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DESH विधेयक 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतःक्षेप तथा उनके अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
देश विधेयक 2022 चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों के साथ देश विधेयक पर चर्चा करने के लिए वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में वाणिज्य विभाग द्वारा उद्यम एवं सेवा केंद्र (डेवलपमेंट ऑफ इंटरप्राइजेज एंड सर्विसेज हब/DESH) विधेयक, 2022 के विकास पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
देश विधेयक 2022- प्रमुख विशेषताएं
- नवीन देश (DESH) विधेयक 2022 विशेष आर्थिक क्षेत्रों (स्पेशल इकोनामिक जोन/एसईजेड) को शासित करने वाले वर्तमान कानून को प्रतिस्थापित करेगा।
- एक नए कानून की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फरवरी 2022 में केंद्रीय बजट में की गई थी।
- विकास केंद्र: ऐसे केंद्रों (हब) में मौजूदा एसईजेड भी शामिल होंगे। प्रारूप देश (DESH) विधेयक निम्नलिखित हेतु “विकास केंद्र” स्थापित करना चाहता है-
- आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना,
- रोजगार सृजित करना,
- वैश्विक आपूर्ति एवं मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकरण तथा विनिर्माण एवं निर्यात प्रतिस्पर्धा को बनाए रखना,
- बुनियादी सुविधाओं का विकास करना,
- शोध एवं विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट/आर एंड डी) सहित निवेश को बढ़ावा देना।
- उद्यम एवं सेवा केंद्र: विकास केंद्रों को आगे उद्यम तथा सेवा केंद्रों में वर्गीकृत किया जाएगा।
- जहां उद्यम केंद्र विनिर्माण एवं सेवा गतिविधियों दोनों की अनुमति प्रदान करेंगे, वहीं सेवा केंद्र मात्र सेवा गतिविधियों की अनुमति देंगे।
- अवसंरचना की स्थिति: सरकार की योजना इन केंद्रों को वित्त की पहुंच में सुधार तथा आसान शर्तों पर ऋण दाताओं से लंबी अवधि के ऋण को सक्षम करने हेतु, अवसंरचना जैसे कि सड़क, रेल जलमार्ग, हवाई अड्डों जैसे क्षेत्रों के समान दर्जा प्रदान करने की है।
- सिंगल-विंडो पोर्टल: हब की स्थापना एवं संचालन हेतु समयबद्ध अनुमोदन प्रदान करने के लिए प्रारूप देश विधेयक के तहत एक ऑनलाइन सिंगल-विंडो पोर्टल का प्रावधान भी किया गया है।
- नियमों का सरलीकरण: एंटरप्राइज एंड सर्विस हब (DESH) का विकास विशेष आर्थिक क्षेत्रों पर बोझ डालने वाले अनेक नियमों से मुक्त हो जाएगा: उदाहरण के लिए-
- उन्हें अब विदेशी मुद्रा का सकारात्मक लाभ उठाने की आवश्यकता नहीं होगी एवं
- उन्हें घरेलू बाजार में अधिक सरलता से विक्रय करने की अनुमति होगी।
- विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप देश: नए केंद्रों के भीतर संचालनरत इकाइयों को अब प्रत्यक्ष कर प्रोत्साहन से कोई लाभ नहीं होगा, जिसे समाप्त कर दिया जाएगा – एक ऐसा कदम जो यह केंद्रों को विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप बना देगा।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना: विकास केंद्रों को सीमांकित क्षेत्र के बाहर या घरेलू बाजार में विक्रय करने की अनुमति दी जाएगी, केवल अंतिम उत्पाद के स्थान पर आयातित आदान एवं कच्चे माल पर प्रशुल्कों का भुगतान किया जाएगा।
विशेष आर्थिक क्षेत्र: प्रमुख बिंदु
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के बारे में: यह एक देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यवसाय एवं व्यापार कानून देश के बाकी हिस्सों से अलग होते हैं।
- मुख्य उद्देश्य: विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना विभिन्न उद्देश्यों जैसे व्यापार संतुलन (निर्यात को प्रोत्साहित कर), रोजगार, निवेश में वृद्धि, रोजगार सृजन तथा प्रभावी प्रशासन के लिए की जाती है।
- एसईजेड के आर्थिक विकास के लिए इंजन बनने की अपेक्षा है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र में सरकार द्वारा दी गई छूट: विशेष आर्थिक क्षेत्रों में व्यवसायों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार विभिन्न वित्तीय नीतियां बनाती है। ये नीतियां आम तौर पर निवेश, कराधान, व्यापार, कोटा, सीमा शुल्क एवं श्रम नियमों से संबंधित होती हैं।
- आरंभिक अवधि में, सरकार प्रायः कर अवकाश (कम कराधान की अवधि) प्रदान करती है।
- सरकार इन क्षेत्रों में व्यापारिक सुगमता भी सुनिश्चित करती है।
भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र
- उद्गम:
- एशिया का पहला निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन/EPZ) 1965 में कांडला, गुजरात में स्थापित किया गया था।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र संरचना में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों के समान हैं।
- भारतीय एसईजेड चीन के एसईजेड की सफलता पर आधारित हैं।
- सरकार ने 2000 में ईपीजेड की सफलता को सीमित करने वाली ढांचागत एवं नौकरशाही चुनौतियों के निवारण के लिए विदेश व्यापार नीति के तहत एसईजेड स्थापित करना आरंभ किया।
- विधायी समर्थन: एसईजेड को विधायी सहायता प्रदान करने के लिए 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम पारित किया गया था।
- अधिनियम 2006 में सेज नियमों के साथ लागू हुआ।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम 2005: “यह निर्यात को बढ़ावा देने एवं उससे संबंधित अथवा उसके प्रासंगिक मामलों के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना, विकास एवं प्रबंधन हेतु प्रावधान करने के लिए एक अधिनियम के रूप में परिभाषित किया गया है।”
- 2000-2006 के बीच, सेज विदेश व्यापार नीति के तहत क्रियाशील थे।
- वर्तमान स्थिति: सरकार द्वारा 379 विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिसूचित किए गए हैं, जिनमें से 265 क्रियाशील हैं।
- भारत में SEZ का क्षेत्रीय वितरण: लगभग 64% सेज पाँच राज्यों- तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र में स्थित हैं।
- बाबा कल्याणी समिति: इसका गठन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा भारत की मौजूदा एसईजेड नीति का अध्ययन करने के लिए किया गया था तथा नवंबर 2018 में इसने अपनी संस्तुतियां प्रस्तुत की थीं।