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विश्व का सर्वाधिक लंबा एक्सप्रेस-वे: दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे

प्रासंगिकता

  • जीएस 3:  आधारिक अवसंरचना: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे इत्यादि।

भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र

प्रसंग

  • हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 1380 किलोमीटर के आठ लेन वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर कार्य प्रगति की दो दिवसीय समीक्षा का समापन किया।

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प्रमुख बिंदु

 

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के बारे में

  • इसका निर्माण कुल 98,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ किया जा रहा है,एवं इसकी कुल लंबाई 1,380 किमी होगी।
  • दिल्ली-जयपुर (दौसा)-लालसोट एवं वडोदरा-अंकलेश्वर से प्रथम चरण मार्च 2022 तक यातायात के लिए खुलने की संभावना है। एक्सप्रेस-वे के मार्च 2023 तक पूर्ण होने की संभावना है।
  • परियोजना की आधारशिला 9 मार्च 2019 को रखी गई थी।
  • दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए राज्यों में 15,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
  • एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 12 लाख टन से अधिक इस्पात (स्टील) की खपत होगी, जो 50 हावड़ा पुलों के निर्माण के समतुल्य है।

ईट राइट स्टेशन सर्टिफिकेट

 

लाभ

  • एक्सप्रेस-वे कुछ शहरों के मध्य के यात्रा के समय को 24 घंटे से घटाकर 12-12.5 घंटे कर देगा।
  • एक्सप्रेस-वे जेवर हवाई अड्डे के लिए एक सहायक मार्ग (स्पर) एवं मुंबई में एक सहायक मार्ग के माध्यम से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह से मुंबई  से जुड़ा होगा।
  • एक्सप्रेस-वे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा एवं सूरत जैसे आर्थिक केंद्रों से संपर्कन (कनेक्टिविटी) को उन्नत करेगा।
  • एक्सप्रेस-वे में सड़क के किनारे की सुविधाएं – रिसॉर्ट, रेस्तरां, फूड कोर्ट, ईंधन स्टेशन, ट्रक ड्राइवरों के लिए सुविधाएं, सुप्रचालनिकी (रसद) पार्क होंगी।
  • दुर्घटना पीड़ितों के लिए एक हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस सेवा प्रदान की जाएगी एवं एक हेलीपोर्ट भी प्रदान किया जाएगा, जो इस कार्य हेतु ड्रोन सेवाओं का उपयोग करेगा।
  • राजमार्ग के किनारे दो मिलियन से अधिक वृक्ष एवं झाड़ियाँ लगाने की योजना है।
  • एक्सप्रेस-वे एशिया में प्रथम एवं विश्व में द्वितीय है जिसमें वन्यजीवों की अप्रतिबंधित आवाजाही को सुविधाजनक बनाने हेतु पशु ऊपरगामी पुल (ओवरपास) होंगे।
  • एक्सप्रेस-वे से 320 मिलियन लीटर से अधिक की वार्षिक ईंधन बचत होगी एवं कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में 850 मिलियन किलोग्राम की कमी आएगी जो कि 40 मिलियन वृक्ष लगाने के समतुल्य है।
  • इस परियोजना ने हजारों प्रशिक्षित सिविल इंजीनियरों के लिए रोजगार एवं 50 लाख से अधिक कार्य दिवसों का भी सृजन किया है।

एनसीआर क्षेत्रीय योजना प्रारूप -2041

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