
  • उन्होंने सभी आतंकवादी गतिविधियों की कड़े शब्दों में निंदा की एवं यह सुनिश्चित करने के लिए कि अफगानिस्तान कभी भी वैश्विक आतंकवाद के लिए एक सुरक्षित शरण स्थली नहीं बनेगा, इसके वित्तपोषण, आतंकवादी बुनियादी ढांचे को समाप्त करने एवं कट्टरपंथ का मुकाबला करने सहित, इसके सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • उन्होंने इस क्षेत्र में कट्टरपंथ, उग्रवाद, अलगाववाद एवं मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे के प्रति सामूहिक सहयोग का आह्वान किया।
  • उन्होंने एक मुक्त एवं सही अर्थों में समावेशी सरकार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जो अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हो एवं देश में प्रमुख जातीय-राजनीतिक शक्तियों सहित उनके समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हो। देश में सफल राष्ट्रीय सामंजस्य प्रक्रिया हेतु समाज के सभी वर्गों को प्रशासनिक एवं राजनीतिक ढांचे में सम्मिलित करना अनिवार्य है।
  • उन्होंने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों को याद किया, एवं नोट किया कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका है एवं देश में इसकी निरंतर उपस्थिति को संरक्षित किया जाना चाहिए।
  • उन्होंने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया कि महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यक समुदायों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो।
  • उन्होंने अफगानिस्तान में बिगड़ती सामाजिक-आर्थिक एवं मानवीय स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की एवं अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
  • उन्होंने दोहराया कि अफगानिस्तान को अबाधित, प्रत्यक्ष एवं सुनिश्चित रूप से मानवीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए एवं यह कि सहायता देश के भीतर अफगान समाज के सभी वर्गों में भेदभाव रहित तरीके से वितरित की जानी चाहिए।

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन और भारत पर इसके प्रभाव

UPSC Current Affairs

Sharing is caring!